लोकायुक्त के रवैये से केंद्रीय जांच एजेंसी परेशान

 केंद्रीय जांच एजेंसी
  • भ्रष्टों के खिलाफ जांच में ईडी को नहीं मिल रहा सहयोग

भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम।मप्र सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाए हुए है। इसके बाद भी राज्य की जांच एजेंसियों की कार्यप्रणाली से ईडी संतुष्ट नहीं है। भ्रष्टाचार के खिलाफ जांच करने वाली लोकायुक्त के रवैये से केंद्रीय जांच एजेंसी परेशान हो गई है। मप्र में कई मामलों में ईडी ने जांच करने की कार्रवाई शुरू कर दी है, लेकिन राज्य की जांच एजेंसियों से समन्वय नहीं मिल रही है। इस कारण ईडी की जांच गति नहीं पकड़ पा रही है।
जानकारी के अनुसार ईडी प्रदेश के भ्रष्ट अफसरों के खिलाफ जांच करने में जुटी हुई है। ईडी ने लोकायुक्त से रिटायर्ड आईएएस के खिलाफ एफआईआर की कॉपी मांगी है, ताकि मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत कार्रवाई की जाए, लेकिन लोकायुक्त ने अभी तक ईडी को कागजात मुहैया नहीं कराया है। इससे ईडी नाखुश है। कागजात नहीं मिलने के कारण ईडी की जांच गति नहीं पकड़ पा रही है।
ईडी ने रिमाइंडर भेजा
भ्रष्टाचार की जांच में जुटी ईडी चाहती है कि उसे पूरे कागजात मिल जाए तो वह भ्रष्टों पर हाथ डाले। यही वजह है कि ईडी को फिर से लोकायुक्त के डीजी कैलाश मकवाना को रिमाइंडर भेजना पड़ा रहा है। वहीं ईडी ने रिटायर्ड आईएएस के खिलाफ दर्ज एफआईआर की कापी मांगी है। ईडी  ने दोनों ही मामलों में मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत जांच करना शुरू कर दिया है, लेकिन एजेंसी के पास जानकारी ही नहीं है। ईडी ने सेक्शन 54 के तहत लोकायुक्त को नोटिस दिया था। सूत्रों ने बताया कि व्यापमं सहित कई मामले में जांच की जानी है।  कई ऐसे अधिकारी है, इनके खिलाफ लोकायुक्त ने भले ही एक्शन लिया है, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। यही वजह है कि केंद्रीय एजेंसी ने हस्तक्षेप किया है। पिछले महीने 10 अक्टूबर को आबकारी विभाग के एसिस्टेंट कमिश्नर आलोक खरे के खिलाफ जानकारी उपलब्ध कराने के लिए लोकायुक्त कार्यालय  को पत्र लिखा था। आलम यह है कि एक महीने बाद भी ईडी को दस्तावेज लोकायुक्त कार्यालय ने  नहीं भेजे  है। ऐसे में लोकायुक्त की ओर से समन्वय की कमी दिखाई दे रही है।
दो आईएएस निशाने पर
ईडी के सूत्रों ने बताया कि लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू को कई मामलों में जानकारी के लिए पत्र लिखा गया था।  ईओडब्ल्यू ने बिशप पीसी सिंह के मामले में कार्रवाई साझा की है, लेकिन लोकायुक्त की ओर से तीन मामलों में अबतक कोई रिपोर्ट नहीं दी गई है। जिसकी वजह से ईडी भी भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर सकी है।  ईडी के अफसरों ने बताया कि दो आईएएस अधिकारी भ्रष्टाचार के अलावा आय के अधिक संपति के मामले में जांच की जाएगी। दोनों ही अफसर प्रदेश के बड़े स्तर पर हुए घोटाले के मामले में शामिल थे। हालांकि दोनों के खिलाफ ही राज्य सरकार ने एक्शन नहीं लिया है, लेकिन शिकायतों के आधार पर ईडी जांच जरूर करेगी। इस संबंध में विभागों से दस्तावेज मांगे गए हैं। खास बात है कि दोनों ही अफसरों घोटाला उजागर होने के बाद केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर चल गए थे।
ईडी के पास कई मामलों की जांच
जानकारी के अनुसार ईडी के भोपाल डिवीजन के पास कई अहम मामले की जांच की जिम्मेदारी है। व्यापमं मामले में कई लोगों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के मामला दर्ज किया गया है। इसके अलावा पीपुल्स ग्रुप, चिट फंड कंपनी, संजय विजय शिंदे, ई- टेंडरिंग सहित कई मामलों की जांच कर रही है। इन सभी मामलों में मनी लॉन्ड्रिंग के तहत मामला दर्ज किया गया है। सिर्फ विशप पीसी सिंह के मामले में फेमा एक्ट के तहत भी कार्रवाई की जा रही है।

