
-मिट्टी परीक्षण के उपरांत किसानों को कौन सी फसल बोने से लाभ होगा यह पता लगाया जाना है योजना का उद्देश्य
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। कोरोना महामारी का संक्रमण अब शहरों में कोहराम मचाने के बाद गांवों में भी बढ़ने लगा है। ऐसे में प्रदेश सरकार की प्राथमिकताएं भी बदल गईं है। सरकार का पूरा फोकस फिलहाल कोरोना संक्रमण की चैन को तोड़ना, मरीजों को दवाई, इंजेक्शन, आॅक्सीजन और चिकित्सकीय व्यवस्थाएं बनाने पर है। ऐसे में कई विभागों की योजनाएं फिलहाल बंद जैसी स्थिति में हैं। संक्रमण के बढ़ते प्रभाव का असर किसानों से जुड़ी योजनाओं पर भी पड़ा है। कृषि कल्याण एवं कृषि विभाग की योजना जिसमें किसानों के खेतों की मिट्टी के परीक्षण के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर प्रयोगशालाएं बनाने की बात की गई थी। यही नहीं प्रदेश भर में सभी तहसील मुख्यालयों में 265 मृदा परीक्षण प्रयोगशालाएं स्थापित करने की निर्णय राज्य सरकार ने लिया था। खास बात है कि इसमें से 261 प्रयोगशालाएं बन भी चुकी हैं, जिन पर एक करोड़ दस लाख रुपए से अधिक की राशि खर्च हो चुकी है। इतनी अधिक राशि खर्च होने के बाद भी यह प्रयोगशालाएं उपकरण और आंवले की भर्ती नहीं होने के कारण किसी उपयोग में नहीं आ रही हैं।
अब तक नहीं हुई ट्रेंड स्टाफ की भर्ती
प्रदेश सरकार ने मृदा परीक्षण प्रयोगशाला बनाने का काम बड़े स्तर पर किया है लेकिन उसी हिसाब से यहां काम करने के लिए ट्रेंड स्टाफ की भर्ती नहीं कि गई।जब तक इन प्रयोगशालाओं में ट्रेंड स्टाफ नहीं होगा तब तक मिट्टी का परीक्षण कैसे और कौन करेगा। साथ ही मिट्टी की जांच के लिए प्रयोगशाला में उपकरण भी उपलब्ध कराना होंगे। उपकरणों के अभाव में भी काम प्रभावित होता है। हालांकि प्रयोगशालाओं में स्थापित होने के लिए एएएस मशीन खरीदी जा चुकी है लेकिन कोरोना काल में प्राथमिकताएं बदल जाने के कारण इसे भी अभी तक प्रयोगशालाओं में नहीं भेजा जा सका है। वर्तमान में प्रदेश में पचास प्रयोगशालाएं संचालित हो रहीं हैं। लेकिन इनमें भी सुविधाओं की कमी बनी रहती है। कभी उपकरण नहीं होने तो कभी स्टाफ के नदारद रहने से किसानों को समय पर मिट्टी के परीक्षण की जानकारी नहीं मिल पाती है। बहरहाल नई और पुरानी प्रयोगशालाओं को मिला कर प्रदेश में इसकी संख्या तीन सौ के ऊपर है। यदि सभी में पर्याप्त सुविधाएं और ट्रेंड स्टाफ हो तो किसानों को बेहतर मृदा परीक्षण की सुविधा उपलब्ध हो जाएगी।
कोरोना की वजह से होगी और देरी
राज्य सरकार के संकेतों के मुताबिक करुणा के संकट काल में प्रयोगशालाओं के लिए उपकरण का इंतजाम मुश्किल है यदि उपकरणों का इंतजाम हो भी गया तो फिर हमले का इंतजाम करना भी एक बड़ी चुनौती होगी लकी सरकारी ट्रेंड स्टाफ के लिए प्रयासरत है लेकिन फिलहाल अगले करीब संयंत्र के इंतजाम होने की संभावना फिलहाल दिखाई नहीं दे रही दरअसल खोलो ना काल में विभागों ने भर्ती प्रक्रिया पर अघोषित विराम लगा दिया है सिर्फ चिकित्सा विभाग और लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग मैं ही खाली पदों को भरने की प्रक्रिया चल रही है। ऐसे में दूसरे विभागों को पूर्ण संक्रमण के इस दौर में भर्ती की अनुमति मिलना मुश्किल है।
किसान हित में ये है योजना का स्वरूप
प्रदेश में किसान बेहतर तरीके से खेती कर सकें इसके लिए इन प्रयोगशालाओं की स्थापना की गई है। चूंकि प्रदेश का कृषि क्षेत्रफल बहुत बड़ा है। जहां अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग तरह की फसलें उगाई जाती है। क्षेत्र के हिसाब से जमीन की प्रकृति में बदलाव होता है। किसी क्षेत्र में किसी तरह की फसल बहुतायत में होती है तो किसी क्षेत्र में कुछ और फसल प्रमुखता से उगाई जाती है। ऐसे में किसानों को मिट्टी के परीक्षण की सुविधा दी जानी थी। जिससे वे अपनी जमीन में किस तरह की फसल लें किस तरह की फसल न लें, इस बात का पता उन्हें चल सके। पारंपरिक फसल लेना चाहिए या फिर उधानिकी उत्पादों की ओर ध्यान देना चाहिए। यह निर्णय करने से पहले खेत की मिट्टी का परीक्षण कराने की व्यवस्था सरकारों द्वारा कराई जाना है। जिससे कि किसान अपने खेतों की मिट्टी की प्रकृति और मिजाज से अच्छी तरह से परिचित हो सकें और उसी तरह की उपज का उत्पादन ले सकें। इससे उनके लिए खेती घाटे का सौदा नहीं रहेगी बल्कि उनकी उपज बढ़ने से आय में वृद्धि भी हो जाएगी। इसी को ध्यान में रखते हुए मृदा परीक्षण प्रयोगशाला बनाने की योजना तैयार की गई थी।