दिग्गजों की ‘पट्ठागिरी’ पर नकेल

  • कांग्रेस अब प्रदेश में चलाएगी संगठन सृजन अभियान

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में कांग्रेस संगठन को मजबूत करने, सक्रिय और संगठित नेताओं को मुख्यधारा में लाने के लिए अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी द्वारा मप्र को संगठन सृजन अभियान में शामिल करने की घोषणा कर दी गई है। इसके साथ ही प्रदेश के हर जिले के लिए पर्यवेक्षक की भी नियुक्ति हो गई है। अब पर्यवेक्षक की रिपोर्ट के आधार पर कांग्रेस के सभी शहर और जिला अध्यक्ष नियुक्त किए जाएंगे। नियुक्ति की यह प्रक्रिया 50 दिन के अंदर पूरी हो जाएगी। यानी अब तक प्रदेश कांग्रेस में जिन दिग्गज नेताओं की ‘प_ागिरी’ चलती थी उन पर एक तरह से नकेल कस दी गई है। दरअसल, कांग्रेस ने संगठन को जमीनी स्तर पर मजबूत करने के लिए व्यापक योजना पर काम शुरू किया है, जिसका खाका तैयार करने में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा की अहम भूमिका है। साल 2025 को संगठन सृजन वर्ष घोषित करते हुए कांग्रेस पार्टी ने अपने संगठनात्मक ढांचे को जमीनी स्तर पर मजबूत करने के लिए व्यापक योजना पर काम शुरू किया है। इस योजना के तहत कांग्रेस अब पहले जिला, फिर प्रदेश की रणनीति को अपनाते हुए संगठन को विकेंद्रीकृत और प्रभावी बनाने की दिशा में आगे बढ़ रही है। पिछले महीने 9 अप्रैल को अहमदाबाद में हुए कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन में संगठन सृजन के गुजरात मॉडल को सराहा गया था। इसके बाद संगठन सृजन के मॉडल के आधार पर गुजरात में कांग्रेस संगठन का पुनर्गठन हो रहा है।
मप्र आलाकमान की प्राथमिकता में
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े द्वारा मप्र में संगठनात्मक पुनर्गठन की दिशा में बड़ा निर्णय लेते हुए जिला कांग्रेस अध्यक्षों की नियुक्ति हेतु एआईसीसी पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की गई है। यह पहल गुजरात मॉडल की तर्ज पर लागू की जा रही है, जिसे कांग्रेस संगठन के लिए प्रभावी माना गया है। इस अभियान का नाम संगठन सृजन अभियान रखा गया है, जिसका उद्देश्य कांग्रेस पार्टी की जड़ों को गांव-गांव तक मजबूत करना, कार्यकर्ताओं को सक्रिय भूमिका में लाना तथा संगठनात्मक ढांचे को नए नेतृत्व के साथ सशक्त बनाना है। प्रदेश कांग्रेस के संगठन महामंत्री डॉ. संजय कामले ने बताया कि दिल्ली के पर्यवेक्षक प्रदेश के सभी जिलों में जाकर संगठनात्मक स्थिति का मूल्यांकन करेंगे, स्थानीय कार्यकर्ताओं, ब्लॉक एवं जिला स्तरीय नेताओं से संवाद करेंगे। वे निष्पक्षता व क्षमता के आधार पर नए जिला अध्यक्षों की नियुक्ति की सिफारिश करेंगे।
 आम कार्यकर्ता को पार्टी में तवज्जो
मप्र कांग्रेस के  प्रदेश पदाधिकारी ने बताया कि गुजरात मॉडल से क्षत्रपों का वर्चस्व कुछ हद तक खत्म हो जाएगा। आम कार्यकर्ता को पार्टी में तवज्जो मिलेगी।  कांग्रेस पार्टी अब जिला अध्यक्षों को केवल संगठन संचालन तक सीमित नहीं रखना चाहती, बल्कि उन्हें चुनावी उम्मीदवारों के चयन में भी अहम भूमिका देने पर विचार कर रही है। प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनावों में उम्मीदवारों के चयन में जिला अध्यक्षों की राय निर्णायक होगी। पार्टी का दावा है कि संगठन सृजन के इस मॉडल के आधार पर संगठन पदाधिकारियों की नियुक्तियों होने के बाद निकट भविष्य में होने वाले चुनावों में टिकट चयन में जिलाध्यक्षों की सिफारिश निर्णायक होगी।
