लापरवाही की हद: चार साल में महज 11 फीसदी ही काम हुआ

 नगर निगम

-रीवा,कटनी सहित चार नगर निगमों में हाल-बेहाल

भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम।
प्रदेश के अफसर किस तरह से लापरवाह हैं, इसकी बानगी रीवा, सतना, कटनी और सिंगरौली नगर निगमों में साफ दिखती है। इन चारों ही नगर निगमों में बीते चार साल में नाम के लिए ही सीवेज का काम किया गया है। इसमें भी सतना में तो हालात इतने खराब है कि इस अवधि में महज 11 फीसद ही काम किया गया है। यह पता चलने पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इन चारों ही नगर निगमों की कार्यप्रणाली से बेहद नाराज हैं।
उधर पता चला है कि सीवेज प्रोजेक्ट्स के अधूरे कामों के मामले में नगर निगम प्रशासन और ठेका कम्पनी की मिलीभगत है। अब इसकी जांच रिपोर्ट सीएम शिवराज सिंह चौहान ने तलब की है। दरअसल चार माह पहले की गई समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री चौहान ने चारों जिलों की इस परियोजना में वर्षों में अपेक्षित प्रगति नहीं मिलने पर नाराजगी जताते हुए मुख्य सचिव से इस मामले में रिपोर्ट देने को कहा था। मुख्यमंत्री चौहान ने परियोजना के क्रियान्वयन में नगर निगम प्रशासन और ठेका कम्पनी की भूमिका की जांच करने को भी कहा था। इसके बाद अन्य शहरों में भी सीवेज परियोजनाओं की स्थिति की रिपोर्ट भी नगरीय विकास विभाग से सीएम ने मांगी है।
2016 में शुरू हुई थी योजना
चारों शहरों में शामिल कटनी एवं सिंगरौली नगरीय निकायों के सीवेज प्रोजेक्ट्स का काम वर्ष 2016-17 में और रीवा, सतना में वर्ष 2017 में काम शुरू किया गया था। इन शहरों में काम की गति इतनी धीमी रही कि उनके लिए बार-बार टाइम लेने के बाद भी काम पूरा होना तो ठीक आधा भी नहीं हो सका। इन शहरों का यह काम केके स्पन इंडिया लिमिटेड के पास है। इसमें रीवा में 199.37 करोड़ रुपए , सतना में 191.56 करोड़ , कटनी में 96.50 करोड़ रुपए और सिंगरौली में 110.46 करोड़ की लागत के यह प्रोजेक्ट हैं। इसके तहत पाइप लाइन, रोड रेस्टोरेशन, मेन होल्स, हाऊस सर्विस चैम्बर, हाउस सर्विस कनेक्शन आदि का कार्य होना है।
सतना में सर्वाधिक हाल बेहाल
सतना नगर निगम में मात्र 11 फीसदी ही काम हुआ है। इसकी वजह से निगम आयुक्त तन्वी हुड्डा ने हाल ही में दो टेंडर निरस्त किए हैं। यह कार्रवाई सीएम की समीक्षा के बाद की गई है। यहां पर 206 करोड़ के अमृत मिशन प्रोजेक्ट में 495 किमी सीवर लाइन की जगह पांच साल में 110 किमी लाइन ही डाली गई है। यही स्थिति अन्य जिलों के निकायों में भी  बनी हुई है।

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