चुनाव आयोग की मनमानी, सरकार को पड़ेगी भारी

 चुनाव आयोग
  • 26 लाख वोटर आईडी छपाई से होगा 2 अरब का नुकसान

    भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में करीब 26 लाख नए वोटर आईडी छपवाने के लिए मप्र चुनाव आयोग ने कुछ ऐसी शर्तें निर्धारित की है जिससे सरकार को करीब 2 अरब रूपए का नुकसान होने की आशंका जताई गई है। जबकि आयोग की शर्तों को लेकर ठेकेदारों ने भी आपत्ति जताई है।
    जानकारी के अनुसार इस बार मप्र चुनाव आयोग ने पीवीसी वोटर आईडी छपाई -वितरण की व्यवस्था ही बदल दी। जिसके लिए न तो वित्त विभाग से अनुमोदन लिया न ही राज्य स्तरीय स्टियरिंग कमेटी से मंजूरी ली। वहीं छपाई के टेंडर में चंद ऐसी शर्ते जोड़ दी, जिस पर मप्र राज्य इलेक्ट्रॉनिक्स डेवलपमेंट कारपोरेशन भी परेशान है। साथ ही इन तीन शर्तों के कारण मप्र सरकार के खजाने में करोड़ों का नुकसान होना तय है। इन शर्तों को लेकर 15 ठेकेदारों ने भी आपत्ति ली और आयोग के सीईओ को बताया, लेकिन आयोग ने एसईडीसी और ठेकेदार किसी की बात नहीं मानी।  एसईडीसी एमडी नंद कुमारम का कहना है कि आपत्तियां आई थीं। हमने भी आयोग को लिखित में दिया है कि ये शर्ते अनुकूल नहीं है। चुनाव आयोग इस पर सहमत नहीं हो रहा है।
    कमेटी को ही टेंडर की जानकारी नहीं
    जानकारी के अनुसार, मप्र में वोटर आईडी कार्ड छपाई के लिए राज्य शासन ने सीईओ चुनाव आयोग की अध्यक्षता में 9 सदस्यीय कमेटी बना रखी है। आयोग को ये कमेटी तकनीकी सलाह, टेंडर, बुलाने, अंतिम रूप देने, दर व अन्य निर्णय लेने का काम करती है। लेकिन इस कमेटी को कार्ड छपाई के टेंडर के संबंध में जानकारी भी नहीं है। बताया जा रहा है कि अफसरों और भोपाल के एक-दो ठेकेदारों की तगड़ी सेटिंग के कारण टेंडर में मनचाही शतें जोड़ी गई हैं, जिनमें तमाम विरोधों के बावजूद आयोग कोई बदलाव करने को तैयार नहीं है।
    7.80 का कार्ड भेजने में खर्च होगा 40 रुपए
    जानकारी के अनुसार सरकार ने वोटर आईडी के वितरण की व्यवस्था भी बदल दी गई। चुनाव आयोग ने अब भोपाल से मतदाता के घरों तक स्पीड पोस्ट के जरिए कार्ड भेजने का जिक्र किया। 7.80 रुपए का कार्ड भेजने के लिए न्यूनतम 40 रुपए स्पीड पोस्ट खर्च आएगा। सूत्रों के अनुसार 26 लाख नए और लगभग 25 लाख डुप्लीकेट व अन्य कार्ड छपने है। औसतन 50 लाख कार्ड को घर-घर पहुंचाने पर करीब 200 करोड़ अतिरिक्त खर्च आएगा। जिसकी वित्त विभाग व शासन से अनुमति नहीं ली गई। शर्तें हटाई तो ओपन होगी प्रतिस्पर्धा अफसरों और एक-दो ठेकेदारों की मिलीभगत के कारण शर्तें हटाई ही नहीं जा रही। एसईडीसी लिखकर दे चुका है, कि सीएमएमआई लेवल-3 वाली शर्त इस टेंडर में अनुपयोगी है, इसमें बदलाव करना चाहिए। लेकिन आयोग इसे नहीं हटाने को तैयार है।
    टेंडर की शर्र्ताें में झोल
    वोटर आईडी कार्ड छपाई के लिए टेंडर की जो शर्तें तय की गई हैं उसमें झोल नजर आ रहा है। ऐसा लगता है किसी चहेते को फायदा पहुंचाने के लिए शर्तें रखी गई हैं। शर्र्ताें के अनुसार सीएमएमआई लेवल-3 अथवा इससे उच्च स्तरीय सर्टिफिकेट वाले वेंडर ही हिस्सा ले सकेंगे। यह मानक मुख्यत: आईटी व सॉफ्टवेयर के लिए होता है, लेकिन वोटर आईडी के लिए इसे तय कर दिया, जो मप्र (भोपाल) में एक ही फर्म के पास है। वहीं करीब ढाई करोड़ के काम के लिए 10 करोड़ का टर्नओवर मांगा गया है, जबकि सीवीसी की गाइडलाइन के अनुसार काम के इस्टीमेट का 30 प्रतिशत तक टर्नओवर मांगा जा सकता है।  वहीं संबंधित कंपनी का भोपाल में पंजीकृत  ऑफिस मांगा गया है।

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