सिंचाई विभाग में जारी है रिटायर अफसरों को उपकृत करने का खेल

सिंचाई विभाग

भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश के जल संसाधन विभाग में नियमों को ताक पर रखकर सेवानिवृत्त हो चुके अफसरों को उच्च पदों पर नियुक्त करने का खेल बड़े स्तर पर जारी है। यही वजह है कि इस विभाग में पूर्व जूनियर इंजिनियर तक को संविदा नियुक्ति देकर प्रमुख अभियंता तक बना दिया जाता है। दरअसल यह प्रदेश का ऐसा महकमा है, जिसमें बीते एक दशक से इसी तरह का खेल किया जा रहा है। इस विभाग में एक समय तो ऐसा आ चुका है, जब विभाग के लगभग सभी महत्वपूर्ण पदों पर पूर्व अफसरों को संविदा पर रखकर काम सौंप दिया गया था। इसकी वजह से नीचे के पद वालों को उच्च पदों पर काम का मौका ही नहीं मिल पा रहा है, जिससे अधीनस्थ अफसरों का न केवल मनोबल टूट रहा है , बल्कि विभाग के साथ ही सरकार की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर सवाल खड़े होते रहते हैं। अब ताजा मामला विभाग के प्रमुख अभियंता के पद का सामने आया है। विभाग ने पूर्व जूनियर इंजीनियर शिशिर कुशवाहा को प्रभारी प्रमुख अभियंता के पद पर संविदा नियुक्ति प्रदान कर दी है। इस नियुक्ति से अब विभाग के आला अधिकारियों की भूमिका पर भी कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं। इसकी वजह है विभाग के पास पहले से ही पांच सीनियर इंजीनियर मौजूद हैं। यह पांचों ही सेवानिवृत्त हो चुके कुशवाहा से  दो पद सीनियर भी है। इसकी वजह से यह यक्ष  प्रश्न खड़ा हो गया है कि ऐसी क्या वजह है कि सेवानिवृत्त के साथ ही जूनियर को विभागाध्यक्ष जैसे महत्वपूर्ण पद पर बैठा दिया गया। आरक्षित समाज सेवा संघ के प्रदेश अध्यक्ष मुकेश बंसल ने सेवानिवृत इंजीनियर शिशिर कुशवाहा की नियुक्ति मामले में मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव से शिकायत की है। मामले की जांच होना चाहिए। अगर इस मामले की जल्दी जांच नहीं की गई तो हमारा संगठन आंदोलन करने को मजबूर होगा।
यह है पूरा मामला
27 जून 2023 को जल संसाधन विभाग के अपर सचिव दिलीप नाथ गांधी द्वारा निकाले गए आदेश में सेवानिवृत्त हो चुके जूनियर इंजीनियर शिशिर कुशवाहा को संविदा नियुक्ति देकर विभाग का प्रभारी प्रमुख अभियंता के पद पर बैठा दिया है। इंजीनियर शिशिर कुशवाहा पिछले एक वर्ष पूर्व सेवानिवृत हो चुके थे। गौरतलब है कि विभाग में ईएनसी का पद लंबे समय से रिक्त चल रहा था। इसके पूर्व में भी विभाग में एमएस डाबर को सेवानिवृत्त होने के बाद लगातार संविदा नियुक्ति इस पद पर दी जाती रही है। इस दौरान डाबर की कार्यप्रणाली पर लगातार सवाल खड़े होते रहे हैं। गौरतलब है कि इसके पहले बीते एक दशक में जल संसाधन विभाग की राजघाट परियोजना दतिया के चीफ इंजीनियर संजीव श्रीवास्तव , प्रमुख अभियंता एमजी चौबे चीफ इंजीनियर ,संतोष कुमार खरे सहित आधा सैकड़ा इंजीनियर कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद संविदा पर नियुक्त कर महत्वपूर्ण प्रभार सौंपा जा चुका है।  

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