प्रदेश में सीएम राइज स्कूलों के हाल-बेहाल

सीएम राइज स्कूलों

न शिक्षक न सुविधा ‘अधर में शिक्षा’…

भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। सरकार ने शिक्षा को गुणवत्तापूर्ण बनाने के लिए सीएम राइज स्कूल शुरू किए हंै। लेकिन सीएम राइज स्कूलों में आधा सत्र बीतने के बाद भी न तो शिक्षा गति पकड़ सकी है न ही बच्चों को सुविधाएं मिल पा रही है, जबकि दावा था कि ये निजी स्कूलों की तरह बेहतर साबित होंगे। कई जिलों में सीएम राइज स्कूलों में अधिकतर पद  खाली हैं। दूसरी ओर कई स्कूल ऐसे हैं, जहां 10-10 टीचर तक अतिशेष हैं। आनन -फानन सीएम राइस स्कूल तो खोल दिए गए लेकिन स्कूलों में फर्नीचर जैसी जरूरी व्यवस्थाएं तक नहीं हंै। साथ ही सबसे जरूरी शिक्षकों की अभी तक नियुक्ति नहीं हो सकी। इन स्कूलों में अभी भी स्टाफ की कमी है जबकि आधा शैक्षणिक सत्र बीत गया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की मंशानुसार ये स्कूल प्राइवेट स्कूलों की तरह सर्व सुविधायुक्त होने हैं। लेकिन अभी तक व्यवस्थाएं आधी-अधूरी हैं। खास बात यह कि इन स्कूलों में अध्यापकों की पदस्थापना में ही पूरी तरह असफल रहने वाले अधिकारियों को मप्र गौरव सम्मान दे दिया गया। बता दें कि इन स्कूलों में टीचर्स और स्टाफ की पदस्थापना के लिए शिक्षा विभाग महीनों लंबी प्रक्रिया से गुजरा था। स्थापना शाखा में पदस्थ एडिशनल डायरेक्टर  आचार्य तक को बदलने की नौबत आई थी। सीएम राइज स्कूलों को केंद्रीय विद्यालयों की तर्ज पर डेवलप किया जाना है।  इन्हें पढ़ाई  के आधुनिक संसाधनों के अलावा क्वालिफाइड टीचर के साथ शुरू करना था। राजधानी के रसीदिया कॉन्वेंट स्कूल को छोड़कर बाकी पुराने स्कूल भवनों की बाहर से पुताई कराकर सीएम राइज स्कूल का नाम दे दिया गया है। अधिकतर स्कूलों में अभी तक सुविधाएं भी नहीं मुहैया कराई जा सकी हैं।
कहीं अधिक तो कहीं कम शिक्षक
सीएम राइज स्कूल के प्राचार्य के लिए परीक्षा हुई। हाईस्कूल-हायर सेकंडरी प्राचार्य दोनों को पात्र पाया गया। हाईस्कूल प्राचार्य को सीएम राइज हायर सेकेंडरी स्कूल का प्राचार्य और हायर सेकंडरी स्कूल प्राचार्य को हाईस्कूल का प्राचार्य बना दिया। निशातपुरा हायर सेकंडरी स्कूल में हाईस्कूल प्राचार्य है। बर्रई स्थित सीएम राइज हाई स्कूल में हायर सेकंडरी प्राचार्य को पदस्थ कर दिया गया। बैरसिया हायर सेकंडरी स्कूल प्राचार्य का पद रिक्त है। परीक्षा के आधार पर शिक्षक पदस्थ किए। लेकिन पुराने शिक्षकों के तबादले नहीं किए। नतीजतन महात्मा गांधी हायर सेकंडरी स्कूल भेल में 10-12, गोविंदपुरा हायर सेकंडरी स्कूल में 3, कमला नेहरू टीटी नगर में 3-4 टीचर अतिशेष हैं। अन्य स्कूलों में भी यही हाल है। रीवा, सिंगरौली समेत दूरदराज के सीएम राइज स्कूलों में लगभग सारे पद रिक्त हैं। विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम के गांव ढेरा और विधानसभा क्षेत्र देवतालाब के सीएम राइज स्कूल में शिक्षकों के कई पद रिक्त हैं। इन स्कूलों में जो शिक्षक पदस्थ हुए, उन्हें यहां काम ज्यादा दिखा।  