स्कूल खाली, लेकिन विभाग में जारी है शिक्षकों के अटैचमेंट का खेल

 खाली स्कूल
  • आदेश निकालकर उसका पालन करना भूल जाते हैं अफसर

भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। विधानसभा सत्र शुरू होने की अधिसूचना जारी होते ही एक बार फिर से लोक शिक्षण संचालनालय को शिक्षकों के अटैचमेंट का ध्यान आ गया है। यही वजह है कि हर बार विधानसभा सत्र के पहले निकाले जाने वाले अटैचमेंट समाप्ती के  निर्देश एक बार फिर से जारी कर दिए गए हैं। दरअसल विधानसभा सत्र शुरू होने के पहले इस तरह के आदेश निकाले तो हर बार जाते हैं , लेकिन उस पर अमल कभी नहीं किया जाता है। यही वजह है कि प्रदेश के कई स्कूल शिक्षक विहीन हो चुके हैं , लेकिन मजाल की अटैचमेंट का सुख भोगने वाले शिक्षकों पर कोई असर पड़ा हो। हद तो यह है कि जिस कार्यालय द्वारा इस तरह का आदेश हर बार जारी किया जाता है उसी कार्यालय में ही इस पर पालन नहीं किया जाता है। अकेले लोक शिक्षण संचानालय मे ही दो दर्जन से अधिक शिक्षक इन दिनों अटैचमेंट का सुख भोगते हुए पढ़ाई कराने की जगह दूसरे काम कर रहे हैं। हाल ही में जारी किए गए निर्देश में कहा गया है कि शिक्षकों के अटैचमेंट समाप्त नहीं करने पर संबंधित डीईओ पर कार्यवाही की जाएगी। यह हाल तब हैं, जबकि स्कूल शिक्षा विभाग की नवीन स्थानांतरण नीति में शिक्षकों के अटैचमेंट समाप्त करने के स्पष्ट निर्देश है। अटैचमेंट के मामले में अकेला लोक शिक्षण ही नहीं मंत्रालय में भी यही हाल हैं। मंत्रालय में भी कई शिक्षक अटैचमेंट का सुख भोग रहे हैं , जबकि डीईओ आफिस, प्रौढ़ शिक्षा विंग, डीपीसी कार्यालय, बीआरसीसी कार्यालय में अटैच शिक्षको की तो बात ही अलग है। इन कार्यालयों में तो अटैच शिक्षकों की तो भरमार बनी हुई है।
18 हजार स्कूलों में महज एक शिक्षक
प्रदेश में शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए जरूरी शिक्षक तक मौजूद नहीं है। हालात यह हैं कि प्रदेश के 19 हजार स्कूल महज एक शिक्षक के भरोसे संचालित हो रहे हैं। सालों बाद भी हजारों की तादाद में शिक्षक अटैचमेंट और प्रतिनियुक्ति पर हैं। शिक्षक मूल विभाग को छोड़कर अन्य विभागों में पदस्थ है। अटैचमेंट खत्म होने के आदेश के बावजूद शिक्षकों को मूल विभाग में वापस लाने के आदेश बेअसर साबित हो रहे हैं। प्रदेश के करीब 12 हजार शिक्षक पढ़ाना छोड़कर गैर शैक्षिणक कार्य में लगे हैं। कई शिक्षक विभागीय कार्यालयों में बाबूगिरी कर रहे हैं। हालांकि विभाग की ओर से शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति और अटैचमेंट खत्म कर दिया गया है। अटैचमेंट और प्रतिनियुक्ति पर गए शिक्षकों को मूल संस्था में लौटने का आदेश कई बार जारी किया गया है।  कई शिक्षक जो मंत्री विधायक या अन्य विभागीय कार्यालयों में कार्य कर रहे हैं वे अब अपने मूल संस्था में लौटना नहीं चाहते हैं। शहर के कई स्कूलों में अभी दूसरे विभागों में 8 से 10 सालों से पदस्थ हैं। प्रदेशभर के ज्यादातर स्कूलों के शिक्षकों के यही हाल है अब तक अन्य विभागों में पदस्थ शिक्षक अपने विभागों में नहीं लौटे हैं।
वेतन पर रोक के निर्देश
आयुक्त द्वारा  जारी निर्देश में मंत्रालय के पत्र का हवाला देते हुए कहा है कि शिक्षकों को पूर्णकालिक रूप से गैर शैक्षणिक अथवा अन्य कार्यों में संलग्न किये जाने की स्थिति में उनके वेतन आहरण पर रोक आदि लगाए जाने के निर्देश है। निर्देशों के बाद भी अनाधिकृत रूप से कतिपय शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्यों में संलग्न किये जाने संबंधी जानकारी समय-समय पर प्राप्त होती है। उपरोक्त स्थिति को देखते हुए शिक्षकों को गैर शैक्षणिक अथवा अन्य कार्यों में संलग्न करने संबंधी प्रवृत्ति पर प्रभावी रोक लगाने की दृष्टि से विमर्श पोर्टल पर एक मॉड्यूल विकसित किया गया है। इस मॉड्यूल में यदि किन्ही शिक्षक को जिला एवं अन्य स्तर से पूर्णकालिक रूप से संलग्न किया गया है, तो संबंधित की जानकारी को अपलोड की जाएगी। माध्यमिक एवं प्राथमिक शाला के शिक्षकों की उक्त जानकारी डीईओ अथवा संकुल प्राचार्य के उनके लागिन से पोर्टल पर दर्ज करेंगे। यह जानकारी सात दिन में विमर्श पोर्टल पर अपलोड करना होगी।
जमीनी स्तर पर नहीं हो रहा आदेश का पालन
शासकीय शिक्षक संगठन के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष उपेंद्र कौशल का कहना है कि अटैचमेंट और प्रतिनियुक्ति दोनों मिलाकर प्रदेश भर में 12000 से ज्यादा शिक्षक मूल विभाग को छोड़कर अन्य विभागों में कामकाज संभाल रहे हैं। अटैचमेंट और प्रतिनियुक्ति पर गए शिक्षकों के कारण ही स्कूलों में शिक्षकों की कमी और बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। स्कूल शिक्षा विभाग की प्रमुख सचिव अटैचमेंट खत्म करने का आदेश दे चुकी हैं। हाल ही में जिला शिक्षा अधिकारी ने भी एक महीने पहले अटैचमेंट और प्रतिनियुक्ति पर गए शिक्षकों को अपने-अपने विभागों में लौटने के निर्देश दिए हैं। फिर भी जमीनी स्तर पर अधिकारियों के आदेशों का पालन करते हुए शिक्षक नजर नहीं आते हैं।

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