
रेत माफिया को खुला संरक्षण देकर करा रहे सरकार की किरकिरी…
भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। मुरैना जिले के सत्ताधारी नेता रेत माफिया को खुला संरक्षण देकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को जमकर लजवा रहे हैं। अपने फायदे के लिए यह नेता पर्यावरण नुकसान के साथ ही सरकारी राजस्व को भी खूब चूना लगवा रहे हैं। इसकी वजह से सरकार की साख को जिले और उसके आस पास के इलाकों में जमकर बट्टा लग रहा है। पूर्व की शिव सरकार में भी इन नेताओं द्वारा इसी तरह से सत्ता में होने का दुरुपयोग किया गया था, जिसकी वजह से इलाके में अधिकांश सीटों पर भाजपा को विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था। हालत यह है कि इन नेताओं के दबाव में ही सरकार ने रेत माफिया पर कार्रवाई का चाबुक चलाने वाली महिला अफसर का आखिरकार तीन माह के अल्प समय में ही तबादला करा दिया। बताया जा रहा है कि सरकार ने यह आदेश रेत माफिया और अपने ही दल के प्रभावशाली जिले के नेताओं के दबाव में जारी किया है। दरअसल वन विभाग की एसडीओ श्रद्धा पंदे्र की कार्रवाई के चलते बहुत हद तक रेत माफिया पर अंकुश लग गया था। इसके बाद रेत माफिया उनके तबादले को लेकर लामबंद हो गया था। पंद्रे के जाते ही एक बार फिर से माफिया बेखौफ होकर चंबल नदी के सीने को छलनी करने में पूरी ताकत के साथ लग गया है। अब रेत माफिया द्वारा खुलेआम भारी भरकम मशीनों से उस इलाके तक से रेत चौबीस घंटे निकाली जा रही है जहां पर कुछ दिन पहले 5 फरवरी को वन मंत्री विजय शाह ने घड़ियाल छोड़े थे। हालत यह है कि राजघाट पर नए और पुराने पुल के बीच मशीनों से खनन कर उसका अवैध रुप से परिवहन किया जा रहा है। अब हालात यह है कि जिस मार्ग से रेत परिवहन करने में माफिया को डर लगता था अब उसी मार्ग से खुलेआम रेत का परिवहन बड़े-बड़े वाहनों से किया जा रहा है। इसमें ट्रैक्टर -ट्राली के अलावा ट्रक और डंपर शामिल हैं। सबसे अहम बात यह है कि इन रेत माफियाओं को खुलेआम विधायक कमलेश जाटव और विधायक सूबेदार सिंह रजौधा जैसे नेताओं का संरक्षण मिला हुआ है। गौरतलब है कि पूर्व में रेत माफिया से मिलीभगत का जाटव और पुलिस का एक वीडियो भी वायरल हो चुका है।
पंद्रे की हिम्मत पड़ रही थी भारी
मुरैना में एसडीओ वन के पद पर पदस्थ होते ही श्रद्धा पंद्रे ने चंंबल नदी के राजघाट से अवैध खनन में लगी जेसीबी को जप्त कर चालक को हिरासत में ले लिया था। उनके पहले इस क्षेत्र में कोई भी अधिकारी कार्रवाई करने के लिए आने तक की हिम्मत तक नहीं करता था। अब एसडीओ श्रद्धा पंद्रे के ट्रांसफर की खबर आने के बाद से ही खनन माफिया फिर बेखौफ होकर राजघाट से जेसीबी से रेत खनन कर बड़ी संख्या में वाहनों से उसका अवैध रुप से परिवहन करने में जुट गया है।
3 माह में ही किया पंद्रे का तबादला
वन एसडीओ श्रद्धा पंद्रे का सरकार द्वारा महज 3 महीने में ही मुरैना से उमरिया के मानपुर उप वन मंडल अधिकारी बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व ट्रांसफर कर दिया गया। दरअसल श्रद्धा पंद्रे तीन माह के कार्यकाल में ही खनन माफिया और उनका प्रश्रय देने वाले सत्तारुढ़ दल के नेताओं की आंखों में चुभने लगी थी। दरअसल अपने अल्प कार्यकाल में ही पंद्रे ने माफिया पर ताबड़तोड़ कार्रवाई की थी। इस दौरान उन पर दर्जन भर से अधिक बार हमले भी किए गए। खास बात यह है कि कार्रवाई के दौरान उन्हें पुलिस प्रशासन का पर्याप्त सहयोग भी नहीं मिल पा रहा था। इस तीन माह की अवधि में उनके द्वारा नहीं मिलने पर उन्होंने रेत का अवैध परिवहन करने वाले 50 वाहन पकड़े थे। दरअसल पंद्रे की कार्रवाई के सबसे बड़े विरोधी भाजपा के विधायक सूबेदार सिंह रजौधा बने हुए थे।
मंत्री का दावा अवैध उत्खनन पूरी तरह बंद
रेत माफिया के पूरी तरह से सक्रिय होने के बाद भी नगरीय प्रशासन एवं आवास राज्य मंत्री ओपीएस भदौरिया का दावा है कि प्रदेश में अवैध उत्खनन पूरी तरह से बंद हो चुका है। उनका कहना है कि जहां पर भी अवैध खनन होता है, वहां शासन और प्रशासन लगातार कार्रवाई भी कर रहा है।