
– कल प्रदेश के 5 ननि, 40 नगर पालिका परिषद और 169 नगर परिषद में मतगणना
– बुरहानपुर और उज्जैन में नोटा ने बिगाड़ा प्रत्याशियों की हार-जीत का गणित
भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। 11 नगर निगमों सहित 133 नगरीय निकायों पर मतगणना के बाद अब भाजपा और कांग्रेस की नजर 20 जुलाई को होने वाली मतगणना पर है। दोनों पार्टियों के रणनीतिकार हार-जीत का गणित लगा रहे हैं। नगरीय निकाय निर्वाचन में 20 जुलाई को 43 जिलों के 214 नगरीय निकायों में मतगणना होगी और परिणाम घोषित किए जाएंगे। लेकिन बुरहानपुर और उज्जैन में महापौर की हार-जीत का जो समीकरण सामने आया है उससे भावी महापौर डरे हुए हैं। दरअसल, इन दोनों नगर निगमों में महापौर प्रत्याशियों की हार के आंकड़े से अधिक नोटा में वोट मिले हैं।
गौरतलब है कि बुधवार को कटनी, रतलाम, देवास, रीवा और मुरैना के महापौर का फैसला होना है। इन निगमों में भाजपा और कांग्रेस के महापौर प्रत्याशियों के बीच कांटे की टक्कर है। ऐसे में यहां के महापौर प्रत्याशी बुरहानपुर और उज्जैन के महापौर प्रत्याशियों की जीत-हार में नोटा की भूमिका को लेकर चिंतित हैं।
नोटा ने बिगाड़ा गणित
गौरतलब है की बुरहानपुर और उज्जैन नगर निगम में के महापौर प्रत्याशियों की जीत-हार में नोटा निर्णायक साबित हुआ। पहले चरण के निकाय चुनाव में 11 नगर निगमों में 32,737 मतदाताओं को कोई भी महापौर प्रत्याशी नहीं भाया। इन्होंने नोटा का ही बटन दबाया। बुरहानपुर और उज्जैन नगर निगम में तो भाजपा-कांग्रेस के जीत के अंतर से ज्यादा वोट नोटा के खाते में गए। बुरहानपुर नगर निगम में नोटा को मिले 677 वोट यदि कांग्रेस प्रत्याशी शहनाज बानों के खाते में गए होते तो शायद उन्हें हार का मुंह नहीं देखना पड़ता। यहां भाजपा प्रत्याशी माधुरी पटेल और शहनाज बानो में हार-जीत का अंतर सिर्फ 542 ही रहा। ऐसे ही उज्जैन नगर निगम में भाजपा-कांग्रेस प्रत्याशी में जीत-हार का अंतर 736 वोरों का है। यहां नोटा को 2,255 वोट मिले। यदि नोटा कांग्रेस के महेश परमार के वोट नहीं काटता तो परिस्थिति कुछ और हो सकती थी। हालांकि बाकी नगर निगमों में जीते मेयर प्रत्याशियों की जीत का अंतर काफी ज्यादा रहा। वहीं, 11 नगर निगमों सहित 133 निकायों में पार्षद पद के 2,844 प्रत्याशियों के चुनाव में 69,339 मतदाताओं ने नोटा को वोट दिया। बता दें, सूबे में कुल 1 करोड़ 4 लाख मतदाताओं में से करीब 60 फीसदी लोगों ने वोट दिया।
महिला सदस्य को बनाया बंधक
अशोकनगर में अध्यक्ष बनने के लिए जोड़-तोड़ की राजनीति शुरू हो गई है। जिला पंचायत में चुनाव जीतने के बाद नवनिर्वाचित सदस्य को एक व्यक्ति भोपाल में सम्मान कराने की बात कहकर साथ ले गया और उसे बंधक बना लिया। मामला वार्ड 6 का है। ईसागढ़ तहसील के मन्हेटी निवासी भुरियाबाई पत्नी रणवीर आदिवासी चुनाव जीतकर सदस्य बनी है। पति रणवीर ने ग्रामीणों के साथ कलेक्टर से पत्नी को बंधक बनाए जाने की शिकायत की।
सबसे ज्यादा नोटा वोट भोपाल में
नगरीय निकाय चुनाव के पहले चरण की मतगणना में जो आंकड़े आए हैं उसमें सबसे अधिक भोपाल में नोटा वोट पड़े हैं। भोपाल में नोटा के 98847 वोट पड़े हैं। वहीं ग्वालियर में 28805, इंदौर 133497, जबलपुर में 44339, उज्जैन में 736, छिंदवाड़ा में 3786, सागर में 12714, सिंगरौली में 9352, सतना में 24916, खंडवा में 19765 और बुरहानपुर में 542 वोट पड़े हैं। भोपाल, इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर के मतदाताओं ने सबसे ज्यादा नोटा का प्रयोग किया है।
नगर पालिका परिषद में भाजपा मजबूत
प्रदेश में पहले चरण के मतदान वाली 36 नगर पालिकाओं में से 26 भाजपा और 5 कांग्रेस जीती है। एक सीट पर भाजपा व अन्य को बराबर वार्ड मिले हैं। चार पालिका में भाजपा-कांग्रेस दोनों को समान वार्ड पर जीत मिली है। नगर पालिकाओं के 904 वार्ड में से 531 भाजपा, 271 कांग्रेस, 4 आप, 4 बसपा और 94 निर्दलीय और अन्य के कब्जे में हैं। वहीं, प्रदेश की 86 नगर परिषदों में से 52 पर भाजपा, 11 पर कांग्रेस का कब्जा हुआ है। 21 पर भाजपा व अन्य जीते हैं। दो परिषदों में भाजपा और कांग्रेस के पास बराबर के वार्ड हैं। नगर परिषदों के 1289 वार्ड में से 676 वार्ड भाजपा और 349 वार्ड कांग्रेस जीती है। 8 वार्ड आप, 12 बसपा और 244 वार्ड निर्दलीय व अन्य जीते हैं। वहीं दमोह जिले की पथरिया नगर परिषद के वार्ड 8 के पुरषोत्तम को एक भी वोट नहीं मिला है। यह प्रत्याशी इस वार्ड का वोटर नहीं था, वह स्वयं का भी वोट नहीं डाल पाया। वार्ड 2 के प्रत्याशी लीलाधर को केवल 2 वोट मिले।