
- सोयाबीन को लगा सूखा, धान पानी के लिए बेचैन
भोपाल/राजीव चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। अब तो मानसूनी बादलों की बेमानी की हद हो रही है…मानसून की बेरुखी से प्रदेश के किसानों के पानीदार चेहरों से पानी उतरने लगा है…और वे चिंतातुर आसमान की ओर टकटकी लगाए फिल्म ‘लगान’ का यह गाना गा रहे हैं…’काले मेघा, काले मेघा, पानी तो बरसाओ’…! बारिश नहीं होने से सोयाबीन फसल को सूखा खाने लगा है। धान इसलिए बेचैन है कि वो खेतों के तैयार होने के बाद पानी के अभाव में रोपित नहीं हो पा रही है। यदि बरखारानी इसी तरह से एक हफ्ते और कुपित रहीं और झूमकर नहीं बरसीं तो, प्रदेश भर में 50लाख से ज्यादा हेक्टेयर में खड़ी सोयाबीन की फसलें तो नष्ट हो ही जाएंगी, दुर्भाग्य यह होगा कि प्रदेश के लाखों किसान बर्बाद हो जाएंगे। हम बता दें कि, मध्यप्रदेश में लगभग 145 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में खरीफ फसलें और 119 लाख में रवि फसलें ली जा रही है। अगर अब एक सप्ताह भी अच्छी बारिश नहीं होती है, तो 50 लाख से ज्यादा हेक्टेयर की फसल सूख जाएगी। प्रदेश के विभिन्न इलाकों में खरीफ की बुवाई को करीब 20 से 25 दिन हो चुके हैं। इस समय पानी की सर्वाधिक जरूरत सोयाबीन को है। मालवांचल के विभिन्न जिलों में बड़े पैमाने पर सोयाबीन की खेती होती है। दो साल से मालवांचल के जिलों के किसानों के दुर्दिन चल रहे हैं। आलम यह है कि कभी फसल पकने के समय अधिक बारिश, तो कभी कीड़ों और बीमारियों के प्रकोप से सोयाबीन उत्पादक किसानों को भारी नुकसान हो रहा है।
खराब बीज से भी परेशानी
किसान बताते हैं कि उन्हें इस बार सोयाबीन का अच्छा बीज भी नहीं मिला। कई कंपनियों ने किसानों को बहुत महंगा बीज बेचा। बीज सही नहीं होने पर असर भी दिखाई दे रहा है। रायसेन जिले के किसान कृष्णपाल राजपूत बताते हैं कि पहले भी बीज सही नहीं होने की वजह से पानी देने के बाद भी जमीन से ही नहीं उग रहे हैं। इसका असर पैदावार पर भी पड़ेगा।
सीहोर में भी सूखने लगी फसलें
मिल रही रिपोर्ट्स के अनुसार इसी तरह से सीहोर जिले में पिछले कई दिनों से अच्छी बारिश नहीं हुई है। दो-तीन दिन पहले कहीं-कहीं थोड़ी-बहुत बारिश हुई थी। पर्याप्त पानी नहीं मिलने से जिले में सोयाबीन उड़द और मक्का की फसल सूखने लगी हैं। यहां किसानों ने दो लाख हेक्टेयर से ज्यादा रकबा में सोयाबीन की बोवनी की है।
राजगढ़ जिले में 20 फीसदी फसलें बर्बाद
हमारे राजगढ़ प्रतिनिधि के अनुसार राजगढ़ जिले में भी जैसे सूखा आया हुआ है। जिले में 20 से 25 दिनों से अच्छी बारिश नहीं हुई है। इससे यहां पहले लग चुकी सोयाबीन सहित खरीफ की दूसरी फसलें 20 फीसदी खराब हो चुकी है। सोयाबीन अंकुरित होने के बाद बढ़ नहीं पा रहा है। इससे कई किसानों ने बोवनी बंद कर दी है। किसानों का कहना है कि अगर अब बोवनी भी करते हैं तो फसल अच्छी नहीं हो पाएगी।
हरदा में भी सोयाबीन पिटा
कृषि विभाग द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार हरदा जिले में एक लाख 22 हजार हेक्टेयर में सोयाबीन की फसल हो रही है। जिले में खरीफ की फसल का कुल रकबा 1 लाख 92 हजार 402 हेक्टेयर है। हरदा में पिछले 15 दिनों से बारिश नहीं हुई है। इससे यहां भी फसल सूखने लगी है।