कर्मचारियों की कमी से बिगड़ा सरकारी महकमों का सिस्टम

 सरकारी महकमों

भोपाल/राजीव चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। मध्यप्रदेश ऐसा राज्य बन चुका है जहां पर सरकार के कुप्रबंधन की वजह से पूरा सरकारी सिस्टम ही लगातार खराब होता जा रहा है। तमाम विभागों को कर्मचारियों और अफसरों की कमी से दो चार होना पड़ रहा है, जिसकी वजह से न केवल विभागों का कामकाज प्रभावित हो रहा है, बल्कि कर्मचारियों पर भी लगातार काम का बोझ बढ़ता जा रहा है। दरअसल इसकी वजह है सरकार द्वारा कई सालों से रिक्त पदों पर अधिकारियों व कर्मचारियों की भर्ती नहीं होने के साथ ही पदोन्ननति न किया जाना।
इस कमी को कोरोना संक्रमण ने और बढ़ा दिया है। इस सक्रमंण की चपेट में आने से सैकड़ों कर्मचारियों को असमय ही मौत का शिकार होना पड़ा है। कुल मिलाकर कोरोना की दूसरी लहर में ही कर्मचारियों की मौतों और हर माह रिटायर होने वाले करीब 12 सौ अधिकारियों कर्मचारियों की कमी ने इस मामले में और अधिक सरकारी दफ्तरों का सिस्टम बेपटरी कर दिया है।
अगर जल्द ही इस गंभीर समस्या से निपटने के लिए कदम नहीं उठाए गए तो आने वाले महीनों में सरकार की काम चलाने के लिए आउटसोर्सिंग एजेंसियों पर निर्भरता बढ़ जाएगी। इससे न केवल सरकार की जनसुविधाओं वाली योजनाओं पर विपरीत असर पड़ेगा, बल्कि गंभीर मामलों की गोपनीयता पर भी संकट खड़ा हो जाएगा। यह बात अलग है कि कोरोना की दूसरी लहर में दिवंगत कर्मचारियों के लिए मुख्यमंत्री कोविड 19 अनुकम्पा नियुक्ति योजना और मुख्यमंत्री कोविड 19 विशेष अनुग्रह योजना शुरू की है। इन योजनाओं के तहत सरकार के पास करीब ढाई हजार आवेदन मिले हैं।
सरकार के तमाम प्रयासों के बाद भी लोगों को समय पर सेवाएं नहीं मिल पा रही हैं। इस वर्ष मार्च माह से लगातार कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति होने से करीब 20 हजार कर्मचारी रिटायर हो चुके हैं। इसके अलावा हर माह औसत 1200 कर्मचारी प्रदेश में सेवानिवृत्त हो रहे हैं। उधर कोविड 19 अनुकम्पा नियुक्ति और विशेष अनुग्रह योजना के मामलों के लंबित होने की वजह से परेशानी और बढ़ती जा रही है।  
चल रहे हैं एक लाख पद रिक्त
लगातार सेवानिवृत्त हो रहे अधिकारियों व कर्मचारियों की वजह से प्रदेश में अब तक करीब एक लाख पद रिक्त हो चुके हैं। इनमें से पचास हजार पद तो ऐसे हैं , जिनमें तत्काल ही कर्मचारियों की आवश्यकता बनी हुई है। इसके बाद भी प्रदेश में बीते तीन सालों से भर्ती नहीं की जा रही है। खास बात यह है कि जिन विभागों में बड़ी संख्या में पद रिक्त हैं उनमें राजस्व, गृह, जेल, शिक्षा जैसे विभाग शामिल हैं। अकेले इन विभागों में ही करीब 40 हजार से अधिक पद रिक्त चल रहे हैं। इन विभागों के तहत ही आवश्यक सेवाएं आती हैं। यह बात अलग है कि हाल ही में स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर जरुर कुछ पदों पर भर्ती की प्रक्रिया शुरू की गई है।  
कोरोना से मौत के मामलों में यह हैं हालात
कोविड 19 विशेष अनुग्रह योजना में आए आवेदनों से ही पता चलता है कि सबसे अधिक 65 कर्मचारियों की मौत बालाघाट में हुई है। धार में 55, इंदौर में 50, भोपाल में 45, छिंदवाड़ा व सागर में 32-32, सिवनी में 31 समेत कुल 956 आवेदन मिले हैं। इनमें से अब तक 772 आवेदन पर कोई भी कार्रवाई ही नहीं की गई है। इसी तरह से अगर विभागवार रिपोर्ट देखें तो स्कूल शिक्षा विभाग के 411, आदिम जाति कल्याण विभाग के 165, वन विभाग के 42 कर्मचारियों की मौत हुई है। यह उन कर्मचारियों के आवेदन की स्थिति है जो शासकीय सेवा में नियमित नहीं हुए थे। इसी तरह से अनुकम्पा नियुक्ति योजना के  भोपाल में 110, धार में 93, खरगोन में 64, बड़वानी में 59, छिंदवाड़ा में 56, बालाघाट में 52, इंदौर व सिवनी में 49-49, जबलपुर में 47, सागर व झाबुआ में 45- 45 शासकीय कर्मचारियों अधिकारियों की मौत की पुष्टि आधिकारिक रुप से होती है। इनकी संख्या कुल 1561 है। इस योजना में विभागवार रिपोर्ट को देखें तो स्कूल शिक्षा के 497, आदिम जाति कल्याण के 262,जल संसाधन के 93, वन विभाग के 75, लोक निर्माण के 59, उच्च शिक्षा विभाग के 52 सहित कुल 1561 अधिकारियों कर्मचारियों की मौत कोरोना की दूसरी लहर से हुई है। इनमें से 1190 दिवंगतों के परिजनों को अनुकंपा नियुक्ति का अभी भी इंतजार बना हुआ है।

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