
भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश का आम आदमी भले ही गिनी चुनी राजनैतिक पार्टियों को जानता है , लेकिन वास्तविकता यह है की प्रदेश में ही करील दो दर्जन से अधिक दल हैं। इनमें से करीब डेढ़ दर्जन से अधिक तो मध्यप्रदेश के पते पर ही रजिस्टर्ड हैं। इनमें से कई के तो नाम आम आदमी क्या खास ने भी नहीं सुने हैं। कहा तो यह जा रहा है की इनमें से कई राजनैतिक दलों का उपयोग तो महज चंदे के लिए ही किया जा रहा है। इनमें से कई दलों के नेताओं और उनके पतों तक का भी पता नहीं चल पा रहा है। दरअसल इनके पते ठिकानों पर या तो ताला डला हुआ है या फिर उनके पते बदल गए हैं , लेकिन इसकी जानकारी चुनाव आयोग को ही नहीं दी गई है। अब आयोग ऐसे दलों की छानबीन में जुट गई है। यह वे दल हैं, जिन्हें गैर मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों में शामिल किया गया है। खास बात तो यह है कि आयोग ने ऐस 70 के करीब राजनैतिक दलों की सूची बनाई है , जो अपनी हर साल दी जाने वाली ऑडिट रिपोर्ट तक आयोग को नहीं दे रहे हैं। इनमें से कई राजनैतिक दल बाकायदा कॉपोर्रेट घरानों या अन्य व्यवसायियों से चंदा तो ले रहे हैं , लेकिन उसकी जानकारी भी आयोग को नहीं दे रहे हैं। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी द्वारा अब प्रदेश में इन दलों की बीते तीन सालों की जांच पड़ताल शुरू की गई है। इनमें से 15 दल तो ऐसे मिले हैं , जिनके पतों पर भेजे गए पत्र तक बैरंग लौट आए हैं। इनमें या तो पते पर कोई नहीं मिला है ,या फिर उनके आॅफिस पर ताले लगे मिले हैं। कई के तो पते ही बदल चुके हैं , लेकिन उसकी जानकारी किसी को भी नही है। अब आयोग इस तरह के तमाम गैर मान्यता प्राप्त दलों को अयोग्य करार देने की तैयारी कर रहा है। इसमें से भोपाल की दो और इंदौर, ग्वालियर, मुरैना, जबलपुर की एक-एक पार्टी की मान्यता तक रद्द कर दी गई है।
कर चोरी का जरिया बनी
दरअसल इस तरह के राजनैतिक दल कर चोरी का बड़ी जरिया बन गए है। इसका हाल ही में खुलासा हो चुका है। इसके बाद आयकर विभाग ने आयोग को बताया है की देश के साथ ही मप्र में ऐसे कई दल हैं, जो चंदा तो ले रहे हैं, लेकिन उसकी जानकारी व सालाना आॅडिट रिपोर्ट तक नहीं दे रहे हैं। यह हाल तब है जबकि आयोग के अधिनियम में स्पष्ट प्रावधान है की चंदे और ऑडिट की जानकारी हर साल देना जरूरी है। हाल ही में इंदौर में छोटे राजनीतिक दलों को चंदा देकर टैक्स चोरी का मामला सामने आ चुका है। इस मामले में तब करीब 80 लोगों को आयकर विभाग द्वारा नोटिस भी दिए गए थे। चंदे में राजनीतिक दलों को छूट है, लेकिन व्यवसायी अथवा कॉपोर्रेट घराने चैक से चंदा देकर उसका 80-90 फीसदी पैसा किसी दूसरे तरीके से वापस ले लिया जाता है। साथ ही चंदा देने के बाद आयकर विभाग से उतनी राशि की छूट ले लेते हैं।
40 पूर्व प्रत्याशी आयोग्य घोषित होंगे
उधर, आयोग ने ऐसे प्रत्याशियों की सूची भी तैयार की है जिनके द्वारा पूर्व में लोकसभा व विधानसभा का चुनाव तो लड़ा है, लेकिन चुनाव खर्च की जानकारी आयोग को अब तक नहीं दी गई है। इनमें 2019 का लोकसभा और 2018 का विधानसभा चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशी शामिल हैं। इनमें लोकसभा के 24 और विधानसभा का चुनाव लड़ने वाले 26 उम्मीदवार शामिल हैं। इनमें से महज 10 उम्मीदवारों ने ही जानकारी आयोग में दी है। इसकी वजह से अब 40 उम्मीदवारों पर कार्रवाई की तैयारी की जा रही है।
इन दलों को तलाश असफल
खास बात यह है की जब इन राजनैतिक दलों की तलाश की गई तो कहीं पता गलत मिला तो कहीं ताला ही लगातार डला हुआ मिला है। हद तो यह हो गई की कई ने अपना पता बदल लिया है, लेकिन उसकी जानकारी किसी को भी नही है। ऐसे दलों में अभा आरक्षित समाज पार्टी,भारतीय नवयुवक पार्टी, भारतीय गणतंत्र पार्टी, जय लोक पार्टी , जय मानवता पार्टी,राष्ट्रीय आमजन पार्टी, राष्ट्रीय धर्मनिरपेक्ष नवभारत पार्टी, राष्ट्रीय इंदिरा पार्टी, समता समाधान पार्टी, सर्वधर्म पार्टी (मप्र), स्वर्णिम भारत इंकलाब, भारतीय श्रमिक दल सोशलिस्ट, किसान राज पार्टी, सर्वे भवंतु सुखिन पार्टी, अद्वैत ईशावस्यम कांग्रेस, भारतीय जनसंपर्क पार्टी के नाम शामिल हैं।