जीवनदायनी नर्मदा नदी में टेंट प्रजाति के कछुओं की प्रजाति खतरे में

कछुओं
  • अवैध खनन और तस्करी बन रही मुसीबत

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र के साथ ही गुजरात के लिए जीवनदायनी मानी जाने वाली नर्मदा नदी में पाए जाने वाले दुर्लभ प्रजाति के इंडियन टेंट कछुओं की प्रजाति ही समाप्त होने का खतरा तेजी से मंडरा रहा है। इसकी वजह है इस नदी से होने वाला बहुतायत अवैध रेत का खनन और कछुओं की तस्करी। अगर जल्द ही इन दोनों ही मामलों में रोक नहीं लगाई गई तो इस प्रजाति के कछुओं का जीवन ही पूरी तरह से समाप्त हो जाएगा। हालत यह है कि जिस इलाके में आसानी से इस प्रजाति के कछुए दिख जाते थे वहां तो अब वे पूरी तरह से गायब हो चुके हैं।
इन इलाको में नर्मदा-तवा नदी का संगम स्थल बांद्राभान के अलावा हरदा और खंडवा के आसपास का इलाका शामिल है। यह खुलासा हुआ है  भारतीय प्राणी सर्वेक्षण (जूलाजिकल सर्वे आफ इंडिया) के विज्ञानियों के सर्वेक्षण रिपोर्ट में। प्राकृतिक स्वच्छता कर्मी कहलाने वाले कछुए काई और शैवाल आदि खाकर जीवित रहते हैं और पानी में आक्सीजन की मात्रा को बढ़ाने का काम करते हैं। पर्यावरणविदों ने इस पर चिंता जताते हुए नर्मदा के पूरे बहाव क्षेत्र में कछुओं और उनके रहवास की तलाश कर इनके संरक्षण के प्रयास किए जाने की मांग की है।
भारतीय प्राणी सर्वेक्षण के विज्ञानी प्रत्यूष महापात्रा कछुओं पर शोध कर रहे हैं। उन्होंने पांच साल पहले साथियों के साथ जबलपुर से नर्मदापुरम, हरदा और खंडवा के नजदीक के नर्मदा के बहाव क्षेत्र में कछुओं का सर्वे किया था। इस दौरान उन्हें नर्मदापुरम और खंडवा के नजदीक नर्मदा के कई किनारों पर कछुए दिखे थे। इस वर्ष जनवरी में एक भी कछुआ नजर नहीं आया। प्रत्युष बताते हैं कि नर्मदा में टेंट पेंगासुरुआ टेंटोरिया या इंडियन टेंट टर्टल पाए जाते हैं। ये नर्मदा के पारिस्थितिकी तंत्र के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए लग रहा है कि ये कछुए खत्म होने की कगार पर हैं।
यह है विलुप्त होने की वजह
पर्यावरणविदों का कहना है कि मादा कछुआ रेत में अपने रहवास में अंडे देकर चली जाती है जो गर्मी के असर से सेये जाते हैं। नर्मदा के किनारों में रेत के अवैध खनन से इनके प्रजनन में व्यवधान हो रहा है। रेत ढुलाई के लिए भारी वाहन चलते हैं जिससे कछुओं के अधिकांश अंडे टूट जाते हैं। इसी अध्ययन के मुताबिक इस इलाके में चोरी-छुपे कछुओं की तस्करी भी हो रही है। कुछ स्वयंसेवकों ने बाजार में पूछताछ की तो मछुआरों और विक्रेताओं ने मांग पर कछुए उपलब्ध करा देने की बात कही। यह होती है  इंडियन टेंट टर्टल प्रजाति यह कछुओं की भारत और बांग्लादेश में पाई जाने वाली प्रजाति है। यह अब संकट में है इसलिए इसे शेड्यूल-वन में रखा गया है।

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