सूबे के वृद्ध दो माह से नहीं हो पा रहे तीर्थ दर्शन को रवाना

  • बजट ने रोके तीर्थ दर्शन ट्रेनों के पहिए  …

भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में चार साल पहले जब कांग्रेस की सरकार बनी थी , तभी से प्रदेश की तीर्थ दर्शन योजना को पता नहीं किस की नजर लगी है कि यह योजना गति ही नहीं पकड़ पा रही है। अपने पन्द्रह माह के कार्यकाल में कांग्रेस सरकार ने इस योजना का अंतिम समय में महज नाम के लिए संचालन किया, लेकिन सूबे में सरकार बदली तो  लगा की अब यह योजना गति पकड़ेगी और एक बार फिर से वृद्धोंं को तीर्थ दर्शन सहज और सुलभ होगी, लेकिन ऐसा अब तक होता नहीं दिख रहा है।  इसकी वजह है बजट की र्प्याप्त व्यवस्था नहीं होना। यही वजह है कि प्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की महत्वाकांक्षी तीर्थ दर्शन योजना की ट्रेनों के पहिए बीते दो माह से चल ही नहीं पा रहे हैं।
दरअसल विभाग के पास इस योजना में पैसा ही नहीं है, जिसकी वजह से इन्हें चलाने पर विभाग आगे ही नहीं बढ़ पा रहा है। माना जा रहा है कि द्वितीय अनुपूरक बजट में कुछ पैसा विभाग को इस मद में मिल सकता है तभी  , नए साल में योजना पर अमल किया जा सकेगा। अगर इसमें भी बजट नहीं मिल पाता है तो फिर नए वित्त वर्ष के बजट का इंतजार करना होगा।  प्रदेश में अंतिम बार 6 अक्टूबर को 5 ट्रेनें अलग-अलग जिलों से तीर्थ यात्रा पर रवाना हुई थीं। उसके बाद से तीर्थ दर्शन के लिए ट्रेनों को रवाना करना बंद कर दिया गया है। यही नहीं बजट के अभाव में नया प्लान भी तैयार नहीं किया गया है।  प्रदेश में मिशन 2023 की तैयारी है। इस बीच सरकार ने अपनी इस लोकप्रिय योजना के जरिए  सितंबर 2023 तक 150 ट्रेनें चलाने की योजना बनाई है। इसके लिए सरकार ने करीब 200 करोड़ रुपए का बजट भी खर्च करने का संकल्प जताया था। एक ट्रेन से एक बार में करीब एक हजार बुजुर्गों को तीर्थ यात्रा पर भेजा जाता है। इस तरह प्रदेश के सभी 52 जिलों से करीब डेढ़ लाख लोगों को योजना का लाभ दिलाने का ऐलान किया गया है। सितंबर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन पर प्रदेश से 5 ट्रेनें तीर्थ क्षेत्रों को रवाना की गईं थीं।
इन धार्मिक स्थलों की कराई जाती है यात्रा
योजना में बद्रीनाथ, केदारनाथ, द्वारका, सरकार ने नए साल में इस योजना के जगन्नाथ पुरी, हरिद्वार, अमरनाथ, वैष्णो देवी, शिरडी, तिरुपति, अजमेर, काशी, अमृतसर, रामेश्वरम, सम्मेद शिखर, श्रवणबेलगोला और बेलंगी चर्च नागपट्टिनम तीर्थ शामिल हैं। योजना के तीन साल बाद इसमें अयोध्या, मथुरा, प्रयाग, गंगासागर, सेंट थामस चर्च केरल तथा संत कबीर का जन्म स्थान लहरतारा को भी शामिल किया गया है।
इस तरह से की जाती है व्यवस्था
विभाग द्वारा इस यात्रा की योजना तैयार की जाती है।  सूत्रों का कहना है कि अभी आगामी यात्राओं का कार्यक्रम नहीं बना है। कार्यक्रम बनने के बाद सभी जिला कलेक्टरों के जरिए यात्रियों का चयन और इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉपोर्रेशन (आईआरसीटीसी) को ट्रेनों की रूट व्यवस्था फाइनल करने में दो- तीन सप्ताह का समय लग जाता है।  इसलिए यह माना जा रहा है कि अब तीर्थ यात्रियों की ट्रेनों को इस साल हरी झंडी दिखाई जाना मुश्किल है।  नए साल में ही यात्रा शुरू हो पाएगी।
हवाई जहाज की भी तैयारी
तहत यात्रियों को हवाई जहाज से तीर्थ यात्रा कराने का ऐलान भी किया है। इस तरह देश में बुजुर्गों को फ्लाइट से तीर्थ दर्शन कराने वाला मप्र पहला राज्य होगा। देश के जो तीर्थ हवाई सेवा की सीधी कनेक्टिविटी में हैं उन तीर्थों को इस योजना में शामिल किया गया है। धार्मिक न्यास और धर्मस्व विभाग अभी इसकी योजना बनाने में जुटा है। ट्रेनों में एक हजार यात्री जाते हैं जबकि हवाई जहाज में दो किस्तों में 500 बुजुर्गों को घुमाने का विचार है। हवाई जहाज से रामेश्वरम, तिरुपति और वैष्णोदेवी तीर्थ के लिए पहली खेप ले जाने की योजना है।

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