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 केंद्रीय जांच एजेंसी
  • भ्रष्टों के खिलाफ जांच में ईडी को नहीं मिल रहा सहयोग

भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम।मप्र सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाए हुए है। इसके बाद भी राज्य की जांच एजेंसियों की कार्यप्रणाली से ईडी संतुष्ट नहीं है। भ्रष्टाचार के खिलाफ जांच करने वाली लोकायुक्त के रवैये से केंद्रीय जांच एजेंसी परेशान हो गई है। मप्र में कई मामलों में ईडी ने जांच करने की कार्रवाई शुरू कर दी है, लेकिन राज्य की जांच एजेंसियों से समन्वय नहीं मिल रही है। इस कारण ईडी की जांच गति नहीं पकड़ पा रही है।
जानकारी के अनुसार ईडी प्रदेश के भ्रष्ट अफसरों के खिलाफ जांच करने में जुटी हुई है। ईडी ने लोकायुक्त से रिटायर्ड आईएएस के खिलाफ एफआईआर की कॉपी मांगी है, ताकि मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत कार्रवाई की जाए, लेकिन लोकायुक्त ने अभी तक ईडी को कागजात मुहैया नहीं कराया है। इससे ईडी नाखुश है। कागजात नहीं मिलने के कारण ईडी की जांच गति नहीं पकड़ पा रही है।
ईडी ने रिमाइंडर भेजा
भ्रष्टाचार की जांच में जुटी ईडी चाहती है कि उसे पूरे कागजात मिल जाए तो वह भ्रष्टों पर हाथ डाले। यही वजह है कि ईडी को फिर से लोकायुक्त के डीजी कैलाश मकवाना को रिमाइंडर भेजना पड़ा रहा है। वहीं ईडी ने रिटायर्ड आईएएस के खिलाफ दर्ज एफआईआर की कापी मांगी है। ईडी  ने दोनों ही मामलों में मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत जांच करना शुरू कर दिया है, लेकिन एजेंसी के पास जानकारी ही नहीं है। ईडी ने सेक्शन 54 के तहत लोकायुक्त को नोटिस दिया था। सूत्रों ने बताया कि व्यापमं सहित कई मामले में जांच की जानी है।  कई ऐसे अधिकारी है, इनके खिलाफ लोकायुक्त ने भले ही एक्शन लिया है, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। यही वजह है कि केंद्रीय एजेंसी ने हस्तक्षेप किया है। पिछले महीने 10 अक्टूबर को आबकारी विभाग के एसिस्टेंट कमिश्नर आलोक खरे के खिलाफ जानकारी उपलब्ध कराने के लिए लोकायुक्त कार्यालय  को पत्र लिखा था। आलम यह है कि एक महीने बाद भी ईडी को दस्तावेज लोकायुक्त कार्यालय ने  नहीं भेजे  है। ऐसे में लोकायुक्त की ओर से समन्वय की कमी दिखाई दे रही है।
दो आईएएस निशाने पर
ईडी के सूत्रों ने बताया कि लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू को कई मामलों में जानकारी के लिए पत्र लिखा गया था।  ईओडब्ल्यू ने बिशप पीसी सिंह के मामले में कार्रवाई साझा की है, लेकिन लोकायुक्त की ओर से तीन मामलों में अबतक कोई रिपोर्ट नहीं दी गई है। जिसकी वजह से ईडी भी भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर सकी है।  ईडी के अफसरों ने बताया कि दो आईएएस अधिकारी भ्रष्टाचार के अलावा आय के अधिक संपति के मामले में जांच की जाएगी। दोनों ही अफसर प्रदेश के बड़े स्तर पर हुए घोटाले के मामले में शामिल थे। हालांकि दोनों के खिलाफ ही राज्य सरकार ने एक्शन नहीं लिया है, लेकिन शिकायतों के आधार पर ईडी जांच जरूर करेगी। इस संबंध में विभागों से दस्तावेज मांगे गए हैं। खास बात है कि दोनों ही अफसरों घोटाला उजागर होने के बाद केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर चल गए थे।
ईडी के पास कई मामलों की जांच
जानकारी के अनुसार ईडी के भोपाल डिवीजन के पास कई अहम मामले की जांच की जिम्मेदारी है। व्यापमं मामले में कई लोगों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के मामला दर्ज किया गया है। इसके अलावा पीपुल्स ग्रुप, चिट फंड कंपनी, संजय विजय शिंदे, ई- टेंडरिंग सहित कई मामलों की जांच कर रही है। इन सभी मामलों में मनी लॉन्ड्रिंग के तहत मामला दर्ज किया गया है। सिर्फ विशप पीसी सिंह के मामले में फेमा एक्ट के तहत भी कार्रवाई की जा रही है।

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