
- खराब गुणवत्ता की वजह से छात्रों में घट रही रुचि
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। एक समय ऐसा था, जब प्रदेश में लगभग हर साल दर्जनभर नए इंजीनियरिंग कॉलेज खुल रहे थे। प्रदेश का लगभग हर पैसे वाला व्यवसायी और राजनेता तक इंजीनियरिंग कॉलेज खोलने में जुट गए थे। इसकी वजह से कई शहरों में ऐसे कॉलेजों की बाढ़ तक आ गई थी। इसकी वजह से हर साल हजारों में छात्र पढ़ाई पूरी कर बाहर आना शुरू हो गए थे, जिसकी वजह से इंजीनियरिंग की डिग्री धारक बड़ी संख्या में बेरोजगार होते चले गए। इसकी वजह से अब हालत यह हो गई है कि दर्जनों महाविद्यालयों में तो छात्रों ने प्रवेश लेना तक बंद कर दिया है। शुरुआत में निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों को लेकर इतना क्रेज था कि प्रवेश के नाम पर छात्रों और उनके अभिभावकों से लाखों रुपयों का प्रवेश शुल्क तक वसूला जाता था। अब हालत यह है कि दलाल रखने के बाद भी छात्र नहीं मिल पा रहे हैं, लिहाजा उनके सामने बंद करने की मजबूरी बन गई है। यही वजह है कि अब बीते कई सालों से हर साल औसतन आधा दर्जन निजी इंजीनियरिंग कॉलेज बंद हो रहे हैं। अगर सरकारी आंकड़ों को देखें तो बीते 10 साल में 62 निजी इंजीनियरिंग कॉलेज बंद हो गए। मौजूदा कॉलेजों में भी 45 से 55 प्रतिशत सीटों पर ही प्रवेश हो रहे है। जानकार बताते हैं, वर्तमान में शिक्षा व्यवस्था व तकनीकी तालमेल न बढ़ा पाने से ऐसी हालत हुई है। सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेजों में 80 से 90 प्रतिशत तक प्रवेश हो रहे हैं, पर इनकी संख्या नहीं बढ़ रही। 10 साल में सिर्फ एक कॉलेज बढ़ा। 2015-16 में 186 निजी इंजीनियरिंग कॉलेज थे। 2024-25 में 124 हो गए। साफ है, 62 निजी कॉलेज बंद हुए। कुछ मानक पर खरे नहीं उतरे तो मान्यता नहीं मिली। कुछ में सुविधाएं नहीं थी। 2015-16 में निजी में 81,162 सीटों पर 39,906 छात्रों ने ही प्रवेश लिया। 2024-25 निजी में डिग्री कोर्स की 64,206 सीटों में से 35,064 ने प्रवेश लिया।
जारी है ढर्रा
छात्रों की रुचि कम होने की वजह है इन कॉलेजों से पढ़ाई के बाद वे लगभग बेरोजगारी की स्थिति में आ जाते हैं। इसकी वजह है इनमें पुराने ढर्रा की ही पढ़ाई होना। इनमें मौजूदा औद्योगिक मांग के अनुसार पाठ्यक्रम शुरू नहीं किया जाना, निजी कॉलेजों में प्रैक्टिकल के लिए जरूरी उपकरणों का अभाव। क्वालिफाइड शिक्षकों की कमी, एक ही शिक्षक का कई कॉलेजों में सेवाएं देना। पुराने पाठ्यक्रम चल रहे हैं ,नई तकनीक नहीं जुड़ीं, इन्हें पढ़ाने वाले भी नहीं हैं। कॉलेजों में नौकरी पाने के लिए जरूरी स्किल नहीं सिखाया जाना। अधिकांश कॉलेजों में शोध एवं नवाचारों की सुविधाएं नहीं।