
भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। मानव दुर्व्यापार यानी मानव तस्करी समेत बच्चों और महिलाओं के खिलाफ अपराध करने वालों की धरपकड़ करने और उसे लोगों की निगरानी के लिए जो वाहन पुलिस मुख्यलय ने जिला पुलिस बल को दिए थे, उन पर पुलिस अफसरों की ऐसी कुदृष्टि पड़ी की वे अब इन अफसरों की शोभा बन गए हैं। दरअसल इन वाहनों के रुप में बोलेरो जीप प्रदान की गई थी।
अब यह वाहन आला अफसरों की सेवा में तैनात कर दिए गए हैं। नए और लग्जरी वाहन होने की वजह से यह वाहन अफसरों की पहली पसंद बन गए हैं। इसकी वजह से इनका उपयोग मानव दुर्व्यापार से संबंधित मामलों की तफ्तीश समेत उससे संबंधित कार्यों के लिए नहीं हो पा रहा है। यह वाहन अब कई जिलों में सीएसपी या इसके समकक्ष स्तर के अधिकारियों को अलॉट किए जा चुके हैं। यही वजह है कि अब महिला अपराध शाखा द्वारा इन वाहनों की स्थिति का भौतिक सत्यापन कराने का कदम उठाया जा रहा है। इसके लिए अधिकारियों को जिला वार निरीक्षण का काम सौंपा गया है। इसकी रिपोर्ट अधिकारियों को दी जाएगी। पूर्व में जारी निर्देशों के मुताबिक इन वाहनों का अन्य कामों में उपयोग नहीं किया जा सकता है। इस मामले में महिला अपराध शाखा के आला अफसरों का कहना है कि इस तरह की कई शिकायतें मिली है यही वजह है कि अब मुख्यालय से अधिकारियों को वास्तविक स्थिति का पता लगाने के लिए भेजा गया है। शिकायत मिली थी कि इन वाहनों का उपयोग अन्य अधिकारियों और दीगर कामों में किया जा रहा है। गौरतलब है कि मानव तस्करी, बंधुआ बनाने समेत महिलाओं और बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराधों की रोकथाम के लिए 700 थानों में ऊर्जा डेस्क बनाई गई हैं।
मानव तस्करी के बढ़े मामले
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक मप्र में मानव तस्करी के मामले बढेÞ हैं। वर्ष 2020 में मानव तस्करी के 80 केस दर्ज किए गए, जबकि वर्ष 2019 में ये आंकड़ा 73 और वर्ष 2018 में 63 था। इसी तरह वर्ष 2020 में बच्चों के खिलाफ 17008 अपराध दर्ज किए गए थे।
ऊर्जा डेस्क को मिले सात करोड़ रुपए
700 थानों में संचालित ऊर्जा डेस्क को संसाधन से पूर्ण करने के उद्देश्य से सात करोड़ रुपए दिए गए हैं। प्रत्येक ऊर्जा डेस्क को एक लाख रुपए की राशि जारी की गई है। इससे लैपटॉप, स्टेशनरी समेत अन्य जरूरी उपकरण खरीदे जाएंगे।