
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। टाइगर स्टेट का दर्जा पा चुके मप्र में बाघों की मौत का सिलसिला थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। हालत यह है कि अगर बीते छह माह में मरने वालों का औसत देखें तो हर माह लगभग चार बाघों की मौत हो रही है। प्रदेश में बीते छह महीने में 23 बाघों की मौत हो चुकी है। अब एक और बाघ के मौत की खबर सामने आयी है। उसका शव उमरिया के जंगल में मिला है। इसकी मौत की जो वजह बताई जा रही है, उसके मुताबिक इसकी वजह है बाघों के बीच आपसी संघर्ष।
इसमें भी अहम बात यह है कि सर्वाधिक बाघों की मौत टाइगर रिजर्व के भीतर ही हो रही है। टाइगर रिजर्व के अंदर 17 बाघों की मौत हुई। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में सबसे ज्यादा 10 बाघों की मौत हुई है। टाइगर रिजर्व और रिजर्व के बाहर बाघों की संख्या बढ़ जाने से इनके बीच टेरेटरी को लेकर संघर्ष हो रहा है। इसके चलते भी बाघों की मौत हो रही है। वन मंडल उमरिया के जंगल में जिस बाघ का शव मिला है, उसकी उम्र करीब 5 साल बताई जा रही है। शुरुआती जांच में वन अधिकारी मौत का करण आपसी संघर्ष बता रहे हैं। गौरतलब है कि प्रदेश में सबसे ज्यादा 785 बाघ हैं। अगली गणना में संख्या में और इजाफा हो सकता है। इसके चलते बाघों के बीच अपनी टेरेटरी बनाने के चलते संघर्ष भी हो रहा है। इसके अलावा टाइगर रिजर्व में शिकारी भी सक्रिय है। शिकार से भी बाघ और तेंदुओं की मौत हो रही है। इन छह महीने में देश में 73 बाघों की मौत हुई है। सबसे ज्यादा बाघों की मौत मप्र में ही हुई है।
बांधवगढ़ में शिकारी भी सक्रिय
हाल ही में बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में एक सुअर के शिकार का मामला सामने आया था। टाइगर रिजर्व की टीम ने छापामारी कर शिकार करने वाले तीन आरोपियों को भी पकड़ा था। इन आरोपियों के पास से सुअर का मांस भी जब्त किया गया था। इसके बाद शिकारियों को न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया है। देखा जाए, तो बांधवगढ़ सहित अन्य टाइगर रिजर्व में शिकारी भी सक्रिय है। करंट लगाकर और पानी में जहर मिलाकर बाघों और तेंदुओं का शिकार करने में वे पीछे नही रहते हैं।
बीते साल सर्वाधिक मौतें
बीते साल प्रदेश के टाइगर रिजर्व और टाइगर रिजर्व के बाहर 43 बाघों की मौत हुई थी। यह 2021 के बाद सबसे ज्यादा मौतें हैं। साल 2021 में 42 बाघों की मौत हुई थी। साल 2022 में प्रदेश के जंगल में 34 बाघों की मौत हुई थी। इस साल के 6 महीने में 23 बाघों की मौत हो चुकी है।