हनी ट्रैप का जिन्न फिर जागा… कई रसूखदारों पर होगी कार्रवाई

  •  गौरव चौहान
रसूखदारों

प्रदेश की सियासत और अफसरशाही में भूचाल लाने वाले बहुचर्चित हनी ट्रैप मामले का जिन्न एक बार फिर जाग गया है। इसके बाद अब लग रहा है कि इस मामले में कई रसूखदारों पर कार्रवाई हो सकती है। इसकी वजह है इस मामले की एक आरोपी श्वेता जैन अब सरकारी गवाह बनने जा रही हैं। उसके द्वारा सरकारी गवाह बनने के लिए पुलिस पूछताछ में कई बड़े और सनसनीखेज खुलासे किए गए हैं। यह जानकारी लगते ही कई राजनेताओं और आला अफसरों की नींद फिर से उड़ चुकी है। दरअसल इस मामले में शामिल रहे अफसरों और राजनेताओं के कॉकस ने अपने रसूख की दम पर न केवल पुलिस कार्रवाई से बच गए थे, बल्कि सरकारी स्तर पर भी होने वाली कार्रवाई को रुकवा दिया था। गौरतलब है कि साढ़े तीन साल पहले 17 सितम्बर 2019 को इंदौर नगर निगम में पदस्थ इंजीनियर हरभजन सिंह की शिकायत के बाद यह मामला सामने आया था। पुलिस ने इस मामले में धोखाधड़ी, आईटी एक्ट समेत अनेक धाराओं के तहत भोपाल निवासी श्वेता विजय जैन, श्वेता स्वप्निल जैन, छतरपुर निवासी आरती दखल, बरखा भटनागर और राजगढ़ निवासी मोनिका यादव के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया था। इसके बाद दूसरा मामला जांच के बाद 24 सितम्बर को भोपाल में दर्ज किया गया था। यह मामला एक आरोपी के पिता द्वारा दर्ज कराया गया था। उसका आरोप था कि उसकी बेटी के दोस्त ने उसका  गलत इस्तेमाल किया है।
पुलिस की जांच में पता चला था कि आरोपी युवतियां सेक्स रैकेट के माध्यम से रसूखदार और अमीरजादों को हुस्न के जाल में फंसा कर उन्हें किसी होटल या अन्य स्थान पर बुलातीं है और  फिर उनके अंतरंग समय के वीडियो बनाकर उन्हें ब्लैकमेल करती थीं। हरभजन ने ब्लैकमेलिंग से तंग आने के बाद इंदौर के पलासिया थाने में मामला दर्ज कराया था। इसके बाद आरोपी युवतियों से की गई पूछताछ और उनके ठिकानों से मिली सामग्री से कई तरह के खुलासे हुए थे। इसमें पता चला था कि आरोपी युवतियों के सम्पर्क मंत्रालय के आला अफसरों से लेकर सियासत में असरदार माने जाने वाले चेहरों से थे। मंत्रालय में भी इनके बेरोकटोक आने जाने की बात भी सामने आई थी। करीब तीन साल बाद उनकी जमानत हो चुकी है। जमानत मिलने के बाद अधिकांश महिलाओं ने खुद को बेकसूर बताया था।
श्वेता ने सरकारी गवाह बनने की इच्छा जताई
सूत्रों की मानें तो इस मामले में पुलिस की स्पेशल इंवेस्टिगेशन विंग ने इस मामले में गठित विशेष जांच दल को यह पूरी सामग्री सौंप दी है। इसे लेकर एडीजी संजीव शमी द्वारा लिखे पत्र में बताया गया है कि श्वेता ने सरकारी गवाह बनने की इच्छा जाहिर की है और उसने पुलिस से पूछताछ में कई बड़े किए हैं, जो आरोपियों के खिलाफ अपराध सिद्ध करने में मददगार साबित होगे। माना जा रहा है कि इस मामले की फाइल एक बार फिर खुल सकती है। यह जानकारी बाहर आते ही कई अफसरों और नेताओं की नींद उड़ गई है। गौरतलब है कि 2019 में इस मामले का खुलासा होने के बाद धीरे-धीरे कई आडियो और वीडियो वायरल हुए थे। इनमें दो पूर्व आईएएस, एक पूर्व मंत्री समेत कई अफसर और नेता शामिल थे।
