प्रदेश में मंत्रियों की… मर्जी सब पर भारी

  • जिसको चाहा सरकार ने उन्हें ही दी स्टाफ में नियुक्ति
  • गौरव चौहान
मंत्रियों की मर्जी

मप्र में सत्ता और संगठन ने मंत्रियों को विवादित और पुराने स्टाफ से दूर रहने का जो फॉर्मूला बनाया था, वह मंत्रियों की जिद और मनमर्जी के आगे पस्त हो गया। यानी मंत्रियों की मर्जी सब पर भारी पड़ी और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मंत्रियों को उनकी मर्जी से स्टाफ में विशेष सहायक, निज सहायक और स्टाफ के कर्मचारी नियुक्त करने की अनुमति दे दी है। आठ माह की मशक्कत के बाद सामान्य प्रशासन विभाग ने 2 दिनों के अंतराल में 14 मंत्रियों के स्टाफ की पद स्थापना के आदेश भी जारी कर दिए हैं। जो अफसर, कर्मचारी मंत्री स्टाफ में पोस्टिंग पाने में सफल रहे हैं उनमें से कई पिछले एक दशक से मंत्रियों के यहां काम कर रहे हैं। गौरतलब है कि मंत्री स्टाफ में सालों से पदस्थ अधिकारी- कर्मचारियों की भाजपा के ही नेता-कार्यर्ताओ से शिकायतें की थी। उनका कहना था कि सालों से ये कर्मचारी कार्यकर्ताओं की नहीं सुनते। इसके अलावा कई विशेष सहायक से लेकर निज सहायकों पर आरोप भी लगे थे। इसके चलते संगठन ने मंत्रियों के पुराने स्टाफ को फिर से उन्हें न देने का निर्णय लिया था पर इसका पूर्ण रूप से पालन नहीं हो पाया। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने नई सरकार के गठन के बाद मंत्रियों के यहां पहले काम कर चुके अधिकारियों और कर्मचारियों की पोस्टिंंग पर रोक लगा दी थी। इससे संबंधित नस्ती मंजूर नहीं किए जाने के बाद कई मंत्रियों के स्टाफ में ये अधिकारी-कर्मचारी काम कर रहे थे लेकिन ,अब सीएम यादव ने इन अफसरों, कर्मचारियों की पद स्थापना पर सहमति दे दी है। गौरतलब है कि सत्ता और संगठन की कोशिश थी, कि इस बार मंत्रियों के स्टाफ में नए और अविवादित अधिकारियों और कर्मचारियों को रखा जाए। लेकिन भाजपा संगठन की नीति मंत्रियों की जिद के आगे भारी पड़ी है। अधिकांश मंत्रियों के यहां उनकी पसंद का स्टाफ नियुक्त हो गया है। एक-एक करके इनके आदेश जारी हो रहे हैं। दिलचस्प यह है कि जब इनकी पदस्थापना के आदेश नहीं जारी हुए थे, तब भी ये उन्हीं मंत्रियों के यहां काम देख रहे थे।
फिर पुराने कर्मचारी बने विशेष सहायक
शिवराज सरकार में मंत्रियों के विशेष सहायक, ओएसडी और निज सचिव रहे अधिकारियों तथा कर्मचारियों से फिर जुगाड़ लगाकर मोहन सरकार में मंत्रियों के विशेष सहायक और ओएसडी बनने जीएडी से आदेश करवा लिए है। जबकि पार्टी हाईकमान ने पुराने लोगों को नहीं रखने के निर्देश दिए थे। मंत्रालय में शीघ्र लेखक शिव दयाल हरोड़े को कृषि मंत्री ऐदल सिंह कंसाना का निज सचिव बनाया गया है। वे पिछले सात महीनों से कंसाना का काम देख रहे थे। हरोड़े पिछले 25 सालों से मंत्रियों के यहां पदस्थ हैं। वे पूर्व में मंत्री गौरीशंकर बिसेन, कमल पटेल और कमलनाथ सरकार में मंत्री लाखन सिंह यादव के स्टाफ में भी रह चुके है। इसी तरह कृष्णा गौर के निज सचिव बनाए गए के के सिंह बघेल भी उन कर्मचारियों में शामिल हैं, जिनका अधिकांश वक्त मंत्री स्टाफ में बीता है। वे पहले पूर्व सीएम स्वर्गीय बाबूलाल गौर के यहां रह चुके है। पिछली सरकार में मंत्री अरविंद भदौरिया के निज सचिव थे। राज्यमंत्री प्रतिमा बागरी के निज सहायक बने अजय सक्सेना पिछली सरकार में पूर्व मंत्री बिसाहूलाल सिंह के स्टाफ में थे। वे उससे पहले विश्वास सारंग के स्टाफ में भी रह चुके हैं।
