बिजली उत्पादन कंपनी को अब तक लग चुका है आठ सौ करोड़ का फटका

बिजली उत्पादन कंपनी

भोपाल/राजीव चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र पॉवर जनरेटिंग कंपनी की लापरवाही से अब तक उसे 757 करोड़ रुपए का फटका लग चुका है। यही नहीं इसके अलावा बिजली खरीदी में अलग से कंपनी को नुकसान उठाना पड़ रहा है। इसकी वजह है खंडवा में स्थापित श्री सिंगाजी थर्मल पॉवर प्लांट की दो यूनिटों का सात माह से बंद होना। इन यूनिटों की स्थापना 7,700 करोड़ रुपए की लागत से की गई थी। 757 करोड़ का नुकसान तो अकेले फिक्स चार्ज के रुप में ही हुआ है। इसके अलावा अन्य नुकसान अलग है।
प्लांट की इन दोनों यूनिट से हर महीने 1,320 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है। उत्पादन ठप होने से राज्य सरकार को इतनी बिजली एनटीपीसी और निजी कंपनियों से महंगी दर पर खरीदना पड़ रही है, जिससे होने वाला नुकसान अलग है। गौरतलब है कि मप्र ऊर्जा नियामक आयोग ने 19 मई को जारी आदेश में सिंगाजी विद्युत चरण-दो के लिए 1,392 करोड़ की राशि वित्त वर्ष 2020-21 में वार्षिक फिक्स चार्ज के रूप में तय किया है। इसका भुगतान तभी किया जाएगा जब इस प्लांट में औसत रूप से 85 फीसदी से ज्यादा बिजली उत्पादन किया जाएगा। इसमें सबसे बड़ी बाधा बनी हैं वे दो यूनिटें जो तकनीकी खराबी की वजह से बंद रहीं। इसके चलते 3 नंबर यूनिट पिछले साल अगस्त 2020 और 4 नंबर यूनिट सितंबर 20 से मार्च 21 तक बंद रही। स्टेट लोड डिस्पेच सेंटर के पोर्टल के मुताबिक इस यूनिट में पूरे साल भर से 38.78 फीसदी उत्पादन उपलब्धता रही। विशेषज्ञों का कहना है कि इस लिहाज से जनरेटिंग कंपनी को फिक्स चार्ज के रूप में 635.10 करोड़ रुपए ही मिलेंगे। इस प्रकार 757 करोड़ रुपए का नुकसान होना तय है।
विधानसभा में भी गूंज चुका है मामला
सिंगाजी की दोनों यूनिट की गड़बड़ी को लेकर कांगे्रस भी इस मामले को विधानसभा में उठा चुकी है। कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी का आरोप था कि साजिश कर प्लांट की दो इकाई बंद कर निजी क्षेत्र से महंगी दर पर बिजली खरीदी गई। उन्होंने निजी क्षेत्र से बिजली खरीदी में 100 से 200 करोड़ रुपए के लेनदेन का आरोप लगाया है। यह भी आरोप लगाया कि पॉवर प्लांट की इकाई में उत्पादन को बंद कर निजी क्षेत्र में 14 रुपए प्रति यूनिट की दर पर बिजली खरीदी गई है।
विश्व में पहली बार टूटी उन्नत टरबाइन
बिजली के एक तकनीकी विशेषज्ञ का कहना है कि सिंगाजी में उच्च स्तर के टरबाइन लगे हैं, जिसमें गड़बड़ी की संभावना नहीं होती है। यह उन्नत टरबाइन टूटने की विश्व की पहली ऐसी घटना है। आज तक ऐसी कोई घटना नहीं हुई है। इस मामले में जानकारों का कहना है कि सरकार को मप्र पॉवर जनरेटिंग कंपनी में व्याप्त कुप्रबंधन के कारण मात्र एक बिजली घर में हुए इतने भारी नुकसान को संज्ञान में लेना चाहिए तथा कारणों का विश्लेषण करते हुए सुधारात्मक कदम उठाना चाहिए। नुकसान का असर अप्रत्यक्ष रूप से उपभोक्ताओं पर पड़ेगा। उधर बिजली कंपनी का तर्क है कि मेंटेनेंस के बाद सिंगाजी की 4 नंबर यूनिट से उत्पादन शुरू कर दिया गया है। 3 नंबर यूनिट को सुधारने के प्रयास जारी हैं। जहां तक वार्षिक शुल्क के नुकसान की बात है तो इसका आंकलन किया जा रहा है।

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