इस बीच ट्रांसफर खुले।  इन्हें भी ट्रांसफर लेने की पात्रता दी गई। महात्मा गांधी स्कूल में 5-6, कमला नेहरू में 3-4 और ऐसे ही कई स्कूलों में शिक्षकों ने ट्रांसफर करा लिए। इसके बाद इन्हें पूरे सत्र में रिलीव होने पर रोक लगा दी गई। अंडर ट्रांसफर टीचर पढ़ाई में ध्यान नहीं दे रहे। भोपाल जिले के सभी सीएम राइज स्कूलों का औसत रिजल्ट 40 फीसदी के आसपास रहा। पूरे प्रदेश के 245 सीएम राइज स्कूलों का रिजल्ट इससे भी खराब बताया गया। सीएम राइज स्कूल में बस व्यवस्था के लिए टेंडर में रेट इतने कम रखे कि ट्रांसपोर्टर भरने ही नहीं आए। इससे कई जगह बस शुरू नहीं हो सकी। अपर संचालक, प्रभारी सीएम राइज स्कूल, लोक शिक्षण संचालनालय डीएस कुशवाहा का कहना है कि सीएम राइज स्कूलों में पदस्थ अचयनित शिक्षकों के लिए ट्रांसफर का ऑप्शन था।
आधे बच्चे भी पास नहीं
मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट सीएम राइज स्कूल अपनी पहली परीक्षा में ही बेहतर नतीजे देने में सफल नहीं हो सके हैं। कक्षा 10वीं से लेकर 12वीं तक पढ़ने वाले बच्चों की तिमाही परीक्षा का रिजल्ट संतोषजनक नहीं रहा है। 10वीं का औसतन 30 प्रतिशत तथा 12वीं का रिजल्ट 40- 45 प्रतिशत रहा है। यह हाल तब है, जबकि स्कूल शिक्षा विभाग का दावा है कि इन स्कूलों में सभी विषयों के शिक्षकों की पूर्ति कर दी गई है और सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने केंद्रीय विद्यालयों की तर्ज पर प्रदेश में 9200 सीएम राइज स्कूल खोलने की घोषणा की थी। इस सत्र में प्रदेशभर में 245 सीएम राइज स्कूल शुरू किए गए हैं। इनमें राजधानी के आठ स्कूल शामिल किए गए हैं। स्कूलों के रिजल्ट बिगडऩे के कई कारण है। जिसमें इन स्कूलों में क्वालिफाइड शिक्षकों की नियुक्ति होनी है। लेकिन करीब 70 प्रतिशत पुराने शिक्षक ही पढ़ा रहे हैं। पुराने शिक्षकों को उनके मूल स्कूल में भेजा जाना है। इसलिए उन्होंने बच्चों को पढ़ाने पर विशेष ध्यान नहीं दिया। भर्ती वाले शिक्षक कॉन्सेप्ट को समझ नहीं पाए हैं। नियुक्ति के बाद इनका किसी तरह का प्रशिक्षण भी नहीं हुआ। इन स्कूलों में प्रवेश के लिए एंट्रेंस एग्जाम नहीं हुआ। पुराने बच्चे पढ़ रहे। शासकीय सीएम राइज हायर सेकंडरी स्कूल निशातपुरा के  राकेश जैन का कहना है कि स्कूल का नाम भले ही सीएम राइज है, लेकिन यहा बच्चे पुराने ही हैं। ये बच्चे एंट्रेंस एग्जाम देकर नहीं आए हैं। पुराना स्टाफ जाने के इंतजार में बेमन से पढ़ा रहा है और नया स्टाफ एडजस्ट नहीं हो पाया है। परीक्षा में हमने सख्ती की है, अब आगे रिजल्ट सुधारने के लिए तीन प्रकार की अतिरिक्त कक्षाएं लगा रहे हैं।

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