
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में कई दिनों से लगातार हो रही बारिश की वजह से अधिकांश इलाकों में हाहाकार मचा हुआ है। इस बीच प्रदेश के दोनों दलों के ग्वालियर -चंबल अंचल से आने वाले कद्दावर नेता एक स्वर में अफसरशाही को जिम्मेदार बता रहे हैं। इस मामले में पूर्व मंत्री और वरिष्ठ राजनेता गोविंद सिंह ने खुलासा किया है कि भिंड और दतिया जिले में आयी बाढ़ की वजह अधिक बारिश नहीं बल्कि, यहां स्थित तीन बांधों से पानी छोड़ा जाना है। उधर प्रदेश सरकार में वरिष्ठ मंत्री यशोधराराजे सिंधिया इस मामले में भू माफिया को दोषी बता रही हैं।
बाढ़ के बने खतरनाक हालातों के बीच इलाके के कद्दावर नेताओं में शुमार गोविंद सिंह का कहना है कि जिन तीन बांधों से अचानक बेहद अधिक पानी छोड़े जाने से यह हालात बने हैं उनमें मड़ीखेड़ा, हरसी और मोहिनी सागर डैम। दरअसल यह तीनों ही बांध अपनी क्षमता से अधिक भरे हुए हैं। लगातार बारिश होने की वजह से उनमें भी तेजी से पानी आ रहा है। उनका आरोप है कि इन बांधों से पानी छोड़े जाने की सूचना तक स्थानीय प्रशासन ने लोगों को नहीं दी और एक साथ भारी मात्रा में पानी छोड़ दिया गया, जिससे बाढ़ की गंभीर स्थिति बन गई। उधर, बाढ़ को लेकर अब भाजपा की शिव सरकार पर उनके ही मंत्री और नेताओं द्वारा निशाना साधने वाले बयान देकर मुश्किलें खड़ी की जाने लगी है।
शिव सरकार की वरिष्ठ मंत्री और शिवपुरी से विधायक यशोधरा राजे सिंधिया ने तो ग्वालियर-चंबल में आई बाढ़ की बड़ी वजह भू-माफिया को बता दिया है। उनका साफतौर पर कहना है कि तालाबों में कॉलोनियां और नालों पर अतिक्रमण कर मकान बनेंगे तो बाढ़ जैसे हालातों का तो सामना करना ही पड़ेगा। यशोधरा का यह बयान अपने आप में ही सरकार की कार्यशैली पर प्रश्र चिन्ह लगाने के लिए काफी है। इसकी वजह है प्रदेश में बीते डेढ़ दशक से अधिक समय से भाजपा की सरकार है और इस अवधि में लगातार यह दावा किया जाता रहा है कि प्रदेश में भू-माफिया के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है। उनका आरोप है कि जिस जगह पर रियासत कालीन ताल-तलैया हुआ करते थे, उस जगह पर भूमाफिया ने अतिक्रमण कर अब कॉलोनी खड़ी कर दी हैं। उनका साफतौर पर कहना है कि अगर तालाबों में कॉलोनी काटी जाएंगी तो इस तरह के हालात तो बनना ही हैं। उनका कहना है कि मौजूदा हालातों में हमें अब यह देखना होगा कि कहां-कहां तालाबों में कॉलोनियां काटी गई हैं और नालों पर मकान कैसे बन गए हैं। उल्लेखनीय है कि पूर्व में भी कई बार उनके द्वारा सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए जा चुके हैं।
