
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। राज्य सरकार द्वारा बुंदेलखंड क्षेत्र के विभिन्न जिलों में गिरते भूजल स्तर को बढ़ाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। केंद्र सरकार भी बुंदेलखंड के विकास के लिए 314 करोड़ रुपए की राशि देने को तैयार है।
लेकिन केंद्र सरकार ने बुंदेलखंड पैकेज में हुए भारी भ्रष्टाचार से सबक लेते हुए सख्त रवैया अपनाया है। दरअसल केंद्र ने राज्य सरकार को स्पष्ट कह दिया है कि बुंदेलखंड के विकास के लिए तालाब बनाने के लिए फंड तभी दिया जाएगा जब जमीन पर वास्तविक काम दिखेगा और उससे लोगों को लाभ मिलेगा। इसका सीधा मतलब है कि अब कागजों में तालाब दिखाकर और फाइलों में तालाब बनाकर सरकारी फंड नहीं मिल सकेगा। उल्लेखनीय है कि सागर, पथरिया (दमोह), अजयगढ़ (पन्ना), रेवाड़ी, छतरपुर, नौगांव, राजनगर, बल्देवगढ़ और पलेरा (टीकमगढ़) आदि ब्लॉकों में तालाब बनाए जाना प्रस्तावित है। छतरपुर जिले के बड़ामलहरा और बक्सवाहा अंचल में पानी की समस्या गम्भीर है। यहां जलस्तर करीब 100 फीट तक नीचे चला गया है। बड़ामलहरा ब्लॉक के अंतर्गत पुरानी बावड़ियां भी सूख गई हैं। यही नहीं पेयजल की जो परियोजनाएं हैं उनसे भी लोगों को पानी नहीं मिल पा रहा है। यही वजह है कि गांव के लोग बाहर लगे हैंडपंप से साइकिल पर पानी रहने को मजबूर बने हैं।
काम सही नहीं होंगे तो अटक जाएगा पैसा
उल्लेखनीय है कि डैम बनाने के संबंध बिंदु स्पष्ट कर दिए गए हैं। इसके तहत प्रत्येक डैम की गुणवत्ता और निर्माण पर निगरानी रखने के लिए मुख्यालय स्तर से टीमें बनाई जाएंगी। यह टीमें हर तीन माह में ईएनसी को निर्माण पर निगरानी की जांच रिपोर्ट देंगीं। यह टीमें निगरानी करेंगी कि ठेकेदार समय सीमा में कार्य कर रहा है या नहीं। खास बात है कि डैम बनाकर दिखाने के बाद ही राशि जारी होगी। निर्माण कार्य मनरेगा और राज्य सरकार की तमाम जल संरक्षण योजनाओं के माध्यम से कराया जाएगा। यदि परिणाम सही नहीं होंगे तो पैसा अटक जाएगा।
एक साल में करना होगा डीपीआर-रोडमैप तैयार
बुंदेलखंड विकास के तहत छह जिलों में जलस्तर बढ़ाने के लिए करीब 80 तालाब बनाने के लिए 314 करोड़ से अधिक की राशि केंद्र सरकार द्वारा दी जाएगी। वहीं राज्य सरकार ने तालाब बनाने के संबंध में जल संसाधन विभाग के अधिकारियों के साथ ही पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग तथा नगरीय प्रशासन और पर्यावरण विभाग के साथ मिलकर रोडमैप तैयार करने को कहा है। अधिकारियों को साल के अंदर शुरूआती डीपीआर और रोडमैप तैयार करने को कहा गया है। बता दें कि इस योजना को प्रदेश में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लिया गया हैं।