
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। जिसका जितना रसूख उसका उतना सम्मान यह कहावत पूरी तरह से इंदौर जिला प्रशासन पर फिट बैठती है। यहां पर जिला प्रशासन ने राष्ट्रीय पर्व 15 अगस्त के दिन शहर के दो प्रभावशाली और बड़े नेताओं को ही सम्मानित करवा दिया। इस नई परंपरा को लेकर अब पूर्व व वर्तमान अफसरशाही से लेकर हर कोई सवाल खड़े कर रहा है। इन नेताओं को उन कर्मचारियों के साथ सम्मानित किया गया है जिनके द्वारा प्रशासन की नजर में कोरोना काल में अच्छा काम किया गया है।
प्रशासन द्वारा ऐसे करीब तीन सौ लोगों को एक साथ सम्मानित किया गया है। दरअसल मालनी गौड़ वर्तमान में विधायक हैं, जबकि मधु वर्मा पूर्व आईडीए के अध्यक्ष रह चुके हैं। दोनों ही जनप्रतिनिधि सत्तारुढ़ दल भाजपा से आते हैं। हद तो यह हो गई कि उन अफसरों के काम काज को भी स्थानीय प्रशासन ने अच्छा मान लिया है, जिनके द्वारा संकट काल में लोगों के साथ न केवल बदसलूकी की गई, बल्कि उनकी वजह से प्रशासन को बदनामी का दंश भी झेलना पड़ा है। अब हालत यह है कि जनप्रतिनिधियों का सम्मान कराने के मामले में जिला प्रशासन की जमकर आलोचना हो रही है। इस मामले में जिला प्रशासन अब पूरी तरह से बैकफुट पर आ गया है। वह दो जनप्रतिनिधियों को सम्मानित कर उनकी गुडबुक में तो आ गया, लेकिन अब उसे अन्य सत्तारुढ़ दल के नेताओं और विधायकों की नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है। यही वजह है कि अब इस मामले में जिला प्रशासन द्वारा सफाई दी जा रही है कि उन्हें राजनेता होने के नाते नहीं बल्कि कोविड और आॅक्सीजन कमेटी में अध्यक्ष के नाते उत्कृष्ट कार्यों के लिए सम्मानित किया गया है। उनके साथ ही उनकी पूरी टीम को भी सम्मानित किया गया है। अब इस मामले को लेकर सोशल मीडिया पर भी लोग कई तरह के कमेंट कर रहे हैं। दरअसल कई अन्य शहर के जनप्रतिनिधि ऐसे हैं जिनके द्वारा कोरोना संकटकाल में दोनों हाथों से जनता की मदद की गई है, लेकिन उन्हें इस सम्मान से पूरी तरह से दूर रखा गया है। इस मामले में पूर्व अफसरों का कहना है कि जनप्रतिनिधि या विधायक का इस तरह सम्मान करने की कोई परंपरा कभी भी नहीं रही है। हालांकि उनका कहना है कि इस तरह के सम्मान के लिए कोई पैमाना नहीं है और न ही कोई गाइडलाइन। परंपरा को देखें तो ये बात सही है कि नेताओं को कभी इस तरह से सम्मानित नहीं किया गया।
खास बात यह है कि इस आजादी की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर जिला प्रशासन ने उस तहसीलदार का काम भी बेहतरीन माना है, जिसने ग्रामीणों से कैमरे के सामने बेहद अभद्रता की थी। यह अफसर हैं देपालपुर तहसीलदार बजरंग बहादुर। उनका एक वीडियो ग्रामीणों को लात मारते हुए सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुआ था। जिला प्रशासन में पदस्थ आला अफसरों के बेहद खास होने की वजह से उन्हें भी पुरस्कृत करवा दिया गया। यह पुरस्कार भी उन्हें तब दिया गया है, जबकि उनसे मानवाधिकार आयोग ने नोटिस देकर जवाब तक तलब किया है।
क्या कहते है लोग: विधायक, जनप्रतिनिधि या किसी व्यक्ति को सम्मानित करने का कहीं कोई किसी तरह का नियम नहीं है। वैसे भी नेताओं को ऐसे सम्मानित करने की कोई पुरानी परंपरा भी नहीं रही है। अफसरों की जगह अगर आम जनता उन्हें सम्मानित करे तो अलग बात है। जनप्रतिनिधियों का काम ही है जनता के हित में काम करना।
यहां पर तो हद ही हो गई
प्रदेश के राजगढ़ और आगर जिला मुख्यालय में तो हद ही हो गई। आगर में जिला भाजपा कार्यालय पर तिरंगा से ऊंचा भाजपा का झंडा लगा हुआ था तो वहीं , राजगढ़ में परेड में शामिल गाड़ी पर झंडा उल्टा ही लगा दिया गया। खास बात यह है कि इस गाड़ी का उपयोग प्रभारी मंत्री मोहन यादव ने परेड की सलामी के लिए किया है। हद तो यह हो गई कि इस मामले में महज अदने से कर्मचारी वाहन चालक को दोषी मानकर उसे एसपी प्रदीप शर्मा ने निलंबित कर दिया और दो अन्य कर्मचारियों को नोटिस जारी कर दिया है। आगर के मामले में स्थानीय भाजपा नेताओं का तर्क है कि पार्टी का झंडा भवन पर पहले से ही ऊंचाई पर लगा हुआ था।
कांग्रेस बता रही राष्ट्रद्रोह
आगर से कांग्रेस विधायक विपिन वानखेड़े का कहना है कि कुछ ही दिन पहले आगर में एक भाजपा नेता ने भारत माता का फोटो फाड़कर अपमान किया था। आज फिर भाजपा द्वारा राष्ट्रध्वज से ऊपर भारतीय जनता पार्टी का झंडा लगाकर राष्ट्र विरोधी कदम उठाया गया है।
कांग्रेस ने सोशल मीडिया पर बोला हमला
आगर को लेकर कांग्रेस पूरी तरह से हमलावर हो गई है। स्थानीय कांग्रेस नेताओं द्वारा इस मामले को सोशल मीडिया पर जमकर वायरल किया जा रहा है। यही नहीं कांग्रेस ने झंडा का अपमान बताते हुए करोड़ों भारतीयों के स्वाभिमान और तिरंगे की आन-बान और शान पर चोट बताया है। इस मामले में उनके द्वारा सरकार पर भी तीखे आरोप लगाए गए हैं।