बिल्डिंग परमिशन की झंझट होगी खत्म

शुल्क जमा करते ही मिल जाएगी निर्माण की अनुमति


भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम।
प्रदेश सरकार ने बिल्डिंग परमिशन लेने में आने वाली दिक्कतों को खत्म करने के लिए एक नई सुविधा शुरू करने जा रही है। इसके तहत जल्द ही 105 वर्गमीटर यानी 1127 वर्गफीट तक के भूखंड पर डीम्ड बिल्डिंग परमिशन मिलना शुरू हो जाएगा। न तो आर्किटेक्ट के पास जाने की जरूरत होगी और न ही नगर निगम।
ऑनलाइन नगर निगम की बिल्डिंग परमिशन फीस जमा करना ही परमिशन होना माना जाएगा। गौरतलब है की मौजूदा सिस्टम में निजी आर्किटेक्ट की ओर से एबीपीएएस 2 में मकान या भवन की ड्राइंग अपलोड की जाती है। यह स्क्रूटनी के लिए सीधे बिल्डिंग परमिशन की डीसीआर सेल में पहुंच जाती है। वहां देखा जाता है कि नियमानुसार ड्राइंग बनाई गई है या नहीं। जरूरत होने पर सुधार की सिफारिश की जाती है। इसमें बिल्डिंग परमिशन के किसी इंजीनियर या अन्य अधिकारी का कोई दखल नहीं होता है। नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने महाराष्ट्र और दिल्ली की तर्ज पर इस सुविधा को शुरू करने के लिए मप्र भूमि विकास नियम 2012 में संशोधन का खाका तैयार कर लिया है। इसके तहत आवेदक को विभाग की वेबसाइट पर ऑटोमैटिक बिल्डिंग परमिशन सिस्टम (एबीपीएस) सॉफ्टवेयर में आवेदन देना होगा। यहां पर मॉडल नक्शे का चयन करना होगा. इसके बाद सॉफ्टवेयर प्लॉट का प्रॉपर्टी टैक्स देखकर फीस की गणना करेगा। फीस जमा करते ही इंस्टेंट एंड डीम्ड टू बी के नाम से परमिशन सर्टिफिकेट मिल जाएगा। न तो इसमें किसी आर्किटेक्ट की जरूरत होगी और न ही फाइल बिल्डिंग परमिशन के अफसरों के पास जाएगी।
परमिशन की फीस तय करने के लिए स्लैब
सरकार का लक्ष्य छोटे प्लॉट मालिक हैं। यह इतने सक्षम नहीं होते कि इंजीनियर और आर्किटेक्ट्स के चक्कर काटें। दूसरा, छोटे प्लॉट पर बिल्डिंग परमिशन का उल्लंघन से ज्यादा नुकसान भी नहीं होता है। भूमि विकास नियम में परमिशन की फीस तय करने के लिए 32, 48, 75, 105, 288 वर्गमीटर आदि के स्लैब बनाए गए हैं। लिहाजा स्लैब को देखते हुए 32 से 105 वर्गमीटर तक की एरिया रखा गया। अभी दो तरह से बिल्डिंग परमिशन जारी होती है। पहले में 300 वर्गमीटर तक मान्यता प्राप्त आर्किटेक्ट या नगर निगम से परमिशन लेनी होती है।
जल्द ही जारी होंगे आदेश
प्रदेश में जल्द ही 105 वर्गमीटर तक के भूखंड पर डीम्ड बिल्डिंग परमिशन मिलना शुरू हो जाएगा। इसकी फाइल नगरीय विकास विभाग के प्रमुख सचिव नीरज मंडलोई के पास पहुंच गई है। जल्द ही इसके आदेश जारी हो जाएंगे। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और भाजपा ने नगरीय निकाय चुनाव के मेनिफेस्टो में 105 वर्गमीटर तक के भूखंडों पर डीम्ड परमिशन देने का वादा किया था। मंशा यह थी कि छोटे प्लॉट मालिकों को भवन निर्माण की अनुमति के लिए निगम दफ्तरों के चक्कर न लगाना पड़े। सिस्टम में पारदर्शिता आए और लेन-देन की शिकायतों पर लगाम लग सके। इसके बाद शासन ने पिछले साल अक्टूबर में 105 वर्गमीटर तक डीम्ड परमिशन देने का नोटिफिकेशन जारी कर दिया था। हालांकि, चार महीने से ज्यादा समय बीतने के बाद भी किसी निकाय में इसका फायदा नहीं मिल पाया है। बिल्डिंग परमिशन की प्रक्रिया को और अधिक आसान बनाने के उद्देश्य से शासन ने डीम्ड परमिशन का नोटिफिकेशन जारी किया था। हालांकि, इसके मुताबिक ऑनलाइन सिस्टम अपडेट न हो पाने की वजह से यह व्यवस्था लागू नहीं हो पाई। इसका नुकसान यह हो रहा है कि इस आकार तक के प्लॉट मालिकों को ड्रॉइंग- डिजाइन के लिए पैसा खर्च करने के साथ ही आर्किटेक्ट व निगम के इंजीनियरों-कर्मचारियों के आगे-पीछे घूमना पड़ रहा है। राजधानी की बात करें तो हर साल करीब चार हजार बिल्डिंग परमिशन जारी होती हैं।
ऐसे मिलेगी डीम्ड परमिशन
प्रस्तावित नियमों के तहत डीम्ड परमिशन के लिए तय प्रारूप में आवेदन व शपथ पत्र देना होगा। मास्टर प्लान व नियमों के मुताबिक मकान की ड्रॉइंग होना चाहिए। शुल्क लेते समय स्थानीय निकाय किसी प्रकार का निरीक्षण या दस्तावेज परीक्षण नहीं करेगा। अपूर्ण दस्तावेज या कोई अन्य जानकारी बाद में ले सकेंगे। निर्माण पूरा होने के बाद कार्य पूर्णता की सूचना लिखित में देना होगी। नियम विरूद्ध निर्माण पर डीम्ड अनुमति खुद ब खुद निरस्त हो जाएगी और अवैध निर्माण तोड़ दिया जाएगा। गौरतलब है कि प्रदेश के 16 नगर निगमों में बिल्डिंग परमिशन में पारदर्शिता लाने के लिए करीब पांच साल पहले ऑटोमैटेड बिल्डिंग परमिशन अप्रूवल सिस्टम (एबीपीएएस) लागू किया गया था। ई नगर पालिका सॉफ्टवेयर के जरिए आर्किटेक्ट व स्ट्रक्चरल इंजीनियर ऑफलाइन भवन अनुज्ञा दे रहे थे। वहीं नगर निगम के इंजीनियर और चीफ सिटी प्लानर एबीपीएएस के जरिए ऑनलाइन अनुमति दे रहे थे। आर्किटेक्ट्स की ओर से दी गई ऑफलाइन परमिशन में कई गड़बडिय़ां सामने आई थी।

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