
भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। देशभर में लहसुन उत्पादन में पहले नंबर पर रहने वाले मध्य प्रदेश के किसानों के लिए इस बार यही फसल मुसीबत बन गई है। इस साल भी यह फसल बहुत अच्छी रही है, जिसकी वजह से फसल के दाम गिर गए हैं और अब तो खरीददार भी नहीं मिल रहे हैं। बाजार में इस फसल के दाम थोक में तीन रुपए किलो मिल रहे हैं। मध्यप्रदेश में यह लहसुन की मुख्य फसल मालवा और महाकौशल क्षेत्र में होती है। उद्यानिकी विभाग के आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में फिलहाल लहसुन का रकबा 1 लाख 83 हजार 710 हेक्टेयर है।
इसमें 18 लाख 69 हजार 403 मीट्रिक टन का उत्पादन होता है। ऐसे में प्रति हेक्टेयर 10.18 टन औसत उत्पादन होता है। बीते साल तक इस फसल के अच्छे दाम मिलते थे, जिसकी वजह से इसके रकबे में लगतार वृद्धि हुई है। कृषि जानकारों की माने तो अच्छे दाम मिलने से किसानों ने एक साल में इस फसल का रकबा पांच गुना तक बढ़ाया, जिसकी वजह से फसल का उत्पादन तो बढ़ गया, लेकिन उसके दाम एकदम से नीचे आ गए। इसकी वजह से अब किसानों को फसल की लागत मिलना तक मुश्किल हो गया है। इस मामले में तमाम किसान संगठनों का कहना है कि सरकारों ने इसके लिए कारगर रणनीति नहीं बनाई, जिसकी वजह से यह हालात बन गए हैं। उल्लेखनीय है कि करीब दस साल पहले भी ऐसे ही हालात बन गए थे, जिसकी वजह से किसानों ने लहसुन जलाया था। आज भी बाजार में फसल लाने का किराया तक नहीं निकल पा रहा है।
इस वजह से बिगड़े हालात
इस बार अच्छे दामों की अपेक्षा में किसानों ने पूरे खेत में इस बार लहसुन की फसल लगा दी, लेकिन मौसम की वजह से फसलों में रोग से गुणवत्ता खराब हुई, दाम गिर गए। जमा किए लहसुन में बारिश में फफूंद लग गई, जिससे उसकी गुणवत्त प्रभावित हुई। भंडारण व्यवस्था सही नहीं होने से फस्ल खराब हो गई। इस समस्या पर सरकारों ने ध्यान नहीं दिया। भारतीय किसान संघ के राष्ट्रीय प्रचार प्रमुख डॉ. राघवेंद्र सिंह पटेल ने कहा, दो साल में लहसुन का रेट 10 हजार प्रति क्विंटल तक मिला, इसलिए किसानों ने पूरे रकबे पर खेती की। वेयरहाउस में रखा माल भी आ गया और नई फसल भी आ गई। इसलिए दाम गिर गए।
नदी में फेंका
लहसुन के भाव नहीं मिलने से परेशान पडिय़ाला गांव के किसानों का नदी में लहसुन के बोरे फेंकते वीडियो वायरल हो रहा है। दिलीप सिंह राजपूत वाहन से 50 बोरी लहसुन लेकर भोपाल मंडी पहुंचे। भाव 300 रुपए प्रति क्विंटल मिला तो पार्वती नदी में फेंक दिए।