
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी अटल प्रोग्रेस वे परियोजना प्रदेश में परवान नहीं चढ़ पा रही है। इसकी वजह है इसको सरकार द्वारा लगभग भुला दिया जाना। यही वजह है कि इसके लिए जमीन आरक्षित करने के लिए अब तक प्रदेश सर्वे तक का काम शुरू नहीं हो पाया है। इस परियोजना के बीच मप्र के तीन जिले आते हैं। इनमें ग्वालियर चंबल अंचल के भिंड-मुरैना-श्योपुर जिले शामिल हैं। इसके बनने से यह तीनों जिले उत्तर प्रदेश और राजस्थान के कोटा से सीधे जुड़ जाएंगे। इसका निर्माण पहले मप्र के बीहड़ों के बीच से किया जाना था , लेकिन इसके लिए पर्यावरण मंत्रालय ने मंजूरी देने से इंकार कर दिया था। जिसके बाद सरकार ने इसमें बदलाव कर प्रोग्रेस वे के लिए सर्वे कराया तो किसानों ने इसके लिए अपनी जमीन देने से इन्कार कर दिया। जिसकी वजह से मार्च में मुख्यमंत्री ने पुराने सर्वे को निरस्त कर पुन: सर्वे के आदेश दिए थे , लेकिन इस पर अब तक अमल शुरू नहीं हो सका है। गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव के मद्देनजर सरकार इस परियोजना के लिए शुरुआत में बेहद गंभीर नजर आ रही थी, लेकिन उसकी यह मंशा परवान नहीं चढ़ सकी है। उधर, इस प्रोग्रेस वे को केंद्र सरकार भारतमाला परियोजना में शामिल कर चुकी है। माना जा रहा है कि अगर चुनाव से पहले इसको लेकर अगर कोई रास्ता नहीं निकलता है तो इस अंचल में विपक्ष के लिए एक बड़ा मुद्दा बन सकता है। उल्लेखनीय है कि 2017 में सरकार ने बीहड़ों से होकर एक्सप्रेस-वे बनाने की घोषणा की थी। उस समय इसका नाम चंबल एक्सप्रेस-वे रखा गया। इसका नाम कई बार बदला और अंत में अटल प्रोग्रेस-वे हुआ। 2021 तक इसके अलाइनमेंट का सर्वे हुआ, लेकिन एनजीटी और केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने बीहड़ों में एक्सप्रेस-वे बनाने की अनुमति नहीं दी।
कलेक्टरों को जिम्मा दिया पर जारी नहीं किए आदेश
अटल प्रोग्रेस वे के दूसरे सर्वे में सरकारी क्षेत्र की 140.36 हेक्टेयर, जबकि निजी क्षेत्र की 1778.299 हेक्टेयर जमीन आ रही थी। इससे 3000 से ज्यादा किसान प्रभावित हो रहे थे। इन जिलों में तमाम संगठनों के साथ किसानों ने विरोध किया था। इसे देखते हुए 28 मार्च को वीडियो कांफ्रेंस में सीएम ने चंबल संभाग आयुक्त सहित अंचल के तीनों जिला कलेक्टरों को पुन: जमीन चिह्नांकन के निर्देश देते हुए इसमें सरकारी जमीन अधिक शामिल करने को कहा था। मुख्यमंत्री के इस मौखिक आदेश के बाद पुराना सर्वे तो निरस्त हो गया, लेकिन नए सर्वे के लिए सरकार आदेश जारी करना ही भूल गई।