- भाजपा मुख्यालय में अनुशासन, मितव्ययिता और पारदर्शिता का दौर
- गौरव चौहान

मध्य प्रदेश भाजपा में सांगठनिक और प्रशासनिक बदलाव की बयार चल पड़ी है। पार्टी के नए प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल ने पद संभालते ही साफ कर दिया था कि उनके रहते पार्टी में अनुशासन, मितव्ययिता और पारदर्शिता सर्वोच्च प्राथमिकता रहेगी। कहावत है- बनिया का बेटा सौ के पीछे एक भी नहीं छोड़ता। महाजन (व्यापारी) परिवेश से आने वाले हेमंत खंडेलवाल का यह स्वभाव उनकी राजनीति में भी दिखाई देता है। पिछले तीन महीनों में उनके तीन महत्वपूर्ण फैसलों से यह स्पष्ट हो गया है कि भाजपा की कार्यप्रणाली और कार्यशैली में बदलाव अवश्यसंभावी है। पार्टी के भीतर अव्यवस्था, अनियमितता और अनुशासनहीनता के लिए अब कोई जगह नहीं होगी।
पहला कदम: फिजूलखर्ची पर रोक
प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद हेमंत खंडेलवाल ने घोषणा की कि वे पार्टी की गाड़ी का उपयोग नहीं करेंगे। इसके बाद अपने जन्म दिन पर पोस्टर संस्कृति से परहेज़ किया। इसके साथ ही, संगठन पदाधिकारियों द्वारा वर्षों से इस्तेमाल की जा रही दर्जनभर पुरानी डीलक्स गाडिय़ों को मुख्यालय में वापस बुलाया गया और उन्हें बेचने का निर्णय लिया गया। इनकी जगह इलेक्ट्रिक वाहन खरीदे जाएंगे। इससे न केवल पेट्रोल-डीजल की फिजूलखर्ची और फर्जीवाड़े पर रोक लगेगी, बल्कि भाजपा मुख्यालय का पर्यावरण भी सुधरेगा।
दूसरा कदम: कर्मचारियों के लिए ड्रेस कोड लागू
भाजपा मुख्यालय में अनुशासन स्थापित करने के लिए हेमंत खंडेलवाल ने कर्मचारियों के लिए ड्रेस कोड लागू किया है। अब सभी कर्मचारी, नेता और कार्यकर्ताओं की तरह खादी की ड्रेस पहनेंगे। ड्रेस का रंग और शैली भी तय कर दी गई है। ड्रेस कोड का उद्देश्य कार्यकर्ताओं और कर्मचारियों में स्पष्ट अंतर दिखाना और कार्यालय में अनुशासन स्थापित करना है।
तीसरा कदम: खर्चों में पारदर्शिता
पार्टी कार्यों के लिए एडवांस लेने वाले पदाधिकारी अब खर्च का लेखा-जोखा देने के लिए बाध्य होंगे। प्रत्येक पदाधिकारी को पाई-पाई का हिसाब देना होगा कि कितनी राशि कहां और किस कार्य में खर्च की गई। इससे वित्तीय अनुशासन स्थापित होगा और अनियमितताओं पर रोक लगेगी। इसके पहले पदाधिकारी जो एडवांस लेते थे, उसका हिसाब नहीं देते थे।
चाल, चरित्र में आएगा निखार
प्रदेश मीडिया प्रभारी आशीष अग्रवाल कहते हैं कि, प्रदेश अध्यक्ष ने अपनी कार्यशैली से यह संदेश देने की कोशिश की है कि, मध्यप्रदेश भाजपा अब केवल चुनाव और राजनीति तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि संगठनात्मक मजबूती और कार्यकर्ताओं की जवाबदेही को भी प्राथमिकता देगी। प्रदेश अध्यक्ष की कार्यशैली से निश्चित रूप से भाजपा की चाल, चरित्र और चेहरे में और निखार आएगा।
