घाटे का फर्जी आंकड़ा परोस, जनता पर डाला जा रहा बोझ

 विद्युत वितरण कंपनियों
  •  मप्र की विद्युत वितरण कंपनियों की मनमानी

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। यह आश्चर्यजनक लेकिन सत्य है कि देश के सबसे अधिक बिजली उत्पादक राज्य के उपभोक्ताओं को सबसे महंगी बिजली मिल रही है। इसके बाद भी बिजली कंपनियों की मनमानी जारी है।
बिजली कंपनियों की मांग पर प्रदेश में एक बार फिर बिजली उपभोक्ताओं को जोर का झटका देने की तैयारी हो रही है। दरअसल, प्रदेश की कंपनियां बिजली खरीदी और घाटे के फर्जी आंकड़े पेश कर बिजली की दरें बढ़वा लेती हैं। लेकिन नियामक आयोग या सरकार कभी हकीकत जानने की कोशिश नहीं करते हैं।  इस बार बिजली कंपनियों ने 4 हजार करोड़ से ज्यादा का घाटा बताते हुए टैरिफ बढ़ाए जाने की मांग की है। विद्युत नियामक आयोग में दायर याचिका पर दावे- आपत्तियां बुलाए जा रहे हैं। इनका निराकरण होना है। दरअसल बिजली कंपनियों ने मध्यप्रदेश विद्युत नियामक आयोग में 7 फरवरी को याचिका दायर की थी। इनमें वित्तीय वर्ष साल 2022-23 के लिए नए बिजली दरों की बात की गई है। घरेलू और कृषि उपयोग के लिए अलग-अलग दरों में रेट बढ़ाने का प्रस्ताव है।  कंपनियां ऐसा अपने मौजूदा घाटे को कवर करने के लिए कर  रही हैं।
बिन बने बिजली घरों से भी बिजली खरीदने का खर्च बताया
विद्युत नियामक आयोग में दायर याचिका पर आई आपत्तियों में बिजली कंपनियों पर कई तरह के गंभीर सवाल उठाए गए हैं। आपत्तियों में बताया गया है कि बिजली कंपनी ने जो घाटा बताया है वह  सिर्फ कागजों में है। स्थिति यह है कि कंपनियों ने ऐसे बिजली घरों से बिजली खरीदने का खर्च बता दिया है, जो अभी बने ही नहीं है। इसी आधार पर बिजली कंपनियों ने घाटा बता दिया है। इस घाटे की भरपाई के लिए कंपनियां 10 फीसदी से ज्यादा बिजली टैरिफ बढ़ाए जाने की मांग कर रही हैं। बिजली कंपनियों ने जो याचिका दायर की है, उसमें बताया है कि बिजली उत्पादन के लिए एनटीपीसी, एनएचपीसी छत्तीसगढ़ में बिजली घर बना रही हैं। इस बिजली घर में मप्र की भी हिस्सेदारी रहेगी। इस उपक्रम के बनने पर  करीब 500 करोड़ रुपए का खर्च आएगा। बिजली कंपनियों ने इस तरह के खर्च दिखाकर टैरिफ बढ़ाए जाने की मांग की है। इसके साथ ही बिजली वितरण में होने वाली हानि के करीब तीन हजार करोड़ रुपये का नुकसान भी जनता से वसूलने की तैयारी है, जो पूरी तरह से गलत है। पारेषण शुल्क के रूप में बिजली कंपनियों द्वारा 1508 करोड़ रुपये ज्यादा खर्च किया गया है और इस नुकसान की भरपाई भी कंपनियां आम लोगों से करना चाहती हैं। साथ ही बिजली ट्रेडिंग मार्जिन के लिए निजी कंपनी को 11 करोड़ रुपये दिए गए हंै, जबकि बिजली रेग्युलेशन में इसका कहीं प्रावधान नहीं है।
9.97 प्रतिशत की वृद्धि का प्रस्ताव
घरेलू उपभोक्ताओं के लिए 9.97 प्रतिशत की वृद्धि और कृषि क्षेत्र के लिए 10.6 प्रतिशत बिजली दाम में बढ़ोतरी का प्रस्ताव रखा गया है। इसके साथ-साथ विभिन्न श्रेणी के उपभोक्ताओं के लिए भी अलग-अलग दरों से बिजली के दाम बढ़ाने का प्रस्ताव भी रखा गया है। विद्युत नियामक आयोग ने बिजली कमियों की याचिकाओं को स्वीकार कर लिया है। इनपर 4 मार्च तक आपत्तियां बुलवाई हैं। विद्युत नियामक आयोग 10 मार्च को आपत्तियों पर सुनवाई करेगा और अगर सब कुछ बिजली कंपनियों के मुताबिक रहा तो मध्यप्रदेश में बिजली के दाम बढ़ना लगभग तय हो जाएंगे।

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