मप्र पर गेहूं उत्पादन में पिछडऩे का खतरा, कम हुआ रकबा

भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। कई सालों से लगातार गेहूं उत्पादन में नए रिकॉर्ड बनाने वाले मध्यप्रदेश पर इस बार इस मामले में पिछडऩे का खतरा बन गया है। इसकी वजह है प्रदेश में इसकी बुबाई में आयी भारी गिरावट। यह बात अलग है कि ऐसा उन राज्यों में भी हुआ है जो प्रदेश गेंहूं उत्पादन में अब तक शीर्ष पर बने हुए हैं। इसके इतर देश में इस बार गेहूं के रिकॉर्ड उत्पादन का अनुमान लगाया जा रहा है। अगर विशेषज्ञों की माने तो फरवरी-मार्च में मौसम सही रहा, तो 112 मिलियन टन यानि की 11.20 करोड़ टन गेहूं का उत्पादन हा सकता है।
इसकी वजह है कि देश में रबी की फसलों की बुवाई का रकबा बढ़ा है। पिछले साल के मुकाबले इस साल रबी फसलों की रकबा 22.71 लाख हेक्टेयर बढ़ा है। यह स्थिति तब है जबकि कई राज्यों में इसके रकबे में भारी कमी आयी है। 3 फरवरी तक के आंकड़ों के अनुसार, रबी की फसलें 720.68 लाख हेक्टेयर में बोई गई हैं, जो 2021-22 की इसी अवधि में 697.98 लाख हेक्टेयर में हुई बुवाई की तुलना में 3.25 प्रतिशत  अधिक है। सिर्फ गेहूं का रकबा 1.39 लाख हेक्टेयर बढ़ा है। इस बार 343.23 लाख हेक्टेयर में गेहूं की फसल है। पिछले साल यह 341.84 लाख हेक्टेयर में थी। 2020-21 में देश ने रिकॉर्ड 10.95 करोड़ टन उत्पादन हुआ था। वहीं, सरसों का रकबा इस बार 6.77 लाख हेक्टेयर बढ़ा है। पिछले साल 91.25 लाख हेक्टेयर में सरसों थी। इस बार यह 98.02 लाख हेक्टेयर में है।
किस राज्य में कितना हुआ कम
इस सीजन में जिन सात राज्यों में गेहूं का रकबा कम हुआ है उसमें मध्यप्रदेश का नाम भी शामिल है। खास बात यह है कि इनमें सबसे पहले नाम मप्र का ही आ रहा है। इसकी वजह है इन राज्यों में सर्वाधिक 4.15 लाख हैक्टेयर की कमी मप्र में बताई जा रही है। इसके अलावा झारखंड में 31 हजार, हरियाणा में 11 हजार, पंजाब में 18 हजार, हिमाचल में 10 हजार, प. बंगाल में 9 हजार , उत्तराखंड और कर्नाटक में दो -दो हजार हेक्टेयर में कम बुबाई हुई है। इसके उलट आठ राज्यों में रकबा बढ़ा है। इनमें राजस्थान में 2.52 लाख , महाराष्ट्र में 1.03 लाख , उत्तर प्रदेश में 93 हजार ,गुजरात में 43 हजार,  छत्तीसगढ़ में 47 हजार , बिहार में 94 हजार , जम्मू-कश्मीर में 9 हजार एवं असम में 3 हजार हैक्टेयर क्षेत्र में बुवाई बढ़ी है।

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