प्रदेशवासियों को फिर से लगेगा बिजली बिलों से करंट

 बिजली बिलों
  • टैरिफ में वृद्धि की तैयारी , आयोग में दायर की याचिका

भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। चुनाव से ठीक पहले प्रदेशवासियों को एक बार फिर से बिजली महकमा बिलों में वृद्धि कर उपभोक्ताओं को कंरट लगाने की तैयारी में लग गया है। प्रदेश की तीनों बिजली कंपनियों और मप्र पॉवर मैनेजमेंट कंपनी ने बिजली का टैरिफ बढ़ाने की तैयारी के लिए मप्र विद्युत विनियामक आयोग के पास याचिका भी दायर कर दी है। इस याचिका में 3.2 फीसदी तक बिजली का टैरिफ बढ़ाए जाने की मांग की गई है। इसके लिए कंपनियों ने करीब 15 सौ करोड़ का घाटा बताया है। अब यह पूरा मामला आयोग के पाले में है। याचिका पर अभी फैसला नहीं लिया गया है। अगर आयोग याचिका को स्वीकार कर लेता है तो, बिजली दरों में एक बार फिर वृद्धि होना तय है। जिसकी वजह से बिजली प्रदेश में दो से तीन फीसदी तक महंगी हो जाएगी। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में असी साल पांच माह पहले जुलाई में बिजली की दरों में वृद्धि की गई थी। उस समय बिजली कंपनियों की याचिका पर सुनवाई करते हुए विनियामक आयोग ने प्रति यूनिट 10 पैसे तक बिजली के टैरिफ में वृद्धि कर दी थी। इससे पहले बिजली कंपनियों ने इसी वित्त वर्ष के पहले माह अप्रैल में भी बिजली की दरों में वृद्धि की थी। उस समय बिजली की दर में औसतन 2.64 प्रतिशत की वृद्धि की गई थी।
इसमें घरेलू बिजली की दरों में 3 से 4 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई थी। प्रदेश में बिजली के बिलों में हर साल वृद्धि हो रही है। इससे प्रदेश में अन्य राज्यों के मुकाबले सर्वाधिक मंहगी बिजली मिल रही है। दरअसल बिजली कंपनियों को लगने वाले घाटे की बड़ी वजह है लॉइन लॉस और बिजली चोरी की घटनाएं। इन पर रोक लगाने में बिजली कंपनियां लगातार असफल साबित हो रही हैं। इसकी वजह से ही कंपनियों को करोड़ों रुपए का हर माह नुकसान होता है। इस नुकसान की भरपाई बिजली का टैरिफ बढ़ाकर की जाती है। इसका भार इमानदार बिजली उपभोक्ताओं पर ही डाला जाता है। इससे पहले बिजली कंपनियों ने 4 हजार करोड़ का घाटा बताते हुए बिजली के दाम बढ़ाने के लिए याचिका दायर की थी, जिस पर सुनवाई के बाद बिजली की दरों में प्रति यूनिट 10 पैसे तक की वृद्वि कर दी गई थी। बिजली उपभोक्ता पहले से ही बढ़ी हुए दरों को लेकर नाराज हैं। आम मध्यमवर्गीय उपभोक्ताओं के सामने बिजली जलाना अब मुश्किल होता जा रहा है। बढ़ते दामों को लेकर उपभोक्तओं में नाराजगी है। ऐसे में माना जा रहा है कि सरकार को इसका असर आने वाले चुनावों में देखने को मिल सकता है।
नहीं होती है बिजली दरों में कमी
मप्र ऐसा राज्य है , जिसमें बिजली दरों में कई सालों से कमी नहीं की गई है , बल्कि इसके उलट साल दर साल उसमें वृद्धि जरूर की जा रही है। गौरतलब है कि हर तीन महीने में बिजली कंपनियां फ्यूल कास्ट का निर्धारण नियामक आयोग से कराती हैं। बिजली बनाने में कोयला परिवहन और फ्यूल की कीमतों के आधार पर बिजली की दरों का निर्धारण किया जाता है। यही नहीं कंपनियां उपभोक्ताओं से एफसीए चार्ज भी वसूलती हैं। नियामक आयोग द्वारा हर तीन महीने में तय हुए एफसीए के मुताबिक बिजली के दाम तय किए जाते हैं।

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