उन्हें प्रदेश सरकार की ऐसी मंत्री के रुप में जाना जाता है, जो अपनी बात बड़ी बेबाकी से रखती हैं। उल्लेखनीय है कि बीते डेढ़ दशक के दौरान प्रदेश में भू माफिया बड़ी तेजी से फला-फूला है। इसकी बड़ी वजह है सरकारी स्तर पर उन्हें न केवल संरक्षण मिला है, बल्कि उसमें कई सत्तारुढ़ दल के नेताओं की भी भागीदारी रही है। इस मामले में कांग्रेस की नाथ सरकार बनने के बाद जरूर पूरे प्रदेश में प्रभावी कार्रवाई देखने को मिली थी , लेकिन सूबे की सरकार बदलने के बाद यह कार्रवाई पूरी तरह से बंद हो चुकी है। अब सिर्फ उन मामलों में ही अतिक्रमण तोड़े जाने का कदम उठाया जा रहा है, जो किसी बड़ी वारदात करने वाले बदमाशों से जुड़े हुए हैं। इनमें भी सिर्फ उन्हें ही तोड़ने की कार्रवाई की जाती है, जो अब किसी बड़ी घटना को अंजाम देते हैं। हद तो यह है कि अकेले भोपाल में ही ऐसे दर्जनों नाले हैं, जहां पर कब्जा कर स्थाई निर्माण कर लिए गए हैं, लेकिन उन्हें हटाने की जगह प्रशासन सिर्फ नोटिस देकर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर रहा है।
सरकार सहित चार कलेक्टरों को एनजीटी का नोटिस
ग्वालियर-चंबल अंचल में अवैध रेत खनन से पर्यावरण को हो रहे नुकसान पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी)ने राज्य सरकार के साथ ही तीन जिलों के कलेक्टरों से जवाब-तलब किया है। एनजीटी ने चंबल और सिंधु नदियों में लगातार सामने आई अवैध रेत खनन की वारदातों और वन अमले पर रेत माफिया के हमलों की घटनाओं पर संज्ञान लेते हुए यह जवाब तलब किया गया है। जिन जिलों को नोटिस दिए गए हैं उनमें भिंड, दतिया, ग्वालियर और मुरैना जिला कलेक्टर शामिल हैं। इसके अलावा जस्टिस स्यो कुमार सिंह और डॉ. अरुण कुमार की जूरी ने अवैध रेत खनन और परिवहन को रोक पाने में सरकारी तंत्र की नाकामी पर आश्चर्य जताया है। गौरतलब है कि पूर्व मंत्री और लहार विधायक डॉ. गोविंद सिंह की ओर से दायर इस याचिका में दावा किया गया है कि अनियंत्रित रूप से रेत माफिया चंबल और सिंध नदियों में रेत खनन कर रहा है जिससे पर्यावरण को भारी नुकसान हो रहा है।
अनूप मिश्रा ने भी साधा निशाना
भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री अनूप मिश्रा ने भी मौजूदा बाढ़ के हालातों के लिए अपनी ही सरकार पर एक बार फिर से निशाना साधते हुए उसे कठघरे में खड़ा कर दिया है। उन्होंने बाढ़ से निपटने की रणनीति के मामले में अफसरों की कार्यशैली पर सवाल खड़े करते हुए उन्हें ही इन हालातों के लिए दोषी बताया है उनका कहना है कि इसकी वजह है सरकारी स्तर पर की जा रही लापरवाही। उनका स्पष्ट रुप से कहना है कि अगर हमे पहले से पता था कि इस बार भारी बारिश होगी तो फिर अधिकारियों ने पहले से ऐसे हालात से बचने के कदम क्यों नही उठाए और कोई कार्ययोजना भी क्यों नही बनाई। उनका आरोप है कि सिंचाई विभाग और मौसम विभाग का आपस में कोई तालमेल नहीं था। मिश्रा का कहना है कि उनके द्वारा इस मामले में मंत्री तुलसी सिलावट को पत्र लिखकर मांग की गई है कि इन सारी गलतियों के लिए किसी न किसी की जवाबदेही तय की जानी चाहिए कि आखिर गलती किससे हुई है। कलेक्टर, कमिश्नर और पुलिस अधिकारियों ने इस तरह के हालात बनने से पहले गांवों व बस्तियों को खाली क्यों नहीं कराया, उनका कहना है कि बाढ़ रोकने के लिए जिस पानी को डायवर्ट किया जा सकता था, उसको डायवर्ट तक नहीं किया गया। इसकी वजह से पूरे प्रदेश को इस तरह के परिणामों का सामना करना पड़ रहा है।