एक पखवाड़े बाद भी नहीं हो रहा वेतन का इंतजार समाप्त

नगरीय निकाय

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश के 413 नगरीय निकाय के अधिकारी-कर्मचारियों का एक पखवाड़े बाद भी वेतन का इंतजार समाप्त होने का नाम ही नहीं ले रहा है। इसकी वजह है वित्तीय कुप्रबंधन और सरकार द्वारा की गई चुंगी क्षतिपूर्ति के तौर पर मिलने वाली राशि में कटौति। इसी वजह से ही प्रदेश में अधिकांश निकायों में बीते एक साल से कर्मचारियों को समय पर वेतन तक नहीं मिल पा रहा है। जुलाई जैसे माह में समय पर वेतन नहीं मिल पाने की वजह से निकायों के कर्मचारियों को गंभीर आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है। रोजमर्रा के घरेलू खर्च के अलावा इसी माह बच्चों की पढ़ाई पर भी एक बड़ी राशि खर्च करनी होती है। जिसकी वजह से कर्मचारियों को परिवार का खर्च चलाने में परेशानी आ रही है। इन कर्मचारियों के संगठन का कहना है कि इसकी सबसे बड़ी वजह है, शासन द्वारा की जाने वाली कटौती। शासन हर माह चुंगी क्षतिपूर्ति के तौर पर निकायों को हर महीने राशि देता है। इस मिलने वाली  राशि से ही निकायों में कर्मचारियों के वेतन और भत्तों का भुगतान होता है।  समय के साथ कर्मचारियों की संख्या के साथ ही वेतन और भत्तों में तो बढ़ोत्तरी हो गई है, लेकिन शासन से मिलने वाली राशि में बढ़ोत्तरी होना तो ठीक उलटे कटौती करना जरुर शुरू कर दिया है। इस की जाने वाली कटौती से बिजली के बिलों की बकाया राशि का भुगतान कर दिया जाता है। इस वजह से निकायों का पेमेंट सिस्टम बुरी तरह गड़बड़ा गया है। राजधानी की ही बात करें तो 15-20 तारीख के बाद वेतन बंट पा रहा है। दैनिक वेतन भोगियों को भी हर महीने की पांच तारीख तक भुगतान के निर्देश पर भी अमल नहीं हो पा रहा है। यही वजह है कि इससे परेशान होकर भोपाल नगर निगम के कर्मचारियों द्वारा हाल ही में कटोरा लेकर प्रदर्शन तक किया जा चुका है। इस मामले में कर्मचारियों का कहना है कि उनके द्वारा बच्चों की पढ़ाई, रोजमर्रा के खर्चों और कर्ज चुकाने में आ रही दिक्कतों के बारे में अधिकारियों को भी बताया जा चुका है। उधर, निकाय कर्मचारियों की नाराजगी को देखते हुए अब संचालक नगरीय प्रशासन प्रशासन विभाग द्वारा कर्मचारियों को बातचीत के लिए कल बुधवार को बुलाया गया है।
यह भी एक वजह
नगरीय निकायों की आर्थिक स्थिति खराब होने की एक बड़ी वजह है, करों की वसूली में लापरवाही की जाना। अगर निकाय उपभोक्ताओं से लिए जाने वाले करों की समय पर पूरी वसूली कर लें तो , फिर उनके खजाने की हालत सुधर सकती है। इस पर निकाय ध्यान ही नहीं देते हंै। इसके उलट कई ऐसे मदों में राशि खर्च कर दी जाती है, जिसे फालतू खर्च के रुप में देखा जाता है।

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