प्रदेश के वन क्षेत्रों में बिखरेगी चंदन की खुशबू

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भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। राज्य के वन विभाग की मंशा अब वन क्षेत्रों को चंदन की खुशबू से महकाने की है। इसके लिए अब अगले साल तमाम वन क्षेत्रों में चंदन के पेड़ रोपने के निर्देश दिए गए हैं। विभाग के मुखिया रमेश कुमार गुप्ता द्वारा मैदानी स्तर पर पदस्थ अफसरों को जारी निर्देष में इस संबध में तैयार करने को कहा गया है। चंदन के पौधे रोपने के साथ ही उनकी रखवाली के लिए भी निर्देश दिए गए हैं। जारी किए गए दिशा-निर्देशों में कहा गया है, कि जिन क्षेत्रों में यह पौधे रोपे जाएं, वहां पर उनकी सुरक्षा के लिए चैनलिंक फेसिंग के साथ लकड़ी के खम्भे, बांस व पोल्स से सुरक्षा घेरा बनाया जाए। इसके लिए ऐसी जगह का चयन किया जाए , जहां पर जलभराव की स्थिति नहीं बनती हो। इसके लिए मुरमुरी, रेतीली व बालू मिट्टी वाला क्षेत्र का ही चयन किया जाए। इन निर्देशों में पौधा रोपण और उसको लेकर बरती जाने वाली सावधानियों का भी उल्लेख किया गया है। इनमें हर पौधे के बीच रखी जाने वाली दूरी से लेकर उसे लगाने के लिए उपयोग में लाए जाने वाले गड्ढे और मिट्टी की भी जानकारी शामिल है। इन निर्देशों में कहा गया है कि गड्डों में 250 ग्राम वर्मी कम्पोस्ट, 2 किलोग्राम सड़ी खाद (एफवायएम), 100 ग्राम नीम केक एवं बाकी गड्डों से निकली हुई मिट्टी डाली जाए साथ ही निदाई के साथ 50 ग्राम डीएपी खाद डाली जाए। आगामी वर्षों में आवश्यकतानुसार खाद का प्रयोग किया जाएगा। चूंकि चंदन के पौधे प्रारंभिक तीन चार साल पारशियल रूट पेरासाइट होते हैं, इसलिए इसके होस्ट प्लांट हेतु अरहर व तुलसी दोनों को गड्ढों से 6-7 इंच की दूरी पर रोपित किया जाएगा अर्थात चन्दन के पौधे के एक तरफ तुलसी के पौधे तो दूसरी ओर अरहर के पौधे रोपे जाएंगे। कीटों का प्रकोप होने पर क्लोरोपाईरिफॉस का उपयोग करने को कहा गया है। यदि फफूंद का प्रकोप हो रहा है, तो डिथानेएम-45 नीला थोथा एवं चूने के मिश्रण का उपयोग किया जाएगा।संयुक्त वन प्रबंधन समितियों से ली जाए मदद दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि संयुक्त वन प्रबंधन समितियों से सहयोग लेकर यह काम कराया जाए, साथ ही उनकी मदद पौधों की सुरक्षा के लिए भी ली जाए।  प्राक्कलन एवं तकनीकी स्वीकृति हेतु सात वर्षीय परियोजना प्राक्कलन तैयार करके स्थलवार प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार करने को भी कहा गया है। इसमें कहा गया है कि तकनीकी स्वीकृति जारी होने के बाद ही काम शुरु कराए जाएं। इसी तरह से फेसिंग की खरीदी के लिए सामग्री की गुणवत्ता एवं भंडार क्रय नियम का पालन भी पूरी तरह से किया जाए। अप्रैल 2024 में प्रचलित मजदूरी दरों के अनुसार राशि का आवंटन किया जाएगा। चंदन वृक्षारोपण क्षेत्र का आंकलन लगाए गए पौधों की संख्या के आधार पर होगा अर्थात 1100 पौधों का एक हेक्टेयर माना जाएगा। उदाहरण स्वरूप यदि 10 हेक्टेयर सकल क्षेत्र में कुल 8800 पौधा लगाए गए हैं, तो उसे 8 हेक्टेयर मानकर दर निर्धारित होगी। अनुश्रवण एवं मूल्यांकन विभागीय निर्देशों के अनुसार क्षेत्र का अनुश्रवण एवं मूल्यांकन कराया जाएगा। सभी स्थलों को आवश्यक रूप से विभागीय वृक्षारोपण मॉनिटरिंग सिस्टम एवं ई-ग्रीन वॉच पोर्टल पर दर्ज किया जाएगा। कटबैक, बीज बुवाई एवं प्राकृतिक पुनरुत्पादन के फलस्वरूप प्राप्त पौधों के परिणाम का आंकलन करने के लिए सर्वेक्षण किया जाएगा। परिणामों के आंकलन करने के लिए कार्य प्रारम्भ करने के पूर्व बेंच मार्किंग हेतु चयनित क्षेत्र में पुनरुत्पादन एवं वन संनिधि का सर्वेक्षण किया जाएगा।

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