 गुटबाजी से मुक्त करने के प्रयास
दशकों से गुटबाजी की शिकार मप्र कांग्रेस संगठन में निकट भविष्य में व्यापक उलटफेर देखने को मिल सकता है। यदि केंद्रीय नेतृत्व की चली तो मप्र कांग्रेस में नेताओं का एकाधिकार खत्म हो जाएगा। पार्टी के आम कार्यकर्ता को खास जिम्मेदारी मिलेगी। इसके लिए पार्टी ने गुजरात मॉडल पर काम करना शुरू कर दिया है। जिसके तहत रविवार को 30  केंद्रीय पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की गई है। जल्द ही मप्र में संगठन सृजन के लिए अन्य पदाधिकारी भी तैनात किए जाएंगे। वहीं मप्र कांग्रेस कमेटी भी अलग से पर्यवेक्षक नियुक्त करेगी। इन पदाधिकारियों को अलग-अलग जिले की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी, जो ब्लॉक स्तर पर पहुंचकर जिलाध्यक्ष के दावेदारों के नाम खोजकर पार्टी नेतृत्व को सौंपेंगे।  संगठन सृजन की नई पहल का मुख्य उद्देश्य कांग्रेस संगठन में चली आ रही आंतरिक गुटबाजी को खत्म कर जिला अध्यक्षों को सशक्त बनाकर संगठन का विकेंद्रीकरण करना है। दरअसल, कांग्रेस संगठन में गुटबाजी के चलते अब तक प्रदेश अध्यक्ष या उतने जुड़े लोग ही प्रदेश में जिला अध्यक्ष बनाए जाते रहे हैं। ऐसे में जमीनी स्तर पर  जिलाध्यक्ष पार्टी की बजाय किसी एक नेता या गुढ़ के इशारों पर काम करते हैं। 2020 में मप्र में कांग्रेस की सरकार गिरना भी इसी गुटबाजी का परिणाम माना जाता है। 6 मंत्री समेत 24 विधायक पार्टी से इस्तीफा देकर ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ भाजपा में चले गए थे।
गुजरात मॉडल पर काम
गुजरात मॉडल में हर एआईसीसी पर्यवेक्षक को एक-एक जिला सौंपा जाएगा। उनके साथ चार-चार प्रदेश ऑब्जर्वर भी होंगे, जो ब्लॉक स्तर तक जाकर संभावित जिला अध्यक्षों के नामों पर चर्चा करेंगे। इन चर्चाओं की निगरानी एआईसीसी पर्यवेक्षक करेंगे और जमीनी फीडबैक के आधार पर रिपोर्ट पार्टी आलाकमान को सौंपी जाएगी। इसके बाद पार्टी का केंद्रीय संगठन जिला अध्यक्ष की नियुक्ति करेगा। यह अभियान न केवल एक नियुक्ति प्रक्रिया है, बल्कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं को फिर से संगठित करने, उन्हें सम्मान और भूमिका देने का एक सुनियोजित प्रयास है। इससे संगठन की निचली इकाइयां भी सक्रिय होंगी और आमजन तक कांग्रेस के विचारों व नीतियों को प्रभावशाली ढंग से पहुंचाया जा सकेगा। उन्होंने बताया कि आगामी कुछ दिनों में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पर्यवेक्षकों की नियुक्ति भी की जाएगी, जो दिल्ली के पर्यवेक्षकों के साथ समन्वय बनाकर इस प्रक्रिया को पारदर्शी, प्रभावी और समयबद्ध रूप से पूर्ण करेंगे। कांग्रेस द्वारा संगठन सृजन अभियान के तहत सुनिश्चित किया जाएगा कि प्रत्येक नियुक्ति जनसरोकार, जमीनी सक्रियता और संगठन के प्रति प्रतिबद्धता के आधार पर हो। यह कदम मध्यप्रदेश में कांग्रेस संगठन को नई ऊर्जा और दिशा देने का कार्य करेगा।

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