सरकार की ब्रांडिंग के बाद भी घट गया कोदो-कुटकी का उत्पादन

कोदो-कुटकी
  • कृषि विभाग से सहायता नहीं मिलने के कारण किसानों का हो रहा मोहभंग…

भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। पौष्टिकता से भरपूर कोदो-कुटकी की खेती के लिए प्रदेश सरकार किसानों को लगातार प्रोत्साहित कर रही है। लेकिन किसानों को इसके लिए कोई सरकारी सहायता नहीं मिल रही है। इस कारण किसानों का कोदो-कुटकी की खेती से मोहभंग हो रहा है। जिसका परिणाम है कि पिछले 3 साल में कोदो-कुटकी का उत्पादन 11 हजार मीट्रिक टन घट गया है। गौरतलब है कि कोदो-कुटकी को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के लिए 2019 में विश्व व्यापार मेले में मृगनयनी एम्बोलिक द्वारा एक स्टॉल भी लगाई गई। अनूपपुर में एक दुकान भी खोली गई थी। साथ ही सरकार हमेशा कोदो-कुटकी की ब्रांडिंग की बात करती है, लेकिन इसमें दिखावा ही किया जा रहा है, क्योंकि किसानों को इसके लिए सरकारी मदद नहीं मिलती। इस कारण किसान कोदो-कुटकी की खेती से परहेज करने लगे हैं। मंडला के ग्राम नोनघटी के किसान महेश प्रसाद का कहना है कि किसानों का कहना है कि मैंने 3 एकड़ में कोदो-कुटकी की खेती की है, लेकिन स्थानीय बाजार व सही दाम नहीं मिलने की वजह से इसे व्यापारियों को बेच देते हैं। शासकीय स्तर पर खेती के लिए कोई सहायता नहीं दी जाती है।
साल दर साल कम हो रहा उत्पादन
प्रदेश में सरकार की कोशिशों के बावजूद कोदो-कुटकी का उत्पाद साल दर साल कम हो रहा है। तीन साल में उत्पादन 73 हजार से घटकर 62 हजार मीट्रिक टन रह गया है।  वर्ष  2019-20 में जहां 73 हजार मीट्रिक टन उत्पादन हुआ था, वहीं 2020-21 में 69 हजार मीट्रिक टन और 2021-22 में 62 हजार मीट्रिक टन कोदो-कुटकी का उत्पादन हुआ है। गौरतलब है कि मप्र ही नहीं, बल्कि कोदो-कुटकी का उत्पादन महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, छत्तीसगढ़ बिहार, गुजरात, उत्तरप्रदेश तथा पश्चिम बंगाल में किया जाता है।
किसानों को नहीं मिलती कोई सहायता
कृषि विभाग इसकी ब्रॉडिंग तो बहुत करता है, लेकिन आदिवासी किसानों को इसके लिए कोई मदद नहीं दी जाती, जबकि पर्यटन निगम नेशनल पार्कों के आसपास स्व-सहायता समूहों के माध्यम से ब्रॉडिंग का काम कर रहा है, जिससे विदेशी पर्यटकों को लुभाया जा सके।  लघु वनोपज संघ के  पीसीसीएफ पुष्कर सिंह का कहना है कि लघु वनोपज संघ कोदो- कुटकी को बाजार उपलब्ध कराने का काम करता है, लेकिन इसका उत्पादन आदिवासी ही करते हैं और ब्रॉडिंग का काम कृषि विभाग द्वारा किया जाता है। वहीं  उप संचालक कृषि एनडी गुप्ता का कहना है कि कोदो-कुटकी के लिए स्थानीय स्तर पर प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित करने के साथ ही आउटलेट की दुकान खोली गई है। अब तक समर्थन मूल्य और बेहतर बाजार का अभाव होने के कारण किसान ज्यादा रुचि नहीं दिखा रहे।

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