मध्य प्रदेश के माथे से जल्द धुलेगा कुपोषण का कलंक

कुपोषण
  • कई जिलों में तेजी से स्वस्थ हो रहे कुपोषित बच्चे

    भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में कुपोषण सबसे बड़ा कलंक है। इस कलंक को धोने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है। इसके अच्छे संकेत भी मिलने लगे हैं। प्रदेश में कुपोषित जिलों में शामिल कई जिलों की स्थिति तेजी से सुधर रही है। अभी हाल ही में कुपोषण को लेकर जारी रैंकिंग में संकेत मिले हैं कि प्रदेश में कुपोषण पर तेजी से काबू पाया जा रहा है। जारी रैंकिंग में कटनी सबसे आगे, डिंडौरी दूसरे और उज्जैन तीसरे नंबर पर आया है। प्रदेश में कुपोषण के खिलाफ लगातार जंग जारी है। सरकार ने अभी हाल ही में पोषण आहार संयंत्रों की जिम्मेदारी महिला स्व सहायता समूहों को दी है। नवंबर से महिलाएं पोषण आहार बनाने और वितरण करने लगेंगे। इससे पहले आई रैंकिंग ने यह संकेत दे दिया है कि प्रदेश के माथे से जल्द की कुपोषण का कलंक मिल सकता है।
    रतलाम और मंदसौर की स्थिति सुधरी
    प्रदेश में कई जिले ऐसे हैं जो कुपोषण के लिए जाने जाते हैं। ऐसे ही जिलों में शामिल हैं रतलाम और मंदसौर। कुपोषण को लेकर प्रदेश में रतलाम और मंदसौर की स्थिति सुधरी है। दोनों ही शहर प्रदेश के टॉप-15 शहरों में शामिल होकर ग्रीन जोन में हैं। नीमच जिला प्रदेश में 33वें नंबर होकर डार्क यलो जोन में आ रहा है। वहीं टॉप-5 में प्रदेश के जबलपुर, उज्जैन और होशंगाबाद संभाग के जिलों ने स्थान बनाया है।
    1 से 31 जुलाई के बीच स्थिति का आकंलन
    प्रदेश में कुपोषण की स्थिति का आकंलन करने के लिए 1 से 31 जुलाई के बीच नए अति कुपोषित बच्चों की संख्या की तुलना में कुल पंजीकृत अति कुपोषित बच्चे और पोषण स्तर में बदलाव की स्थिति का आकंलन किया गया है। सबसे बेहतर स्थान जबलपुर के कटनी का है, जो टॉप पर काबिज है। यहां कुल 97 अति कुपोषित बच्चों में से 71 सामान्य की श्रेणी में आ गए जो 73 प्रतिशत है। इसी आधार पर कटनी की पहली रैंकिंग बनी है। वहीं मंदसौर जिला प्रदेश में 6वें स्थान पर है, जहां 144 में से 90 बच्चे अति कुपोषित से सामान्य की श्रेणी में आ गए, जो 63 प्रतिशत है। वहीं रतलाम जिले में 182 में से 97 बच्चे सामान्य हुए हैं जो 58 प्रतिशत है, रतलाम जिला प्रदेश में 14वें नंबर पर बना हुआ है। नीमच का प्रदर्शन ठीक नहीं है, यहां 71 में से 27 बच्चे ठीक हुए, जो 38 प्रतिशत ही है। नीमच प्रदेश में डार्क यलो जोन में शामिल रहा। महिला एवं बाल विकास विभाग के डीपीओ रजनीश सिन्हा कहते हैं कि कुपोषण को लेकर रतलाम की स्थिति लगातार सुधर रही है। अभी हम ग्रीन जोन में हैं, आने वाले समय में इसमें भी निश्चित तौर पर सुधार होगा। लगातार प्लानिंग से काम किया जा रहा है।    

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