हटेंगे नर्मदा किनारे के अतिक्रमण हाईकोर्ट ने सरकार से मांगी रिपोर्ट

हाईकोर्ट

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मध्य प्रदेश की जीवनदायिनी और धार्मिक महत्व की नर्मदा नदी के किनारे किए गए अवैध निर्माणों के बुरे दिन शुरू होने जा रहे हैं। इस नदी के तीन सौ मीटर के दायरे में किए गए अतिक्रमण को अब पूरी तरह से हटाया जाएगा। यही नहीं इस पूरी कार्रवाई की रिपोर्ट भी सरकार को जबलपुर हाईकोर्ट में पेश करनी होगी। दरअसल नर्मदा के उच्च बाढ़ स्तर नहीं, बल्कि सामान्य जल स्तर से 300 मीटर के भीतर के निर्माण को अवैध की श्रेणी में रखा गया है। इसकी वजह से अब नए सिरे से कार्रवाई होना तय मानी जा रही है। इसको लेकर प्रदेश सरकार द्वारा अपनी मंशा साफ कर चुकी है। यह मामला अब पूरी तरह से हाईकोर्ट के पाले में है। दरअसल हाल ही में हाईकोर्ट के पूर्व निर्देश के पालन में राज्य शासन की ओर से जानकारी दी गई है कि नर्मदा नदी के हाई फ्लड लेवल से नहीं, बल्कि सामान्य जलस्तर से 300 मीटर के दायरे में निर्माण कार्य प्रतिबंधित है। इसके लिए टीएनसीपी के नियमों में भी यही प्रावधान पूर्व से हैं। इस मामले की सुनवाई करते हुए अब मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ व न्यायमूर्ति विशाल मिश्रा की युगल पीठ ने इसे  रिकॉर्ड पर लेकर याचिकाकर्ता के प्रत्युत्तर के लिए अगली सुनवाई 30 सितंबर को करना तय किया है। दरअसल नर्मदा मिशन के अध्यक्ष निलेश रावल की ओर से दायर जनहित याचिका में कहा है कि नर्मदा नदी के 300 मीटर के प्रतिबंधित जोन में किसी भी प्रकार का निर्माण नहीं किया जा सकता है। प्रतिबंधित जोन के 300 मीटर के दायरे में राइटेरियन जोन और हाई फ्लड लेवल जोन भी शामिल है। नदी के दोनों किनारों को राइटेरियन जोन की श्रेणी में रखा है। राइटेरियन जोन में प्राकृतिक रूप से उगने वाले पेड़-पौधे पानी को संरक्षित करने के साथ नदी को कटाव से बचाते हैं। बारिश के दौरान नदी के उच्चतम जलस्तर को हाई फ्लड लेवल जोन कहते हैं। सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के आदेशों के अनुसार नदी के 300 मीटर के दायरे में किसी भी प्रकार का निर्माण और खुदाई नहीं की जा सकती । याचिका में आरोप लगाया है कि तिलवारा में नर्मदा नदी के 300 मीटर के दायरे में बड़े स्तर पर निर्माण किए जा रहे हैं। अधिवक्ता सौरभ तिवारी ने तर्क दिया कि 300 मीटर के दायरे में यदि निर्माण कार्य को नहीं रोका तो नर्मदा नदी का मूल स्वरूप परिवर्तित होने का खतरा बढ़ जाएगा। नदी के प्रतिबंधित जोन में किए जा रहे निर्माण को रोकने के लिए संभागायुक्त, कलेक्टर और नगर निगम को आवेदन दिया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई।
हाईकोर्ट ने मामले को किया व्यापक
हाईकोर्ट ने इस मामले को पूरे प्रदेश में नर्मदा तटों के लिए व्यापक कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि राज्य भर में नर्मदा के उच्चतम बाढ़ के स्तर से 300 मीटर दायरे के सभी निर्माण हटाकर रिपोर्ट पेश की जाए। राज्य सरकार व जिला प्रशासन द्वारा हाई कोर्ट के आदेश के पालन में अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। 30 मई, 2019 को हाईकोर्ट ने नर्मदा के 300 मीटर प्रतिबंधित दायरे में निर्माण पर रोक लगा दी थी। साथ ही सरकार को हाई फ्लड लेबल से तीन सौ मीटर के अंदर हुए। निर्माणों का ब्यौरा पेश करने को कहा था। इस पर राज्य शासन की ओर से यह जवाब दिया गया है।

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