
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। 2018 तक कांग्रेस के लिए मिलकर लड़ाई लडऩे वाले राजा और महाराजा यानी दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया इस बार आपस में भिड़ेंगे। राजा के सामने जहां राजगढ़ जिले में अपनी साख बचाने की चुनौती है, वहीं ग्वालियर-चंबल में अधिक से अधिक सीटें जीतने की जिम्मेदारी। वहीं महाराज के सामने जहां अपना गढ़ यानी ग्वालियर-चंबल को बचाने की चुनौती है, वहीं राजगढ़ जिले में अधिक से अधिक सीटें जीतने की जिम्मेदारी। अब देखना यह है कि दोनों नेताओं में से कौन अपनी पार्टी के लिए कमाल दिखाता है। गौरतलब है कि सिंधिया कांग्रेस में थे तो वे और दिग्विजय सिंह मिलकर सारे समीकरण साध लेते थे। अब कांग्रेस में यह जिम्मेदारी अकेले दिग्विजय सिंह पर है। उधर सिंधिया के सामने भी बड़ी चुनौती है। उल्लेखनीय है कि सिंधिया के भाजपा में शामिल होने के बाद पार्टी को उम्मीद है की अंचल में इस बार भाजपा की एकतरफा जीत होगी। इसलिए सिंधिया पर बड़ा भार आ पड़ा है।
दोनों में शह-मात का खेल पुराना
राजा और महाराजा के बीच सियासी पिच पर शह-मात का खेल कोई नया नहीं है। इस बार स्थितियां थोड़ी उल्ट हैं। अब दोनों नेता एक ही दल में न होकर एक दूसरे के प्रतिद्वंद्वी दलों में हैं। ऐसे में कांग्रेस अगर ग्वालियर-चंबल में कुछ सीटों को साधने में दिग्विजय का सहारा लेने चाहती है तो, राजगढ़ जिले की पांच सीटों पर भाजपा ने राजा को चुनौती देने के लिए रणनीतिक जिम्मेदारी महाराजा को सौंपनी की योजना बनाई है। दोनों ही नेता एक दूसरे के गढ़ में पकड़ रखते हैं। राजगढ़ को दिग्विजय का गढ़ माना जाता है तो इस क्षेत्र में सिंधिया घराने की भी गहरी पैठ रही है। राजमाता विजयाराजे सिंधिया व माधव राव सिंधिया तत्कालीन गुना लोकसभा सीट से सांसद रहे हैं। उस समय की गुना सीट में राजगढ़ जिले का व्यावरा विधानसभा क्षेत्र शामिल था। तब संसदीय सीट का दायरा इतना बड़ा था, कि चाचौड़ा और राघौगढ़ विधानसभा क्षेत्र भी उसी में था। यानी राजगढ़ की तीन विधानसभा सीटें प्रभावित होती थीं। यह बात किसी से छिपी नहीं है कि वे एक दल में जब थे, तब भी प्रतिद्वंद्विता कम नहीं थी। राजा व महाराजा की राजनीतिक प्रतिद्वंता वर्षों पुरानी है। दोनों घरानों के बीच यह खींचतान माधवराव सिंधिया के जमाने से ही चली आ रही है। राजगढ़ से सिंधिया परिवार का धार्मिक जुड़ाव भी है। इस क्षेत्र में होड़ामाता मंदिर है। यह मंदिर खिलचीपुर विधानसभा व राजस्थान से लगा हुआ है। होड़ामाता को सिंधिया परिवार अपनी कुलदेवी मानता है। इसके आलावा राजगढ़ विधानसभा क्षेत्र में तंवर समाज बहुल है। तंवर समाज की भी यह कुल देवी हैं, इसलिए सिंधिया परिवार का तंवर समाज से भी सीधा जुड़ाव माना जाता है।