गरीबों को अपना घर पाने के लिए करना होगा लंबा इंतजार, पिछड़ा निर्माण कार्य

प्रधानमंत्री आवास योजना

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण के अंतर्गत बनाए जा रहे गरीबों के घर के सपने को अफसरों द्वारा पलीता लगाए जाने से अब गरीबों को अपना घर पाने के लिए और लंबा इंतजार करना पड़ेगा। प्रदेश में प्रधानमंत्री आवास योजना में अब तक एक भी जिला अपना लक्ष्य हासिल नहीं कर सका है। अब भी लगभग चार दर्जन जिले ऐसे हैं जिनका इस योजना का काम पिछड़ गया है। इसमें राजधानी भोपाल भी शामिल है। दरअसल पांच साल पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा यह योजना शुरू की गई थी जिसके अंतर्गत देश के हर गरीब को 2022 तक अपने घर का सपना पूरा किया जाना था। इस योजना के अंतर्गत प्रदेश में जिन जिलों में काम पिछड़ा हुआ हैं उनमें भोपाल के साथ ही सीहोर, शाजापुर, उमरिया, अनूपपुर, रतलाम, अशोकनगर, टीकमगढ़, हरदा, नीमच और मुरैना जिला शामिल है। इनमें कुछ जिले तो ऐसे हैं जहां पर जून माह में सिर्फ एक प्रतिशत या उससे भी कम काम हुआ है।
अधिकारी बता रहे कोरोना को वजह
प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण की जून में आई रिपोर्ट के मुताबिक कई जिलों में घर पूरे होने की गति बेहद धीमी है। हरदा जिले में एक महीने में सिर्फ सात आवास और नीमच जिले में मात्र तीन ही आवास बन सके हैं। हालांकि इसके पीछे जिला पंचायतों के सीईओ का कहना है कि चूंकि कोरोना दूसरी और तेज लहर के कारण निर्माण कार्यों पर प्रभाव पड़ा है। यही वजह रही कि निर्माण कार्य ठीक से नहीं हो पाए हैं। रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2016-17 से वर्ष 2021 तक 26 लाख 26 हजार 422 आवासों का लक्ष्य है। इनमें मई महीने तक 18000 सत्या सी लाख से ज्यादा आवास बन चुके हैं वहीं 7039 हजार घर अब तक अधूरे हैं सालों से पूरे नहीं हो रहे आवासों को लेकर अधिकारियों का तर्क है कि हितग्राही प्रथम किस्त लेकर निजी कामों में खर्च कर चुके हैं किसी के यहां परिवार में गमी होने के कारण यह राशि उपयोग कर ली गई है तो अधिकांश लोग किस्त लेकर काम के सिलसिले में बाहर चले गए हैं। कटनी जिले के जिला पंचायत सीईओ के मुताबिक हमारे यहां 28 हजार से ज्यादा आवास अधूरे बताए जा रहे है। यह अब तक की स्थिति है। इनमें 25 हजार 592 इस वर्ष के हैं। इनमें 14 सौ आवास पूरे हो चुके हैं। पुराने आवासों को पूरा करने में जो दिक्कतें आ रही है विभाग को भी कारणों सहित लिखा है। दरअसल अधूरे आवास उनके रहे हैं जिन हितग्राहियों ने या तो राशि का दुरुपयोग किया या फिर किस्त लेकर बाहर चले गए हैं। यही नहीं ऐसे कई हितग्राहियों को बकाया जमा करने के नोटिस भी दिए हैं। इसी तरह टीकमगढ़ जिले के जिला पंचायत सीईओ का कहना है कि दरअसल कोरोना संकट काल में निर्माण सामग्री महंगी होने से आवासों का काम प्रभावित हुआ है। हमारे यहां करीब 16 हजार अधूरे आवासों में दो हजार पुराने हैं। इस साल चौदह हजार का लक्ष्य है। कोरोना में मटेरियल के महंगा होने से निर्माण की गति में तेजी नहीं आ सकी हैं। हमने ज्यादातर आवाज मंजूर कर दिए हैं। लक्ष्य को पूरा करने के प्रयास जारी है।

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