
- खपत का फिर बना रिकॉर्ड, 16 हजार मेगावाट का आंकड़ा हुआ पार
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में सर्दी के मौसम के बाद भी बिजली की मांग इस सप्ताह में तीसरी बार रिकार्ड बना चुकी है। अच्छी बात यह है कि मांग के अनुरुप बिजली की सप्लाई भी की गई, जिससे प्रदेश के कहीं भी किसी भी इलाके में बिजली की कटौती नहीं करनी पड़ी।
दरअसल इस समय रबी का सीजन चल रहा है, जिसकी वजह से फसल की सिंचाई चल रही है। इसकी वजह से प्रदेश में बिजली की खपत में लगातार वृद्धि हो रही है। दो दिन पहले शुक्रवार सुबह 11.06 बजे 16,089 मेगावाट बिजली की मांग पुहंच गई थी , लेकिन सप्लाई भी पूरी मांग के अनुरूप की गई। यह पहला मौका है जबकि एक ही सप्ताह में बिजली की मांग और आपूर्ति के तीन बार रिकॉर्ड टूटे।
अच्छी बात यह है कि मापंग के अनुरूप आपूर्ति करने में प्रदेश के चारों सरकारी थर्मल पावर प्लांट भी पूरा साथ दे रहे हैं। इनमें लंबे अरसे बाद 4,053 मेगावाट बिजली का उत्पादन हुआ। यह भी एक रिकॉर्ड है। बीते साल सर्वाधिक खपत और आपूर्ति 15,692 मेगावाट दर्ज की गई थी। जबलपुर स्थित एमपी स्टेट लोड सेंटर (एमपीएसएलडी) के अफसरों का कहना है कि यह डिमांड 15 जनवरी तक बनी रहेगी। खासतौर से दिसंबर के दूसरे सप्ताह को पीक माना जाता है। इधर, कंपनी ने भी खपत और आपूर्ति के लिए रणनीति भी बनाई है।
पूरी क्षमता से हो रहा उत्पादन
जर्जर हो चुके प्रदेश के चारों सरकारी थर्मल पावर प्लांट भी उत्पादन में सरकार का साथ दे रहे हैं। शनिवार शाम छह बजे सभी चार प्लांटों में 4,053 मेगावाट बिजली का उत्पादन हुआ। एसएलडीसी के एक अधिकारी का कहना है कि चारों प्लांटों को फुल लोड पर चलाया जा रहा है। आमतौर पर इनमें 3,000 से 3,700 मेगावाट तक बिजली का उत्पादन होता है । शुक्रवार को सरकारी प्लांटों के अलावा केंद्रीय, राज्य, निजी पावर प्लांट और बैंकिंग की बिजली लेकर इसकी सप्लाई की गई। इसके अलावा प्रदेश के हाइडल प्लांट से लगभग 2 हजार मेगावाट बिजली ली गई।
बारिश हुई तो कम हो जाएगी मांग
बिजली मामलों के जानकारों का कहना है कि आमतौर पर दिसंबर के मावठा और बरसात होता है, जिसके कारण खेती में नमी आ जाती है। इस कारण सिंचाई की जरूरत नहीं होती है। उनका कहना है कि यदि मावठा और बरसात हुई तो प्रदेश में बिजली की खपत कम हो जाएगी।