एमएसएमई मंत्री चैतन्य काश्यप के स्टाफ में पदस्थ किए गए विमल गुप्ता इससे पहले मंत्री इंदर सिंह परमार के यहां पदस्थ थे, वे पूर्व मंत्री पारस जैन के स्टाफ में भी रह चुके हैं। मंत्रियों की मर्जी के चलते उनके स्टाफ में पुलिस कर्मचारियों को भी पदस्थ कर दिया है। स्कूल शिक्षा मंत्री राव उदयप्रताप सिंह के स्टाफ में 36 वी बटालियन बालाघाट के आरक्षक अंशुल शर्मा को सहायक ग्रेड तीन पर पदस्थ कर दिया गया है। इसी तरह ग्रामोद्योग मंत्री दिलीप जायसवाल के स्टाफ में सहायक उपनिरीक्षक गौरव बडग़ोती को निज सहायक बनाया गया है। इसके बावजूद तहसीलदार पीसी जैन, विस के प्रतिवेदक बसंत कुमार बाथरे जैसे लोग मंत्रियों के विशेष सहायक बन गए हैं। जीएडी द्वारा जारी आदेश में महिला एवं बाल विकास विभाग के संयुक्त संचालक महेंद्र द्विवेदी को नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा मंत्री धर्मेंद्र शुक्ला का विशेष सहायक बनाया है। महिला बाल विकास के ही सहायक संचालक सत्शुभ्र मिश्रा को उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार का ओएसडी बनाया गया है।
राप्रसे के अधिकारी एवं पीएचई के अवर सचिव जीवन सिंह रजक को राज्यमंत्री धर्मेंद्र सिंह लोधी का विशेष सहायक पदस्थ किया है। एमएल राठौर को खाद्य मंत्री गोविंद सिंह राजपूत का निज सचिव बनाया है। वहीं श्रम विभाग के वरिष्ठ प्रतिवेदक आलोक सारस्वत को पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद पटेल का निज सचिव पदस्थ किया है। मूलपद तहसीलदार और वर्तमान में प्रभारी डिप्टी कलेक्टर पीसी जैन को राज्यमंत्री लखन पटेल का विशेष सहायक पदस्थ किया गया है। पटेल के यहां एनके प्रजापति को निज सचिव बनाया है। पीसी जैन इसके पहले मंत्री रहे गोविंद सिंह राजपूत और रामपाल सिंह के यहां पदस्थ रहे हैं। विधानसभा के प्रतिवेदक बसंत कुमार बाथरे को राज्यमंत्री दिलीप जायसवाल की निज पदस्थापना में विशेष सहायक पदस्थ किया है। वहीं खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड के सहायक प्रबंधक छगनलाल रावत को अनुसूचित जाति मंत्री नागर सिंह चौहान के निज स्टाफ में निज सचिव पदस्थ किया है। जीएडी ने कई कर्मचारियों को मंत्रियों का निज सचिव और निज सहायक भी पदस्थ किया है।
मंत्रियों को मिला पसंद का स्टाफ
डॉक्टर मोहन यादव सरकार बनने के बाद तय किया गया था कि जिन मंत्रियों के यहां पुराना स्टाफ है वह उनके यहां काम नहीं करेगा। मंत्री स्थापना में अधिकांश उन अधिकारी-कर्मचारियों की विशेष सहायक, निज सचिव और निज सहायक अथवा लिपिकों की पदस्थापना की जाएगी, जो अब तक मंत्रियों के यहां पदस्थ नहीं रहे। यह निर्णय एक वरिष्ठ मंत्री के यहां ऐसे विशेष सहायक की पदस्थापना होने के बाद लिया गया था जो लोकायुक्त जांच में दोषी पाया गया था। इसके बाद सामान्य प्रशासन विभाग ने मंत्रियों द्वारा मांगे गए स्टाफ की फाइल यह कहकर लौटा दी थी, कि वे नए लोगों के नाम भेजें। मंत्रियों से यह भी कहा गया था कि उन नामों को वरीयता दें जो कभी मंत्री स्टाफ में नहीं रहे। हालांकि इसके पहले उपमुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ला के यहां निज सचिव के रूप में आनंद भट्ट और निज सहायक के रूप में सुधीर दुबे की पदस्थापना आदेश जारी हो चुके थे। इसी तरह जगदीश देवड़ा के स्टाफ में अशोक डहारे को निज सचिव और देवेन्द्र मालवीय को निज सहायक बनाने के आदेश जारी हो चुके थे। संगठन की मर्जी के बाद इस निर्णय का आंशिक पालन भी हुआ और कुछ नए लोगों को मंत्री स्टाफ की पदस्थापना में भेजा गया, पर अधिकांश मंत्रियों के यहां पुराने चेहरे ही अघोषित रूप से काम देखते रहे। दिलचस्प यह है कि सात महीनों तक अधिकांश कई मंत्रियों ने बिना निज सचिव और निज सहायक के अपना काम निपटाया।

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