
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र की मोहन सरकार ने दूसरी बार कर्ज लिया है। मप्र सरकार ने इस बार 2500 करोड़ रुपए का लोन लिया है, ये रकम आरबीआई की तरफ से सरकारी खाते में क्रेडिट की जाएगी। सरकार ने ये लोन 16 साल के टेन्योर पर लिया है। 26 विभागों के 3 महीने का बजट तय करने के बाद आर्थिक स्थिति बिगड़ने से सरकार ने ये कर्ज लिया है। इससे पहले प्रदेश में सरकार बनते ही मोहन सरकार ने 2000 करोड़ का लोन लिया था। इस वित्तीय वर्ष में मप्र सरकार अभी तक 19500 करोड़ रुपए का कर्ज ले चुकी है।
मप्र सरकार ने बजट से पहले ही 26 विभागों को खर्च के लिए राशि आवंटित कर दी है। इन सभी 26 विभागों को खर्च के लिए 8,623 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है। ऐसे में सरकार ने बिगड़ी आर्थिक स्थिति को देखते हुए ये लोन लिया है। मोहन यादव की सरकार का गठन होने के बाद आर्थिक गतिविधियों और विकास कार्यों का हवाला देकर सरकार ने 2000 करोड़ रुपए का लिया था। ये लोन भी 16 साल के टेन्योर पर लिया गया है। ये रकम सरकार के खाते में 27 दिसंबर को क्रेडिट हुई थी।
सरकार पर 3 लाख 33 हजार करोड़ का कर्ज
2023 और 2024 में मप्र सरकार 30 हजार करोड़ का कर्ज ले चुकी है। वहीं, अब प्रदेश सरकार पर करीब 3 लाख 33 हजार करोड़ का कर्ज है। मप्र में चुनाव से पहले मध्य प्रदेश सरकार ने बड़ी रकम का कर्ज लिया था। सितंबर के महीने में मप्र सरकार ने 12,000 करोड़ रुपए का कर्ज लिया था। इसके बाद 18 अक्टूबर को 1000 करोड़ का और लोन लिया। इसके आठ दिन बाद ही फिर 2000 करोड़ रुपए का और कर्ज लिया और वोटिंग के पांच दिन बाद 22 नवंबर को 2000 करोड़ रुपए का अतिरिक्त कर्ज लिया था। चालू वित्तीय वर्ष में सरकार 10 बार कर्ज ले चुकी है। कर्ज बढ़ते-बढ़ते बजट से ज्यादा हो गया है। राज्य का बजट 3.14 लाख करोड़ का है, जबकि कर्ज 3.31 लाख करोड़ तक जा पहुंचा है। लगातार कर्ज लेने से बोझ और बढ़ रहा है।