जिलों के मुखिया का चुनना पड़ रहा भारी

जिलों के मुखिया
  • एक जिले से आधा -आधा दर्जन नाम आ रहे हैं सामने

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। इस बार भले ही संगठन ने विधानसभा प्रत्याशियों के तर्ज पर दिल्ली से जिलाध्यक्षों के नामों की घोषणा की योजना बनाई है, लेकिन उसके लिए पैनल बनाने में संगठन को पसीना आ रहा है। इसकी वजह है, एक-एक जिले से आधा -आधा दर्जन नाम पैनल में आना। यही वजह है कि इन नामों में से प्रदेश स्तर पर भी नाम छांटने का काम कर तीन-तीन नामों का पैनल बनाया जाकर दिल्ली भेजा जाएगा। हालत यह है कि अभी तो कई जिलों में नामों का पैनल तक तैयार नहीं हो सके हैं। इसके बाद भी लोगों में दोवदारों के नामों को लेकर घमासान शुरु हो चुका है। दरअसल इसकी वजह है मंडल अध्यक्षों के चुनाव। इन चुनावों में प्रदेश से भेजे गए चुनाव प्रभारियों ने कार्यकर्ताओं की जगह विधायकों व संासदों की राय को महत्व दिया है जिसकी वजह से कई ऐसे कार्यकर्ता मंडल अध्यक्ष बनने में सफल रहे हैं , जिनकी कार्यप्रणाली से कार्यकर्ता नाराज रहने को मजबूर रहे हैं। इसमें पार्टी द्वारा तय की गई गाइड लाइन का भी कई जगह खुलकर उल्लंघन होने की शिकायतें सामने आ रही हैं। यही वजह है कि अभी से कई जिलाध्यक्षों को फिर से मौका देने को लेकर भी प्रदेश कार्यालय में जिलों के नेता आकर विरोध कर रहे हैं। संगठन का प्रयास है कि आधे से अधिक जिलों में आम राय के साथ सिंगल नाम तय हो जाए और पैनल में तीन या पांच नाम न भेजना पड़े पर अभी यह संभव नहीं दिख रहा है। वहीं इस बार जिलाध्यक्ष के चयन में महिला नेत्रियों की लाटरी खुलना तय माना जा रहा है। करीब दो दर्जन जिलों में महिला शक्ति को मौका इस बार दिया जाना तय माना जा रहा है। प्रदेश में प्रशासनिक रूप से 55 जिले हैं पर भाजपा के संगठनात्मक ढांचे के हिसाब से 60 जिले हैं। पांच जिले भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर और उज्जैन में वह शहर के साथ ग्रामीण अध्यक्षों की भी नियुक्ति करता है। उधर, आज से दिल्ली में दो दिन तक भाजपा की बड़ी बैठकें होने जा रही हैं। राष्ट्रीय स्तर पर हो रही इन बैठकों में राज्यवार संगठन चुनावों की प्रगति और स्थानीय परिस्थितियों के हिसाब से नीतिगत निर्णय लिए जाने हैं। इसी बैठक में मप्र में जिलाध्यक्षों को रिपीट करने या नहीं करने की गाइडलाइन तय हो सकती है। प्रदेश भाजपा सूत्रों के मुताबिक संगठन में बड़े तबके की मांग है कि 5 साल तक जिलाध्यक्ष रह चुके व्यक्ति को दोबारा रिपीट नहीं किया जाए।
1 से 3 जनवरी तक तैयार किया जाएगा पैनल
बताया जाता है 1 जनवरी से 3 जनवरी के बीच 3 नामों का अंतिम पैनल तैयार किया जाएगा। इसके बाद अंतिम नामों की सूची फाइनल कर केंद्रीय संगठन को भेज दी जाएगी। केंद्रीय संगठन 5 जनवरी के बाद इसे कभी भी जारी कर देगा। रायशुमारी करने वाले सभी जिला प्रभारियों को 1 से 3 जनवरी के बीच तीन-तीन नामों का पैनल प्रदेश स्तर पर सौंपना है। जिला प्रभारियों को कहा गया है कि तीन नामों के पैनल में जहां संभव हो वहां एक सक्षम महिला कार्यकर्ता का नाम जरूर शामिल करना है। अब तक जो तय हुआ उसके हिसाब से कोई भी जिलाध्यक्ष 60 वर्ष से अधिक आयु का नहीं होगा। लगभग 25 फीसदी जिलाध्यक्ष के पद महिलाओं को दिए जा सकते हैं। यानी कुल 60 जिलाध्यक्षों में से 15 जिलाध्यक्ष महिलाएं हो सकती हैं।

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