नेताओं व अधिकारियों ने मिलकर सरकार को लगाई करोड़ों की चपत

नेताओं व अधिकारियों
  • लोकायुक्त में निकायों के भ्रष्टाचार के करीब 175 मामले दर्ज

    भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में सरकार एक तरफ नगरीय निकाय चुनावों की तैयारी कर रही है, वहीं दूसरी तरफ निकायों में हुए भ्रष्टाचार की परतें सामने आ रही है। सूत्रों के अनुसार, निकायों को विकास के लिए मिलने वाले फंड में बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार हुआ है। अब तक लोकायुक्त में निकायों के भ्रष्टाचार के करीब 175 मामले दर्ज हुए हैं। अगर इनकी ठीक से जांच हुई तो कई जनप्रतिनिधि और अफसर इसकी चपेट में आ सकते हैं।
    मप्र में शहरी क्षेत्रों के सर्वांगीण विकास के लिए विभिन्न योजनाओं के माध्यम से एक नई इबारत लिखी जा रही है। वहीं 2016 से नगरीय निकायों में भ्रष्टाचार की कहानी भी लिखी जा रही है। निकायों में जो भ्रष्टाचार हुए हैं उसमें नेताओं और अफसरों का गठजोड़ सामने आ रहा है। लोकायुक्त में भ्रष्टाचार की शिकायत के जितने मामले दर्ज हैं, उनमें से ज्यादातर में निकाय परिषद और अधिकारियों का नाम शामिल है।
    अध्यक्ष और परिषद पर सबसे अधिक मामले
    लोकायुक्त में विभिन्न नगरीय निकायों के करीब 175 भ्रष्टाचार के मामले दर्ज हैं। इसमें से अधिकांश मामलों में अध्यक्ष और परिषद शामिल हैं।  ग्वालियर में दो साल पहले पार्क की जमीन पर मकान बनाने की शिकायत की गई थी, जिसका प्रतिवेदन निगम आयुक्त ने अभी तक विभाग को नहीं भेजा है।
    वहीं अलीराजपुर में 2018 में शिकायत की गई कि तत्कालीन परिषद अध्यक्ष सेना महेश पटेल ने जन सुरक्षा के लिए आरक्षित जमीन फर्जी तरीके से नीलाम करा दी। मामले में कई अधिकारियों को दोषी पाया गया। कुछ के खिलाफ कार्रवाई हुई। अध्यक्ष को पद से हटाया गया। सीएमओ से दस लाख की वसूली नहीं हो पाई है। भिंड में परिषद के ट्रैक्टर खरीदी में गड़बड़ी की गई थी। 60 एचपी की जगह पर 57 एचपी के ट्रैक्टर खरीद लिए गए। मामले में परिषद अध्यक्ष कलावती वीरेन्द्र महेलिया पर सिर्फ आरोप पत्र देकर इतिश्री कर ली गई। विजयपुर परिषद अध्यक्ष रिंकी गोयल ने 2017 में बिना रजिस्टर्ड अनुबंध के 17 दुकानें आवंटित कर दीं। इतना ही नहीं, दो दुकानें अपने पति प्रदीप गोयल के नाम आवंटित कर दी। इससे करीब 41 लाख रुपए का चूना निगम को लगा। होशंगाबाद नगर पालिका अध्यक्ष अखिलेश खंडेलवाल ने विवादास्पद भूमि पर भवन बनाकर एक व्यक्ति को हस्तांतरित कर दिया। जांच में अध्यक्ष खंडलेवाल और सीएमओ को दोषी भी पाया गया है।
    भोपाल में अवैध निर्माण की भरमार
    भोपाल नगर निगम में सबसे ज्यादा शिकायतें अवैध निर्माण को लेकर हुई हैं। बताया गया कि प्रभावशाली लोगों ने बिना भवन अनुज्ञा के बड़ी इमारतें तान दी, लेकिन अधिकारियों ने कार्रवाई नहीं की। 2019 में ई-3 में 45, ई-4 में 178 और ई- 4 में 30 नंबर में अवैध निर्माण किया गया। लाला लाजपत कॉलोनी में 11 मकान बिना बिल्डिंग परमिशन के बनाए गए है।
    नेताओं की छवि चमकाने लाखों के विज्ञापन छपवाए
    नगरीय निकायों में भ्रष्टाचार कई स्तरों पर और कई तरीके से हुआ है। खरगोन के बड़वाह नगर परिषद में तो अधिकारियों ने नेताओं की छवि चमकाने लाखों के विज्ञापन छपवा दिए हैं। मामला शासन स्तर पर गठित मंत्री समूह की समिति में विचाराधीन है। क्योंकि नगर और शहर के विकास के लिए मिले फंड को अधिकारियों और नेताओं ने मनमाने ढंग से खर्च किया है। यह मामले वर्ष 2016 से लेकर अभी तक के हैं। इनमें विभाग, लोकायुक्त तथा दोषियों के बीच में सवाल-जवाब चल रहे हैं। बुरहानपुर में एक साल पहले पीएम आवास के फर्जी पट्टे पकड़ाए गए थे, जिसमें कई अधिकारियों को नोटिस जारी किया गया है।

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