
अब तक किसी भी पंचायत में नहीं हुआ कोई काम
भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। ग्रामीण इलाकों में ग्राम पंचायतों द्वारा चलाई जाने वाली योजनाएं अभी सरकार द्वारा दी जाने वाली आर्थिक मदद से ही संचालित होती हैं, जब कभी मदद नहीं मिल पाती है, तो यह योजनाएं भी ठप्प हो जाती हैं। इस से बचाने के लिए ही सरकार ने ग्राम पंचायतों को आत्मनिर्भर बनाने की योजना तैयार की थी। इसके तहत उन कामों को कराया जाना था, जिससे अनवरत रूप से पंचायत को आय होती रहे। इस आय से पंचायत पेयजल , सफाई और बिजली के बिल आदि का भुगतान समय पर करता रहे , जिससे की इन योजनाओं पर कोई संकट खड़ा न हो। सरकार की इस मंशा पर अब पंचायतों की तंगहाली भारी पड़ रही है। ग्राम पंचायतों के पास पैसा ही नहीं है, जिसकी वजह से वे ऐसा कोई काम ही नहीं करा पा रहे हैं, जिससे की पंचायत की आय सुनिश्चित की जा सके। यही वजह है कि सरकार की यह योजना परवान ही नहीं चढ़ पा रही है। पंचायत चुनाव हुए अब एक साल का समय हो गया है , लेकिन कोई भी पंचायत इस मामले में एक कदम तक नहीं चल सकी है। दरअसल इस आत्मनिर्भर बनने के लिए कमाई के साधन जैसे ओपन जिम, मैरिज गार्डन और दुकानें बनाने के लिए ग्राम पंचायतें इच्छा तक नहीं जता रही हैं। विभागीय सूत्रों की माने तो हर ग्राम पंचायत को मूलभूत कामों के लिए ही हर साल करीब एक करोड़ रुपए की जरूरत रहती है, लेकिन बामुश्किल से एक ग्राम पंचायत को करीब 10 से 12 लाख रुपए ही मिल पाते हैं। ऐसे में सवाल यह बना हुआ है कि आत्मनिर्भर बनाने के लिए पंचायत स्तर पर फंड की व्यवस्था कैसे हो।
नलजल योजना का ही बिजली खर्च दो हजार करोड़
योजना के तहत गांव की स्ट्रीट लाइटें, नल-जल प्रदाय, कार्यालयों और अन्य कामों में सोलर बिजली का उपयोग किया जाना है। इसी तरह से जल जीवन मिशन के तहत प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में एक करोड़ घरेलू जल कनेक्शन दिए जाने का काम भी किया जा रहा है। इस काम में ग्राम पंचायतों के बिजली बिल पर करीब 2000 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है। सूर्य शक्ति अभियान के तहत सौर ऊर्जा के इस्तेमाल से इस राशि को बचाया जा सकता है।
आय के लिए इस तरह के उठाने थे कदम
पंचायत को आर्थिक रुप से आत्मनिर्भर बनाने के लिए ग्राम पंचायतों को पर्यटन को विकसित कर मैरिज गार्डन बनाकर उसे चलाना, सरकारी जमीन पर चौपाल या छोटी दुकानें बनाकर हाट बाजार का निर्माण, दुकानों के साथ यात्री प्रतीक्षालय बनाना, बस स्टैंड पर दुकानों का निर्माण वॉटर प्लांट लगाकर उनका संचालन करना , नर्सरी और पौध विक्रय केंद्र के साथ ही ओपन जिम बनाना था।
बीते साल यह दिए गए थे निर्देश
सरकार ने इस मामले में बीते साल साल निर्देश दिए थे। जिसमें कहा गया था कि पंचायतों को अब खुद ही अपनी आय की व्यवस्था करना होगी। बिजली का बिल भी खुद चुकाना होगा। केंद्र और राज्य से मिला अनुदान सिर्फ इंफ्रास्ट्रक्चर और सामाजिक काम में ही खर्च किया जाएगा। इसके लिए पंचायतों को कई तरह के कमा भी सुझाए गए थे। इनमें 5 हजार से ज्यादा आबादी वाली पंचायतों में मिनी साइंस सेंटर भी खोलने की योजना थी, लेकिन कहीं भी नहीं खुल सके।
सूर्य शक्ति अभियान के हाल भी बेहाल
ग्राम पंचायतों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार ने बीते साल ही सूर्य शक्ति अभियान को भी लांच किया था। इसके तहत प्रदेश के गांवों को सौर ऊर्जा की बिजली से रोशन करने की मंशा थी। इसके पीछे सरकार की मंशा गांवों स्तर पर विभिन्न व्यवस्थाओं के संचालन में परंपरागत बिजली पर निर्भरता कम करना है। योजना के पहले चरण में 5 हजार से अधिक आबादी वाली 714 ग्राम पंचायतों और हाट बाजारों वाले सभी गांवों, सभी जिलों और जनपद पंचायत कार्यालयों को सूर्य शक्ति अभियान में शामिल किया जाना था, लेकिन यह योजना भी परवान नहीं चढ़ सकी है।