40 हजार बच्चों का भविष्य अधर में

भविष्य अधर में
  • बिना किताब कर रहे पढ़ाई

भोपाल/ बिच्छू डॉट कॉम। मध्य प्रदेश में स्कूली बच्चों का शैक्षणिक सत्र आधा गुजर जाने के बावजूद चालीस हजार बच्चे बिना किताबों के पढ़ाई कर रहे हैं। सरकार की तरफ से दी जाने वाली नि:शुल्क किताबें इन बच्चों को अभी तक नहीं मिली हैं। भोपाल जिले में सभी सुविधाओं का उपयोग करने वाले बीआरसीसी की किताबों के वितरण के मामले में सबसे बेकार स्थिति है। प्रदेश के सरकारी स्कूलों में पहली से आठवीं तक के बच्चों को सरकार नि:शुल्क किताबें उपलब्ध कराती है। किताबों की प्रिटिंग का जिम्मा पाठ्यपुस्तक निगम के पास है। पाठ्यपुस्तक निगम से किताबें मिलने के बाद राज्य शिक्षा केंद्र द्वारा बीआरसीसी के माध्यम से स्कूलों में किताबें बच्चों को दी जाती है। पाठ्यपुस्तक निगम व राज्य शिक्षा केंद्र ऐप के माध्यम से किताबों की ट्रेकिंग करता है।
शैक्षणिक सत्र 2024-25 की किताबें पाठ्यपुस्तक निगम ने अप्रैल के पहले बीआरसीसी के पास पहुंचा दी थीं, लेकिन भोपाल समेत प्रदेश के कई जिलों में आधा सत्र गुजरने के बाद भी अभी तक चालीस हजार बच्चों को किताबें नहीं दी गई हैं। राज्य शिक्षा केंद्र के 14 अक्टूबर 2025 की स्थिति के आंकड़े बताते है कि देश में कुल 57 लाख 75 हजार 623 बच्चों को नामांकन हुआ है। इसमें 57 लाख 15 हजार 765 बच्चों किताबें मिल चुकी है। 39 हजार 295 बच्चे ऐसे जिन्हें अभी तक किताबें नहीं मिली है। प्रदेश में कुल 6904 स्कूलों में किताबों का वितरण अभी-भी पेडिंग है।
भोपाल रैंकिंग में सबसे पीछे
राजधानी भोपाल में सभी सुविधाओं का उपयोग करने वाले बीआरसीसी ने आधा संत्र बीतने के बाद 98 फीसदी स्कूलों में किताबें पहुंचाई है। प्रदेश के सरकारी स्कूलों में किताबों के वितरण मामले में भोंपाल जिले की 49वीं रैंक है। श्योपुर जिला सबसे पीछे है। पहले नंबर पर उज्जैन जिला है।
किताबों के वितरण की राशि खा जाते है बीआरसीसी
स्कूलों में किताबों के वितरण के लिए राज्य शिक्षा केंद्र द्वारा बीआरसीसी को फंड दिया जाता है। इस फंड का उपयोग कर बीआरसीसी स्कूलों में किताबें पहुंचाते हैं, लेकिन भोपाल समेत अधिकांश जिलों की यह स्थिति है कि कुछ बीआरसीसी स्कूलों में किताबें नहीं पहुंचाते है, बल्कि शिक्षकों को बीआरसीसी कार्यालय बुलाकर किताबें देते है। राज्य शिक्षा केंद्र द्वारा जो फंड दिया जाता है, उसका फर्जी बिल बनाकर राशि हड़प लेते हैं। भोपाल जिले में भी किताबों के फर्जी बिल बनाकर राशि हड़पने के कई मामले सामने आ चुके हैं।

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