मेरीटेक प्राइवेट लिमिटेड को उपकृत करने दे दिया ठेका

मेरीटेक प्राइवेट लिमिटेड
  • आयुर्विज्ञान मेडिकल यूनिवर्सिटी में नियमों की उड़ रही धज्जियां

भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। घपले, घोटाले और फर्जीवाड़े के लिए बदनाम आयुर्विज्ञान मेडिकल यूनिवर्सिटी जबलपुर में नियमों को ताक पर रखकर बड़े फर्जीवाड़े की तैयारी हो रही है। इसके लिए यूनिवर्सिटी के मौजूदा कुलसचिव एवं सहायक कुलसचिव ने नियमों को दरकिनार कर मेरीटेक प्राइवेट लिमिटेड को उपकृत करने की मंशा से ठेका दे दिया। विश्वविद्यालय के छात्रों ने इस प्रक्रिया को लेकर विरोध के स्वर तेज कर दिए हैं। विश्वविद्यालय के मप्र स्टूडेंट यूनियन का कहना है कि कुलसचिव और सहायक कुलसचिव ने निजी कंपनी को सेवा का ठेका देने में नियमों की अवहेलना की है।  दरअसल, यूनिवर्सिटी में धारा 51 लागू थी। पुरानी कार्य परिषद कमेटी भंग हो गई थी। 9 फरवरी को नई कार्य परिषद की नियुक्ति की गई। 22 फरवरी को टेंडर ओपन करने के लिए समिति की बैठक की गई लेकिन कार्य परिषद के सदस्यों को शामिल नहीं किया गया।  और मेरीटेक प्राइवेट लिमिटेड को उपकृत करने की मंशा से ठेका दे दिया। हालांकि कुलसचिव डॉ. प्रभात बुधौलिया का कहना है कि ठेका देने से पहले सारे नियम प्रक्रियाओं का पालन किया गया है। छात्रों को जो प्रमाण पत्र 283 रुपए देकर मिलता था ,वह अब 95 रुपए में फोन करने पर मिलेगा।
सीएम के निर्देश के बाद भी आरोपियों को बचाने की कोशिश: व्यापमं घोटाले की तरह ही आयुष में हुए प्रवेश घोटाले की जांच पूरी होने के बाद आरोपियों को बचाने की कवायद चल रही है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दो टूक शब्दों में विभाग के मंत्री और पीएस को कहा है कि आरोपियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए। मुख्यमंत्री के निर्देश पर घोटाले में कथित रूप से संलिप्त डॉक्टर शोभना शुक्ला को निलंबित कर दिया गया। जबकि डॉक्टर एसपी वर्मा प्रभारी उपसंचालक, डॉ वंदना बोराना प्रभारी सहायक संचालक, नीतू कुशवाह प्रोफेसर होम्योपैथिक कॉलेज, डॉक्टर नईम ओएसडी संचालनालय और डॉक्टर अंतिम नलवाया जिला आयुष अधिकारी भोपाल को बचाने की कोशिश की जा रही है। इन आरोपियों को आयुष विभाग ने कारण बताओ नोटिस जारी कर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली। सूत्रों ने बताया कि एक वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री के दबाव में विभाग डॉ वंदना बोराना पर कार्रवाई करने से बच रहा है। डॉ बोराना की आड़ में शेष आरोपियों को भी आवेदन दिए जाने की आशंका व्यक्त की जा रही है।
इस तरह किया गया फर्जीवाड़ा
नियम के मुताबिक कार्य समिति के सदस्यों को शामिल किया जाना अनिवार्य था। यूनियन का कहना है कि विश्वविद्यालय पर नियम क्रमांक 3 के अनुसार एक लाख से अधिक के समस्त कार्यों के लिए कार्य परिषद द्वारा उनके सदस्यों में से 2 सदस्य का नाम निर्देशित करने का स्पष्ट प्रावधान है। धारा 51 के अंतर्गत 9 फरवरी को विश्वविद्यालय में कार्यपरिषद के सदस्य के रूप में डॉ गीता गुड्डन और डॉक्टर राजेश धीरा वाणी को नामांकित किया गया। धारा 51 के तहत कार्य परिषद की पहली बैठक 3 मार्च 22 को आयोजित की गई. जबकि निजी कंपनी मेरी टेक सर्विस प्राइवेट लिमिटेड को लाभ पहुंचाने की मंशा से क्रय समिति की बैठक 22 फरवरी को हुई। समिति ने कार्य परिषद की गैरमौजूदगी में निजी कंपनी को ठेका देने का निर्णय ले लिया। बताया जाता है कि यह नियम विरूद्ध है।
ब्लैक लिस्ट होने के बाद भी कंपनी को भुगतान
आर्युविज्ञान मेडिकल यूनिवर्सिटी में घपले-घोटाले किस कदर हो रहे हैं , इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि विश्वविद्यालय में घोटाले करने वाली निजी कंपनी माइंड लॉजिक का मामला न्यायालय में विचाराधीन है। गड़बड़ी के चलते विश्वविद्यालय ने कंपनी को ब्लैक लिस्ट कर दिया है। इसके बाद भी कंपनी को विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने 80 लाख का भुगतान कर दिया । जानकारों का कहना है कि यह भुगतान कोर्ट का  निर्णय आने के बाद किया जाना चाहिए था। सूत्रों ने बताया कि माइंड लॉजिक कंपनी विश्वविद्यालय की डाटा ले गई है। इसके कारण छात्रों को मार्कशीट बनाने में विश्वविद्यालय को दिक्कत हो रही है। उधर, यूनियन के अध्यक्ष अभिषेक पांडेय का कहना है कि इस मुद्दे को लेकर आंदोलन करेंगे। इसके अलावा कोर्ट में भी याचिका दाखिल करेंगे। यूनियन अध्यक्ष ने दावा किया है कि नई कंपनी भी ब्लैक लिस्टेड बताई जा रही है।

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