- मानसून सत्र में पेश हो सकता है प्रस्ताव

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम
मप्र सरकार पदोन्नति में आरक्षण की नौ साल पुरानी अड़चन खत्म करने का प्रयास कर रही है। नए नियमों का प्रारूप तैयार किया गया है। मुख्यमंत्री कर्मचारी संगठनों से इस पर बातचीत करेंगे। मानसून सत्र में प्रस्ताव पेश किए जाने की उम्मीद है। प्रदेश में नौ साल से रुकी पदोन्नति प्रक्रिया फिर से शुरू करने के लिए सरकार सक्रिय है। मुख्य सचिव अनुराग जैन की देखरेख में नए लोक सेवा पदोन्नति नियम बनाए गए हैं। इस पर चर्चा के लिए गुरुवार को सामान्य प्रशासन विभाग ने प्रमुख कर्मचारी संगठन अजाक्स और सपाक्स के प्रतिनिधियों को बुलाया। मुख्य सचिव अनुराग जैन की अध्यक्षता में दोनों संगठनों के साथ अलग-अलग बैठक हुई। सरकार के प्रस्ताव पर अजाक्स, पदोन्नति की प्रक्रिया पर सहमत हो गया है। जबकि सपाक्स को कुछ बिंदुओं पर आपत्ति है। इन पर अगली समन्वय बैठक में चर्चा होगी। बैठक में सामान्य प्रशासन विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय दुबे समेत अन्य अधिकारी मौजूद थे। मंत्रालय में मुख्य सचिव ने पहले अजाक्स प्रतिनिधियों से चर्चा की। मप्र में सरकारी कर्मचारियों की पदोन्नति को लेकर वर्षों से चला आ रहा आरक्षण विवाद अब हल की ओर बढ़ता दिख रहा है। मई 2016 से यह मुद्दा लंबित है, जब राज्य सरकार ने पदोन्नति से जुड़े आरक्षण नियम निरस्त किए थे। तब से अब तक न तो स्पष्ट नीति बनी, न ही न्यायिक गतिरोध पूरी तरह सुलझा। नए प्रस्ताव को लेकर सपाक्स और अजाक्स जैसे संगठनों ने भी सामान्य प्रशासन विभाग को अपनी राय दी है। सुप्रीम कोर्ट की नागराज कमेटी की तीनों शर्तों प्रतिनिधित्व, योग्यता और पिछड़ापन का पालन भी प्रस्ताव में किया गया है। इस मसले पर अनारक्षित (सामान्य) और आरक्षित (एससी-एसटी) वर्गों की राय भिन्न है। सामान्य वर्ग का मानना है कि आरक्षण के कारण उनके अधिकार प्रभावित हो रहे हैं। वे चाहते हैं कि पदोन्नति में योग्यता सह वरिष्ठता का सिद्धांत लागू हो और आरक्षित पदों की संख्या को सीमित रखा जाए। वहीं आरक्षित वर्ग के कर्मचारी संविधान में दिए गए आरक्षण के प्रावधानों का पूरी तरह पालन किए जाने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि आरक्षण के साथ-साथ योग्यता सह वरिष्ठता का संतुलन बना रहना चाहिए। वे यह भी चाहते हैं कि पहले अनारक्षित पदों पर पदोन्नति की जाए और उसके बाद आरक्षित पदों को भरा जाए।
कर्मचारियों से संवाद की तैयारी
