मप्र में सहकारिता विभाग अब लचर स्थिति में

सहकारिता विभाग

-न स्टाफ, न अफसर प्रभार भरोसे का काम

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम।
मप्र में सहकारिता को ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विकास का आधार माना जाता है। लेकिन पिछले कुछ सालों के दौरान सहकारिता की स्थिति लचर होती जा रही है। इसकी वजह यह है कि स्टाफ के साथ ही अफसरों की कमी दिन पर दिन बढ़ती जा रही है। ऐसे में काम करने के लिए अफसरों पर प्रभार का भार डाला जा रहा है। इससे सहकारिता का काम प्रभावित हो रहा है। प्रदेश में 80 लाख से अधिक किसानों को ऋण दिलाने, चार हजार से ज्यादा सहकारी समितियों का आॅडिट करने, बड़े शहरों में सैकड़ों की संख्या में गृह निर्माण सहकारी संस्थाओं के न्यायालयीन प्रकरणों को सुलझाने और वित्तीय तथा प्रशासनिक सिस्टम को चलाने वाला सहकारिता विभाग अब लचर हो गया है। सहकारिता विभाग से मिली जानकारी के अनुसार विभाग के अन्तर्गत कर्मचारी और अफसरों की संख्या लगातार घट रही है। यहां तक कि प्रदेश के आधे से ज्यादा जिलों में सहायक आयुक्त, उपायुक्त और संयुक्त आयुक्त नहीं हैं। दर्जनभर जिला केन्द्रीय सहकारी बैंकों में सीईओ नहीं है। गबन और भ्रष्टाचार करने वाले सस्पेंड हुए। पारदर्शिता लाने के पूरे प्रयास हुए लेकिन खामियों के चलते विभाग अपनी गति नहीं पकड़ पा रहा है। इस कारण विभाग का काम लगातार प्रभावित हो रहा है। संयुक्त आयुक्त (प्रशासन) सहकारिता बृजेश शरण शुक्ला का कहना है कि जहां पद खाली हैं वहां अतिरिक्त प्रभार दे रहे हैं। क्या करें? न प्रमोशन हो रहे और न भर्ती। शासन स्तर पर आवश्यक प्रयास चल रहे हैं। अफसर होंगे तो काम में गति आएगी।  प्रदेश के करीब 13 जिला सहकारी केंद्रीय बैंकों में सीईओ के पद खाली हैं। इससे वित्तीय कार्यवाही और खरीदी कार्य प्रभावित, समय पर रिकॉर्ड तैयार नहीं हो रहे। अफसरों की कमी का असर यह हो रहा है कि एक-एक अधिकारी पर कई जिलों और कार्यों का भार है। जैसे केव्ही सोरते को होशंगाबाद, बैतूल उपायुक्त एवं सहायक आयुक्त,  बासुदेव सिंह भदौरिया को हरदा सहायक आयुक्त सहकारिता एवं अंकेक्षण, सुरेश सांवले को बड़वानी सहायक एवं अंकेक्षण संजय सिंह आर्य को नीमच सहकारिता एवं अंकेक्षण, अखिलेश शुक्ला को अंकेक्षण एवं सहकारिता दतिया, राजू डाबर को दमोह, सहकारिता एवं अंकेक्षण, अरुण कुमार मशराम को पन्ना सहकारिता एवं अंकेक्षण, दीप्ती वनवासी को उपायुक्त सीधी एवं सिंगरौली, सहायक आयुक्त सहकारिता सीधी, आरती पटेल को सहायक एवं अंकेक्षण आयुक्त उमरिया,  राजयश बर्धन को उपायुक्त कटनी, सहा. आयुक्त कटनी, राजेश उड़के को सहायक आयुक्त सहकारिता अंकेक्षण मंडला, अंजली धुर्वे को सहायक आयुक्त अंकेक्षण छिंदवाड़ा एवं सिवनी का काम देखना पड़ रहा है।
न्यायिक प्रकरणों का नहीं हो रहा निराकरण
अफसरों की कमी और दोहरे प्रभार का असर यह हो रहा है की न्यायिक प्रकरणों का निराकरण नहीं हो पा रहा है। उपायुक्त की कमी के कारण न्यायिक प्रकरण को निराकरण जैसे धारा 64 में विवादों को निबटाना, सदस्यों में लेन-देन देखना, धारा 55 में कर्मचारियों के सवा संबंधी और धारा 84-85 अन्तर्गत वसूली के केस आदि, सहकारी समितियों का ऑडिट, प्रशासनिक व्यवस्था, वेतन, कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई करना, समितियों के बोर्ड को हटाना, नई समितियों का पंजीयन आदि प्रभावित हो रहे हैं। सहायक आयुक्त की कमी के कारण प्राइमरी स्तर के कार्य, प्राथमिक सहकारी समितियों पर कार्रवाई, ऑडिट करना, न्यायिक प्रकरणों का निराकरण प्रभावित हो रहा है।
संयुक्त आयुक्त के पास दोहरे चार्ज
प्रदेश में कई संयुक्त आयुक्त के पास दोहरे चार्ज हैं। शहडोल के पास रीवा का प्रभार, होशंगाबाद जेआर का प्रभार मुख्यालय में बैठे अफसर के पास, जबलपुर के जेआर के पास सागर का प्रभार है। इसी प्रकार सहायक आयुक्त सहकारिता अंकेक्षण का काम देख रहे हैं। उन्हें रायसेन, सीहोर, विदिशा, बैतूल, धार, बुरहानपुर, झाबुआ, खंडवा, खरगोन, उज्जैन, देवास, मंदसौर, रतलाम, गुना, शाजापुर, आगर मालवा, ग्वालियर, रीवा, शिवपुरी, मुरैना, श्योपुर, सागर, छतरपुर, टीकमगढ़, सतना, भिंड, सिंगरौली, जबलपुर, बालाघाट, डिंडोरी, नरसिंहपुर में काम करने पड़ रहे हैं। यही नहीं संयुक्त आयुक्त न्यायिक पद जबलपुर, भोपाल और इंदौर में रिक्त हैं। पदों की कमी होते हुए भी आयुक्त सहकारिता ने नर्मदापुरम (होशंगाबाद) जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी को सस्पेंड कर दिया है। इधर भोपाल, अलीराजपुर, बुरहानपुर, अशोकनगर, जबलपुर, बालाघाट, नरसिंहपुर जिलों में उपायुक्त सहकारिता ही नहीं हैं। अफसरों की कमी के बाद भी प्रतिनियुक्ति पर जमे अफसर नहीं हिल रहे हैं। अरुण दुबे, यतीश त्रिपाठी, केके दुबे, संजय मौर्य, डीपी सिंह, रितुरंजन दूसरे विभागों में प्रतिनियुक्ति पर हैं। आलम यह है कि अरुण मिश्रा, संजय दलेला, उमेश तिवारी, कृति सक्सेना मुख्यालय में 10 साल से जमे हैं।

Related Articles