
- शासकीय नर्सिंग कॉलेजों को नहीं मिली मान्यता
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मध्यप्रदेश में नर्सिंग शिक्षा की स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है। प्रदेश के 13 शासकीय नर्सिंग कॉलेज मान्यता से वंचित हैं। इससे करीब 3000 विद्यार्थियों का भविष्य दांव पर है। इन कालेजों में शैक्षणिक ढांचे की भारी कमी, फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र और भर्ती प्रक्रिया में अनियमितताएं हैं। राज्य सरकार की गाइडलाइन के बावजूद इन कालेजों ने न तो फैकल्टी नियुक्त की और न ही जरूरी सुविधाएं पूरी कीं। अगस्त में इन कॉलेजों की मान्यता प्रक्रिया को लेकर शिकायत की थी, लेकिन विभाग ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। इनमें से कई कॉलेज कुछ संस्थान केवल एक या दो फैकल्टी के भरोसे चल रहे हैं।
जानकारों का कहना है कि विभाग के कुछ अधिकारी निजी संस्थानों से मिलीभगत कर रहे हैं, जिससे सरकारी कॉलेजों की मान्यता रुकी हुई है। इन कॉलेजों में करीब 1200 से ज्यादा सीटें हैं, जो अब खाली रह जाने का खतरा है। वहीं इन सरकारी नर्सिंग कॉलेजों की नर्सिंग काउंसिल से मान्यता नहीं मिलने की वजह से इन कॉलेजों में पढ़ाई कर रहे करीब 3000 विद्यार्थियों का भविष्य दांव पर लगा है।
दूसरे कॉलेजों का रूख कर रहे छात्र
जानकारी के अनुसार, इस साल जिन नए विद्यार्थियों को सरकारी नर्सिंग कॉलेजों में दाखिला मिलना था, उसकी प्रक्रिया ही शुरू नहीं हो पाई है। मजबूर होकर उन्हें दूसरे प्रदेशों अथवा निजी कॉलेजों की ओर रुख करना पड़ रहा है। निजी कॉलेजों में बीएससी नर्सिंग पाठ्यक्रम का सालाना शुल्क करीब एक लाख रुपया है, जबकि सरकारी कालेजों में यह मात्र 30 हजार रुपया रहता है। चार साल की पढ़ाई में सरकारी कालेज जहां लगभग 1.20 लाख रुपये में कोर्स पूरा कराते हैं, वहीं निजी कॉलेजों में यह खर्च चार से पांच लाख रुपये तक पहुंच जाता है। साथ ही सरकारी संस्थानों में आरक्षित वर्ग के विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति भी मिलती है। मप्र के नर्सिंग कालेजों में पहले 30 सिंतबर तक प्रवेश प्रकिया पूर्ण होनी थी लेकिन प्रक्रिया की शुरूआत ही 22 सितंबर से हुई। अब इंडियन नर्सिंग काउंसिल (आईएनएस) से अनुमति लेकर इसकी तिथि 30 अक्टूबर तक बढ़ा दी गई है। तय कार्यक्रम के मुताबिक 13 अक्टूबर को अस्थायी सीट आवंटन व 14 से 18 तक अपग्रेडेशन और प्रवेश होने हैं।
मंत्री और नेताओं के जिलों में ही खराब स्थिति
जिन 13 कॉलेजों को मान्यता नहीं मिली उनमें रायसेन, मंदसौर, नरसिंहपुर, जबलपुर, सागर, खंडवा, अमरकंटक, भोपाल, झाबुआ, सीधी, राजगढ़ और दतिया के कॉलेज शामिल हैं। जिन संस्थानों को अभी तक मान्यता नहीं मिली है उनमें शासकीय नर्सिंग कॉलेज, रायसेन में प्राचार्य, उप प्राचार्य और असिस्टेंट प्रोफेसर नहीं हैं। शासकीय कॉलेज आफ नर्सिंग, मंदसौर में मात्र पांच फैकल्टी कार्यरत हैं। शासकीय कॉलेज आफ नर्सिंग, नरसिंहपुर में उप प्राचार्य, एसोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर नहीं हैं। शासकीय आयुर्वेद कॉलेज, जबलपुर में केवल दो फैकल्टी कार्यरत हैं। शासकीय जीपीएनएम स्कूल, राजगढ़ में प्राचार्य, उप प्राचार्य और असिस्टेंट प्रोफेसर के पद रिक्त हैं। शासकीय कॉलेज आफ नर्सिंग, बुंदेलखंड मेडिकल कालेज सागर में स्टाफ की भारी कमी है। स्कूल आफ नर्सिंग, खंडवा में प्रमुख पद खाली हैं। डिपार्टमेंट आफ नर्सिंग, इंदिरा गांधी ट्राइबल यूनिवर्सिटी, अमरकंटक में कुल 50 सीटों पर केवल एक फैकल्टी हैं। पंडित खुशीलाल शर्मा आयुर्वेद महाविद्यालय, भोपाल में फैकल्टी नियुक्ति मानक से कम हैं। शासकीय जीपीएनएम स्कूल, झाबुआ में प्राचार्य व असिस्टेंट प्रोफेसर नहीं हैं। शासकीय जीपीएनएम स्कूल, सीधी में प्रमुख पद रिक्त हैं। स्कूल आफ नर्सिंग, दमोह में शिक्षण स्टाफ नहीं हैं। शासकीय धनवंतरी आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज, उज्जैन में केवल एक फैकल्टी कार्यरत है।