सीएम मोहन यादव ने इस जटिल मुद्दे को संवेदनशीलता से लेते हुए अव सभी प्रमुख कर्मचारी संगठनों के साथ बैठक करने का फैसला किया है। उनका उद्देश्य एक सर्वमान्य प्रारूप पर आग सहमति बनाना है, जिससे कि बाद में कोई कानूनी अड़चन न खड़ी हो और सभी पक्षों को संतुष्ट किया जा सके। अब मुख्यमंत्री मोहन यादव के नेतृत्व में सरकार इस मसले को स्थायी समाधान देने की ओर अग्रसर है। कर्मचाटी संगठनों से सवाद, सर्वमान्य नीति और विधानसभा में प्रस्ताव रखने की प्रक्रिया यह संकेत देती है कि राज्य सरकार इस विवाद को समाप्त कर एक नई और पारदर्शी प्रणाली लागू करना चाहती है। नई पदोन्नति नीति का मसौदा मुख्य सचिव अनुराग जैन की निगरानी में तैयार किया गया है। इसमें न्यायिक दिशा-निर्देशों, पूर्व के अनुभवों और कर्मचारियों के हितों को ध्यान में रखते हुए संतुलन बनाने की कोशिश की गई है। प्रारूप को मानसून सत्र में विधानसभा में प्रस्तुत किया जा सकता है।
अजाक्स की सहमति, सपाक्स की आपत्ति
शासन की ओर से कहा गया कि न्यायालय से पदोन्नति का समाधान निकलने में लंबा समय लग सकता है। इससे बेहतर है कि न्यायालय के आदेश के परिपालन में आपसी समन्वय से पदोन्नति का समाधान निकाल लिया जाए। मुख्य सचिव ने दोनों संगठनों के पदाधिकारियों को पदोन्नति प्रारूप से अवगत कराया। साथ ही उनके सुझाव लिए। अजाक्स ने पदोन्नति प्रस्ताव पर सहमति दे दी है। जबकि सपाक्स ने 3 बिंदुओं पर आपत्ति ली है। इनमें क्रीमीलेयर को पदोन्नति में आरक्षण, अनारक्षित के पद पर आरक्षित को पदोन्नति समेत एक अन्य बिंदु शामिल है। दोनों पक्षों से चर्चा के बाद मुख्य सचिव ने अपर मुख्य सचिव संजय दुबे को अगले एक हफ्ते के भीतर दोनों पक्षों को बुलाकर समन्वय बैठक करने के लिए अधिकृत किया है। सरकार के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पदोन्नति को लेकर दोनों पक्षों के बीच सहमति लगभग बन गई है। अगले एक हफ्ते के भीतर पदोन्नति प्रस्ताव की स्थिति को मुख्यमंत्री के समक्ष रखा जाएगा। इसके बाद पदोन्नति का प्रारूप तैयार कर जून में कैबिनेट में लाया जा सकता है।
कर्मचारियों को मिलेगा डबल प्रमोशन
जिन कर्मचारियों और अधिकारियों को पदोन्नति मिले 8 साल से अधिक का समय बीत चुका है, या फिर जिन्होंने साल 2014-15 के बाद ज्वाइन किया और उनकी समयावधि 8 साल पूरी हो चुकी है। ऐसे कर्मचारियों-अधिकारियों को सरकार डबल प्रमोशन का लाभ देगी। हालांकि मुख्यमंत्री ने साफ तौर पर कहा है कि कर्मचारियों को डबल प्रमोशन का लाभ तो मिलेगा, लेकिन एक साथ नहीं। सरकार की मंशा है कि इस वर्ष एक प्रमोशन देने के बाद दूसरा प्रमोशन उनको अगले वर्ष दिया जाए। जिससे कर्मचारियों की कमी न हो। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को सामान्य प्रशासन विभाग के अधिकारियों द्वारा प्रस्तावित नए पदोन्नति नियमों की जानकारी दी जा चुकी है। इसके बाद मुख्यमंत्री ने तय किया है कि वे सपाक्स, अजाक्स समेत अन्य प्रमुख कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधियों से सीधा संवाद करेंगे। इसका उद्देश्य एक ऐसा समाधान निकालना है, जिससे सभी पक्ष संतुष्ट हों और मामला दोबारा अदालत में न जाए। यदि सब कुछ योजनानुसार चलता है तो सरकार विधानसभा के आगामी मानसून सत्र में लोक सेवा पदोन्नति नियम विधेयक प्रस्तुत कर सकती है।