
- बढ़ रही तारीख पर तारीख…
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। जब भी कोई हादसा होता है, कोई बड़ी घटना होती है तो सरकार उसकी जांच के लिए न्यायिक जांच आयोग का गठन कर देती है। पहले तो आयोग समय सीमा में अपनी रिपोर्ट पेश नहीं कर पाता है। रिपोर्ट तैयार करने के लिए तारीख पर तारीख बढ़ानी पड़ती है। वहीं जब आयोग अपनी रिपोर्ट सौंप देता है तो उस पर कार्यवाही करने के लिए तारीख पर तारीख बढ़ाई जाती है। ऐसी ही स्थिति मप्र में गठित न्यायिक जांच आयोगों की रिपोर्ट को लेकर है। प्रदेश के अलग-अलग शहरों में पिछले 17 सालों में हुईं 8 चर्चित घटनाओं की जांच के लिए शासन ने न्यायिक जांच आयोग का गठन किया था। इनमें 7 जांच आयोग जांच प्रतिवेदन शासन को सौंप चुके हैं। लेकिन पिछले 8 से लेकर 13 साल पहले तक शासन को प्राप्त हो चुके जांच प्रतिवेदनों के आधार पर शासन स्तर से कार्यवाही अभी भी लंबित है। उल्लेखनीय है कि समय-समय पर विभिन्न घटनाओं की जांच के लिए जांच आयोग अधिनियम, 1952 की धारा-3 के प्रावधान के अंतर्गत शासन जांच आयोग गठित करता है। राज्य शासन द्वारा इसके लिए विधिवत अधिसूचना जारी की जाती है। विगत 8 फरवरी 2008 को सामाजिक सुरक्षा पेंशन घोटाले की जांच, 2010 में भोपाल यूनियन कार्बाइड जहरीली गैस रिसाव की जांच के लिए, 2012 में भिण्ड में गोली चलाए जाने की घटना, 2015 में ग्वालियर के गोसपुरा में पुलिस मुठभेड़ में मौत की घटना, 2015 में पेटलावद जिला झाबुआ में विस्फोट की घटना, 2015 में ही पेटलावद में मोहर्रम जुलूस रोके जाने की घटना, 2017 में मंदसौर की घटना एवं 2022 में लटेरी जिला विदिशा में हुई गोलीबारी की घटना की जांच के लिए जांच आयोग गठित किए गए थे। इन सात में से केवल लटेरी प्रकरण में जांच प्रतिवेदन आना शेष है। न्यायिक जांच के मामले में निर्धारित समय-सीमा में जांच नहीं होने पर मंत्रि-परिषद जांच अवधि बढ़ाने की अनुमति देता है। इसके बाद आयोग को निर्धारित समय-सीमा में रिपोर्ट देनी होती है।
इन आयोगों की रिपोर्ट पर कार्यवाही प्रचलित है
प्रदेश में आठ घटनाएं ऐसी गठित इुई हैं जिनकी जांच के लिए आयोग गठित किए गए। 8 फरवरी 2008 को सामाजिक सुरेक्षा पेंशन एवं राष्ट्रीय वृद्धापेंशन योजना की अनियमितताओं की जांच के लिए न्यायमूर्ति एनके जैन की अध्यक्षता में जांच आयोग का गठन किया गया। आयोग ने 15 सितम्बर 2012 को जांच रिपोर्ट शासन को सौंपी, प्रकरण में वर्तमान में सामाजिक न्याय विभाग में कार्यवाही प्रचलित है। 25 अगस्त 2010 को भोपाल यूनियन कार्बाइड जहरीली गैस रिसाव की जांच के लिए न्यायमूर्ति एसएल कोचरकी अध्यक्षता में जांच आयोग गठित। आयोग ने 24 फरवरी 2015 को रिपोर्ट सौंपी। प्रकरण पर वर्तमान में गैस राहत विभाग में कार्यवाही प्रचलित है। 12 जुलाई 2012 को जिला भिण्ड में गोली चलाए जाने की न्यायिक जांच के लिए सेवानिवृत्त अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश सी.पी. कुलश्रेष्ठ की अध्यक्षता में न्यायिक जांच आयोग गठित किया गया था। आयोग ने 31 दिसम्बर 2017 को अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपी। जांच प्रतिवेदन पर कार्यवाही हेतु गृह विभाग को 17 जनवरी 2018 को भेजा गया। 17 अगस्त 2015 को गोसपुरा नं. 2, मानमंदिर, ग्वालियर में पुलिस मुठभेड़ में हुई मृत्यु की जांच हेतु सेवानिवृत्त अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश सी.पी कुलश्रेष्ठ की अध्यक्षता में जांच आयोग गठित किया गया था। आयोग ने 9 जनवरी 2017 को अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपी। प्रकरण में कार्यवाही गृह विभाग में प्रचलित है। 15 सितम्बर 2015 को पेटलावद जिला झाबुआ में हुई विस्फोट की घटना की जांच के लिए उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश, आर्येन्द्र कुमार सक्सेना की अध्यक्षता में जांच आयोग गठित किया गया था। 11 दिसम्बर 2015 को जांच प्रतिवेदन मुख्य सचिव कार्यालय पहुंचा 16 अप्रैल 2016 को प्रतिवेदन गृह विभाग को भेज दिया गया। जहां प्रतिवेदन पर कार्यवाही प्रचलित है। 20 नवम्बर 2016 को पेटलावद में मोहर्रम जुलूस को रोके जाने की घटना की जांच के लिए सेवानिवृत्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश राजकुमार पाण्डेय की अध्यक्षता में जांच आयोग का गठन हुआ। आयोग ने 20 नवम्बर 2017 को अपनी जांच रिपोर्ट शासन को सौंपी। 5 जुलाई 2019 को जांच प्रतिवेदन विधनसभा पटल पर रखा गया। 12 जून 2017 को मंदसौर में घटित घटना की जांच के लिए उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश, जे. के. जैन की अध्यक्षता में जांच आयोग का गठन किया गया। जांच प्रतिवेदन शासन के पास पहुंच चुका है। 14 जून 2018 को जांच प्रतिवेदन गृह विभाग को भेजा गया। कार्यवाही प्रचलन में। 23 अगस्त 2022 और लटेरी जिला विदिशा में 9 अगस्त 2022 को हुई गोलीबारी की घटना की जांच के लिए उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश व्ही.पी.एस. चौहान की अध्यक्षता में जांच आयोग गठित किया गया। आयोग की कार्यवाही अभी प्रचलन में है।