- केंद्र में अटकी जल जीवन मिशन की 15 हजार करोड़ की राशि
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मध्य प्रदेश में जल जीवन मिशन के तहत हर घर नल से जल पहुंचाने की योजना के लिए केंद्र से सहायता मिलनी बंद हो गई है। यही नहीं जल जीवन मिशन की 15 हजार करोड़ रूपए की राशि भी केंद्र में अटक गई है। इस कारण दस महीनों से हर घर नल से जल पहुंचाने की रफ्तार मंद पड़ गई है। दरअसल, केंद्र सरकार ने मध्यप्रदेश में जल जीवन मिशन के अधूरे कामों को पूरा करने के लिए फंड देने से मना कर दिया है, जिसके बाद इस प्रोजेक्ट का सारा भार राज्य सरकार पर आ गया है। इसके बाद मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की कैबिनेट ने फैसला लिया कि 8358 अधूरी नल-जल योजनाओं को पूरा करने के लिए 9026.97 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। इसके लिए 9000 करोड़ रुपये से ज्यादा की मंजूरी दी गई है। यानी अब प्रदेश सरकार के साधनों से ही हर घर जल पहुंच रहा है।
गौरतलब है कि वर्तमान में 1.11 करोड़ घरों तक पाइप लाइन के जरिए पानी पहुंचाना है। अभी तक 79.14 लाख घरों तक पानी पहुंचाया गया है। वहीं 32.53 लाख घरों तक पानी पहुंचाना अभी शेष है। ऐसे में केंद्र सरकार से इन परियोजनाओं के लिए अप्रैल 2024 से करीब 15 हजार करोड़ रुपए का भुगतान नहीं हो पा रहा है। ऐसे में प्रदेश में हर घर नल से जल पहुंचाने की रफ्तार पिछले दस महीनों से मंद पड़ गई है। इसकी मुख्य वजह ठेकेदारों को भुगतान की गति में रुकावट है। राज्य सरकार ने परियोजना की जरूरतों का हवाला देते हुए केंद्र से इस राशि की मांग की है। केंद्र से अगर यह राशि मिल जाती है तो इससे सौ से अधिक बड़ी समूह और 14 हजार एकल परियोजनाओं की गति में तेजी आ सकेगी।
15 हजार 947 ग्रामों की योजनाएं पूर्ण
जानकारी के अनुसार, प्रदेश में अब तक 27 हजार 990 एकल ग्राम नल जल योजनाओं और 148 समूह जल प्रदाय योजनाओं की स्वीकृति प्रदान की गई है। एकल नल जल योजना में 15 हजार 947 ग्रामों की योजनाएं पूर्ण हो चुकी हैं। अब तक कुल 8 हजार 358 योजनाओं का रिवीजन किया गया है। इसके जरिए सात लाख ग्रामीण परिवारों को घरेलू नल कनेक्शन उपलब्ध कराए जाएंगे। बताया जाता है कि जल जीवन मिशन की डीपीआर योजना वर्ष 2021 में स्वीकृत हुई थी। वर्ष 2025 तक सभी घरों में नल से जल पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन केंद्र सरकार ने इस टारगेट को दो साल के लिए और बढ़ा दिया है। राज्य शासन के वित्त विभाग के पोर्टल के अनुसार जल जीवन मिशन में केंद्र सरकार से इस वर्ष 8,561 करोड़ रुपए मिलना है। लेकिन सात अक्टूबर तक राज्य को एक पैसा नहीं मिला है।
धन की कमी से योजनाओं का काम पीछड़ा
जल जीवन मिशन में 16,417 करोड़ रुपए का बजट प्रावधान किया गया है। इसमें राज्य का हिस्सा 7,856 करोड़ रुपए है। धन की कमी से मप्र में समूह जल योजनाओं का काम पीछे चल रहा है। केंद्र ने पहले एकल नल जल योजना बनाई गई थी। बाद में इसे समूह योजना में बदला गया, जिससे इसकी राशि बढकऱ आठ लाख करोड़ हो गई है। मप्र का इसमें हिस्सा 15 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा हो रहा है। प्रमुख सचिव लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग पी. नरहरि का कहना है कि मप्र प्रदेश एक मात्र ऐसा राज्य है जहां नल जल योजना की राशि बिना किसी रुकावट के जारी की जा रही है। यहां केंद्रांश की भी राशि राज्य सरकार ने अपने मद से देने का प्रावधान किया है। किसी भी ठेकेदार का कोई बिल बकाया नहीं है, निरंतर भुगतान हो रहा है।
10/10/2025
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