मेरा प्यार और पंछी कोडवर्ड: उधर, हनी ट्रैप कांड से एक के बाद एक परतें उघड़ी तो उसमें कई तरह की चौकाने वाली बातें भी तब सामने आयी थीं। गिरफ्तार की गई इन युवतियों के पास से एसआईटी (विशेष जांच दल) के हाथ एक डायरी लगी थी, जिसमें शिकार बनाए गए लोगों से वसूली गई रकम और बकाया का तो ब्यौरा था ही, साथ ही उपयोग में लाए जाने वाले कोडवर्डों का भी जिक्र था। मेरा प्यार और पंछी इस गिरोह के प्रमुख कोडवर्ड थे। कई बार कोडवर्ड वीआईपी का भी उपयोग किया गया।
भोपाल कोर्ट में पेश हुई मामले की सीडी
इस बहुचर्चित मामले की सीडी आखिर साढ़े तीन साल बाद भोपाल कोर्ट में पेश कर दी गई है। इस केस में यह पहली सीडी है जो कोर्ट को दी गई है। उसे सेन्ट्रल फॉरेन्सिक लैब हैदराबाद ने सही माना है। एसआईटी ने कोर्ट में यह अर्जी दी है कि ये तमाम वीडियो अंतरंग पलों के है, इसलिए केस की सुनवाई बंद चैम्बर में की जाए। चेम्बर में न्यायाधीश और दोनों पक्षों के वकील के अलावा किसी को अनुमति न दी जाए। एसआईटी ने कोर्ट से यह भी आग्रह किया हैं कि बचाव पक्ष के लोगों को ये वीडियो सीडी उपलब्ध न कराई जाएं। दरअसल इनमें कई अंतरंग दुश्य बताए जा रहे हैं। माना जा रहा है कि श्वेता स्वपनिल जैन के बयान से कई गड़े मुर्द भी उखड़ सकते है। इससे सबसे ज्यादा चिंता उन रसूखदार लोगों की बढ़ गई है जो यह मानकर बैठ गए थे कि अब मामला समाप्त हो गया है।
तीन बार बदली गई थी एसआईटी
हनी ट्रैप कांड की जांच के लिए बनाई गई एसआईटी (विशेष जांच टीम) में तीन बार बदलाव किया गया था। इसके पीछे इसमें शामिल लोगों के रसूख को बताया गया था। उस समय नौ दिन में तीन बार एसआईटी में बदलाव किया गया था।  23 सितंबर को एसआईटी जांच के लिए डीजीपी डी. श्रीनिवास वर्मा की अगुवाई में टीम गठित की गई। वह इंदौर के लिए रवाना हो पाते कि उससे पहले 24 सितंबर को दूसरी एसआईटी बनाई गई, जिसका प्रमुख संजीव शमी को बनाया गया। शमी ने तेजी से काम करना शुरू भी कर दिया था, तब उनको भी हटा दिया गया। इसको लेकर सरकार पर कई तरह के सवाल भी तब उठे थे।
दूसरे राज्यों तक फैला था जाल  
हनी ट्रैप सेक्स कांड की महिला किरदारों की जद में सिर्फ मध्य प्रदेश के ही नेता, नौकरशाह और कारोबारी नहीं आए हैं, बल्कि उनका जाल छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और गोवा तक फैला हुआ था। छत्तीसगढ़ के नेताओं ने तो इन महिलाओं को हवाला के जरिए और सीधे भोपाल तक रकम भेजने तक  का काम किया है। इसका खुलासा एक बरामद हुई डायरी से तब हुआ था। जिसमें छत्तीसगढ़ के तीन पूर्व मंत्री, दो अफसरों और एक कारोबारी का उल्लेख है। यही नहीं पकड़ी गईं महिलाओं के मोबाइल, लैपटॉप और पेन ड्राइव से बड़ी संख्या में वीडियो क्लिपिंग भी मिली थीं।

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